जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह ने आज केंद्रीय कार्यालय 8 माल एवेन्यू लखनऊ में अमित शाह द्वारा किसानों को बुलाए जाने और मुजफ्फरनगर में संयुक्त प्रेस की खबर को लेकर जयंत और अखिलेश यादव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि जब आंदोलन था तो इनके लोगो के पास वक्त नहीं था कहां थे? यह किसानों की बात सुनने के लिए इनके पास वक्त नहीं था।
अब सबको किसान याद आ रहे है। घरों में छुपे बैठे थे और आज जब चुनाव में इन सबको याद आ रही है लेकिन आज इस चुनाव में किसानों के झूठी हमदर्दी होने का नाटक का पर्दा उठता दिखाई दे रहा है सत्ता लालच को दिखा रहा है। जब 700 किसान मर रहे थे तो किसी को याद नहीं आया। किसान और किसानों के साथ सरकार ने जिस तरीके से क्रूरता को दिखाया है उन पर जिस तरीके से अत्याचार किया गया।
किसान साथी उन्हें कभी माफ नहीं करने वाला आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान नाराज है जिसका खामियाजा भाजपा और सपा की सरकारों को जिस तरीके से खदेड़ा जा रहा है जिस तरीके के सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो वायरल होते हुए दिखाई दे रहा है यह दिखाता है कि किसान भाजपा और सपा की सरकार से कितना नाराज है।
पूरे कार्यकाल में किसानों की आए दुगनी होने का वादा करते रहे किसान आज भी आस लगाए बैठा है।किसानों के हित की बात करने का तमाशा कर रही है। यह उनकी राजनीति की निम्न स्तर को दिखाता है। सबका साथ सबका विकास में किसानों को कभी शामिल ही नहीं किया आज जब चुनाव का समय आ गया जब किसानों का समय आ गया कि अपने वोटों से इन पार्टियों को सत्ता के मोह से बाहर किया जाए तब इनको किसान याद आ रहे है।
किसान चिल्लाता रहा पर कोई सुनने वाला नहीं रहा अब किसान जाग गया है जनता जाग गई है झूठे वादे, फ्री के वादे, बेरोजगारों को रोजगार, महंगाई को कम करने के झांसे में नहीं आने वाली है। सभी ही सरकारों को बराबर बराबर मौका मिला किंतु अपने समय में किसी ने भी काम नहीं किया।
हर बार की तरह चुनाव में लुभावनी बातें करना सिर्फ राजनीति के लालच को दिखाया है लेकिन अब उत्तर प्रदेश में भाईचारा मजबूत हो गया है और प्रदेश की हिंदू और मुस्लिम दोनों ने संकल्प ले लिया है भाजपा या सपा जाति और धर्म की राजनीति करती है जनता और किसान मतदाताओं ने भाजपा को हराने का फैसला ले लिया है। किसान बिरादरी अपने 700 से ज्यादा शहीद हुए भाइयों की शहादत का बदला 2022 के चुनाव में भाजपा से जरूर लेगी।