Tuesday, July 9, 2024
- Advertisement -
HomeUttarakhand Newsधर्म-संस्कार की धरोहर है गीता प्रेस

धर्म-संस्कार की धरोहर है गीता प्रेस

- Advertisement -

Samvad 1


26 3गीता प्रेस गोरखपुर आज से नहीं बल्कि लंबे समय से धर्म की धरोहर के रूप में कार्य करता आ रहा है। गीता प्रेस न केवल गोरखपुर बल्कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे भारत में शिक्षाप्रद व धार्मिक पुस्तकों के माध्यम से जन-जन तक अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। गीता प्रेस की सबसे बड़ी खासियत यहां से प्रकाशित पुस्तकों का सस्ता होना है, बहुत शानदार कागज पर सस्ती पुस्तकों को देखकर लोग अचरज में पड़ जाते हैं। भारत में सबसे सस्ता धार्मिक साहित्य प्रकाशित करने वाला कोई अन्य संस्थान नहीं है। गीताप्रेस से छपने वाली दैनंदिनी (डायरी) की बिक्री भी खूब होती। प्रकाशित प्रतियों और पुस्तकों की संख्यात्मक बिक्री के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान बना चुका गीता प्रेस एक बार फिर चर्चा का विषय बन चुका है।

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिला है। कांग्रेस सहित कई दल और कुछ लोग इस पर एतराज भी जता रहे हैं, गांधी के नाम पर स्थापित पुरस्कार गीता प्रेस को दिया जाना चाहिए था अथवा नहीं, इस पर सबकी राय भिन्न हो सकती है। लेकिन गीता प्रेस की अहमियत को कोई नकार नहीं सकता।

1923 में गीता प्रेस की स्थापना की गई थी, इसे सोसायटी अधिनियम 1860 के तहत एक सोसाइटी के तौर पर पंजीकृत किया गया था। अपनी स्थापना के तकरीबन सौ वर्ष पूरे कर चुका गीता प्रेस की ख्याति धार्मिक-नैतिक शिक्षा देने वाली पुस्तकों के प्रकाशन की वजह से रही है। भाई जी के नाम से विख्यात कल्याण के प्रथम संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गीता प्रेस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रयास किया है, गीता प्रेस आज भी धर्म के प्रचार-प्रसार में पूर्व की भांति कार्यरत दृष्टिगोचर होता है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
4
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments