Tuesday, May 13, 2025
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अतिरिक्त आय दे अदरक

KHETIBADI

अदरक को लगातार एक ही खेत में न उगाएं। इसको हल्दी, प्याज, लहसुन, मिर्च, गन्ना, मक्का, मूंगफली तथा सब्जियों के साथ 2-3 वर्ष के फसल चक्र में सम्मिलित किया जा सकता है।
अदरक की खेती बालुई, चिकनी, लाल या लेटेराइट मिट्टी में उत्तम होती है। भूमि कम क्षारीय होनी चाहिए। एक ही खेत में अदरक की फसल को लगातार नहीं बोना चाहिए।
भूमि की तैयारी
मानसून से पहले वर्षा होने के बाद भूमि को चार या पांच बार अच्छी तरह जोतें। लगभग एक मीटर चौड़ी, 15 सेन्टीमीटर ऊँची और लम्बाई की तैयारी करते हैं। जिन क्षेत्रों प्रकंद गलन रोग तथा सूत्रकृमियों की समस्या है वहां पारदर्शी प्लास्टिक शीट जो 40 दिनों तकफैला कर मृदा का सूर्य की किरणों केद्वारा रोग एवं कीट मुक्त करते हैं।
उन्नत किस्में
कच्ची या ताजा अदरक के लिए  :  रियो डी जनेरियो, वयनाड, वरदा आदि।
सोंठ के लिए उपयुक्त किस्में : मानंतोडी, मरान हिमाचल, हिमगिरि आदि।
हिमगिरि, वरदा, सुप्रभा, सुरुचि, सुरभि।
बीज बुवाई
अदरक का बीज प्रकंद होता है। अच्छी तरह परिरक्षित प्रकंद को 2.5-5 सेन्टीमीटर लम्बाई के 20-25 ग्राम के टुकड़ों में काट कर बीज बनाया जाता है। बीजों की दर 1700-2000 किग्रा/हेक्टेयर होती है।
बीजोपचार
बीज प्रकंद को 30 मिनट तक 0.3 प्रतिशत (3 ग्राम/लीटर पानी) मैन्कोजेब से उपचारित करने के पश्चात 3-4 घंटे छायादार जगह में सुखा लेते है।
बुवाई की दूरी
अदरक के बीज की बुबाई 20-25 सेन्टीमीटर की दूरी पर बोते हैं। पंक्तियों की आपस में बीच की दूरी 20-25 सेन्टीमीटर रखें। बीज प्रकन्द केटुकड़ों को हल्के गड्ढे खोदकर उसमें रखकर तत्पश्चात् देशी खाद (एफ वाई एम) तथा मिट्टी डालकर ढक दें।
सिंचाई
अदरक कीफसल में भूमि में बराबर नमी रहे पहली सिंचाई बोवाई के कुछ दिन बाद ही करते हैं और जब तक वर्षा प्रारंभ न हो जाये 15 दिन के अंतर पर सिंचाईयां करते रहते हंै गर्मियों में प्रति सप्ताह सिंचाई करें।
खाद एवं उर्वरक
अदरक के लिए कम्पोस्ट/गोबर खाद 25-30 टन खेत की तैयारी के समय जमीन में मिला दें एवं उर्वरकों की मात्र 75 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस और 50 किग्रा पोटाश/हेक्टेयर है। प्रत्येकबार उर्वरक डालने के बाद उसके ऊपर मिट्टी डालें। जिंक की कमी वाली मिट्टी 6 किग्रा जिंक/हेक्टेयर (30 किग्रा जिंकसल्फेट/हेक्टेयर) डालने से अच्छी उपज प्राप्त होती है।
उर्वरक के उपयोग की विधि
फसल बुवाई केसमय : फॉस्फोरस 50 किग्रा, पोटाश 25 किग्रा
बुबाई के 40 दिन बाद : नत्रजन 37 किग्रा, पोटाश 25 किग्रा
बुबाई के 90 दिन बाद : नत्रजन 37 किग्रा, पोटाश 25 किग्रा
खुदाई
