- बिनौली रोड पर खड़ी रहती है बसें, दिनभर लगा रहता है जाम का झाम
- मंडी समिति ने बसों के प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: ऐतिहासिक नगरी सरधना के एक बस अड्डा नसीम नहीं हो रहा है। जिसके चलते सरकारी बसों की भी दुर्गति हो रही है। अब मंडी समिति प्रशासन ने इन बसों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। जिसके चलते सरधना से चलने वाली 45 सरकारी बसें लावारिस हो गई हैं। यह बसें बिनौली रोड पर सड़क किनारे रेल की मानिद एक-दूसरे के पीछे खड़ी रहती है। इस कारण यहां पूरे दिन भीषण जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। सड़क से ही सवारी बैठाने व उतारने का काम किया जा रहा है।
सरधना से मेरठ व आसपास इलाकों में यातायात के लिए 10 इलेक्ट्रिक, 10 सिटी बस तथा 5 वोल्वो बसों का संचालन होता है। मगर आज तक सरधना को बस अड्डा नसीब नहीं हो सका है। दशकों से सरधन के लोग रोडवेज बस अड्डे की मांग कर रहे हैं। मगर नेता चुनावी समर में झूठे वादे करके वोट बटौरने के बाद इस ओर रुख नहीं करते। सरधना से चलने वाली यह बस मंडी समिति के रहमो करम पर हैं।
क्योंकि यह सभी बसें मंडी समिति के परिसर में ही खड़ी होती हैं। कुछ दिन पूर्व एक बस से परिसर में घूम रहे बछड़े की मौत हो गई थी। इसके बाद से मंडी समिति प्रशासन ने परिसर में बसों के प्रवेश पर रोक लगा दी। तभी से यह 45 सरकारी बसें लावारिस हो गई हैं। बसों को खड़ी करने की कोई जगह नहीं रह गई हैं। इस कारण यह सभी बसें बिनौली रोड पर सड़क किनारे खड़ी होती हैं।
एक के पीछे एक बस कई रेल की बराबर हो जाती हैं। सड़क पर ही बस खड़ी होती हैं और यहीं से सवारी को बैठाना व उतारने का काम किया जाता है। इस कारण बिनौली रोडपर पूरे दिन भीषण जाम लगा रहता है। ऐसे में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में एसडीएम पीपी राठौर का कहना है कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है।
इस तरह का कोई मामला है तो समस्या का समाधान कराया जाएगा। वहीं, मंडी सचिव विजन बालियान का कहना है कि बसों को परिसर में खड़ी कराने का कोई सरकारी आदेश नहीं है। कुछ दिन पहले परिसर में बस से एक हादसा हो गया था। सुरक्षा की दृष्टि से बसों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
पिठलोकर का मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त, ग्रामीण परेशान
सरधना: पिठलोकर गांव के लोग प्रशासनिक अनदेखी की मार झेल रहे हैं। गांव का मुख्य मार्ग सालों से क्षतिग्रस्त हालत में पड़ा है। गांव की सीमा तक सड़क का निर्माण हो चुका है। मगर आबादी के अंदर कोई सड़क बनाने को तैयार नहीं है। चकरोड में तब्दील रास्ते पर जलभराव रहता है। ऐसे में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। आरोप है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
ग्रामीणों ने शीघ्र सड़क का निर्माण कराने की मांग की है। पिठलोकर गांव एक नहीं अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। गांव में सड़कों की हालत खराब है। स्वास्थ्य केंद्र ठप पड़ा है। विद्युत लाइन जर्जर हालत में है। मतलब मूलभूत सुविधाएं यहां पहुंचने से पहले दम तोड़ रही हैं। पिठलोकर का मुख्य मार्ग लंबे समय से क्षतिग्रस्त हालत में है। मार्ग पूरी तरह चकरोड में तबदील हो चुका है। उस पर नियमित रूप से जलभराव रहता है।
सड़क व नाली नहीं होने के कारण डेयरियों से निकलने वाला पानी रास्तों में भर जाता है। ऐसे में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण लंबे समय से सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। आबादी की सीमा तक तो सड़क बन गई है। मगर आबादी के अंदर सड़क निर्माण कराने को प्रशासन तैयार नहीं है। प्रशासन की अनदेखी की खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने शीघ्र सड़क का निर्माण कराने की मांग की है।