बुआई केआठ महीने बाद जब पत्ते पीले रंग के हो जाएं और धीरे-धीरे सूखने लगें तब फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। सूखा हुआ अदरक प्राप्त करने के लिए बुआई से आठ महीने बाद खुदाई करते हैं प्रकंदों को 6-7 घंटे तक पानी में डूबोकर उसको अच्छी तरह साफ करते हैं। पानी से निकाल कर उसको बांस की लकड़ी (जिसका एक भाग नुकीला होता है) से बाहरी भाग को साफ करते हैं। अत्यधिक साफ करने से तेलों केकोशों को हानि पहुंचाते हैं। अत: प्रकन्द को सावधानीपूर्वक साफ करें।
पौध संरक्षण
तना बेधक : तना बेधक अदरक को हानि पहुंचाने वाला प्रमुख कीट हैं। इसका लार्वा तने को बेधकर उसकी आंतरिककोशों को खा लेता है।
तना बेधक को 21 दिनों के अंतराल पर जुलाई से अक्टूबर के मध्य 0.1 प्रतिशत मैलथियान का छिडकाव करकेनियंत्रण किया जा सकता है जब कीट ग्रसित पौधे पर प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई दें तब छिड़काव करना ज्यादा प्रभावी होता है।
राइजोम शल्क : राइजोम शल्कखेत केअन्दर तथा भण्डारण में प्रकंदों को हानि पहुंचाते हैं।
इसकी रोकथाम के लिए बल्ब को भंडारण के समय और बुआई से पहले 0.075 प्रतिशत क्विनालफॉस से 20-30 मिनट तकउपचारित करते हैं। कीट ग्रसित प्रकन्द को भंडारण न करके उसे नष्ट कर दें।
रोग
मृदु विगलन : मृदु विगलन अदरक का सबसे अधिक हानिकारक रोग हैं, यह रोग पाईथियम अफानिडरमाटम के द्वारा होता है।
इस रोग का नियंत्रण करने के लिए भंडारण के समय तथा बुआई से पहले बीज प्रकन्द को 0.3 प्रतिशत मैंकोजेब से 30 मिनट तक उपचार करें। खेत में पानी का उपयुक्त निकास हो। खेत में पानी जमा होने के कारण इस रोग की समस्या और बढ़ जाती है। पानी के निकास के लिए नाली बना कर पानी का निकास अच्छी तरह करें।
कुछ अन्य बातें
-अदरक को लगातार एक ही खेत में न उगाएं। इसको हल्दी, प्याज, लहसुन, मिर्च, गन्ना, मक्का, मूंगफली तथा सब्जियों के साथ 2-3 वर्ष के फसल चक्र में सम्मिलित किया जा सकता है।
-अदरक की क्यारियों को आधा फुट ऊंचाई की बनाएं, जिनकी चौड़ाई लगभग 1 मीटर तथा लंबाई अपनी सुविधानुसार रखें। संभव हो तो गर्मी के मौसम में सफेद पॉलीथिन से गीले खेत को ढक कर सूर्य की गर्मी को 20-30 दिन तक उपचारित कर लें। इससे रोग व कीटों का प्रकोप कम होगा।
-अनुशंसित उपलब्ध बीज का उपयोग करें। रोपाई करते समय रोपाई के गड्ढे में 25 ग्राम नीम की खली का पाउडर मिट्टी में मिला दें। रोपाई 25 से.मी. लाइन से लाइन की दूरी तथा 20 से 25 सेमी. कंद से कंद की दूरी पर करें। 20 से 30 ग्राम कंद का उपयोग बुआई के लिए करें।
-कंद बोने के पूर्व उसे अच्छी सड़ी गोबर की खाद तथा ट्राइकोडर्मा फफूंद के मिश्रण से उपचारित कर लें। बुआई के बाद उन्हें हल्की मिट्टी से ढकें।
-एक एकड़ के लिए 600 से 1000 किलो कंद की आवश्यकता होगी। -बुआई अप्रैल-मई के मध्य करें। बुआई के तुरंत बाद पानी दें, क्यारियों को पलवार से ढक दें, आवश्यकता अनुसार सिंचाई दें।


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