Monday, July 21, 2025
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‘आधी आबादी’ ने सुनाई मन की बात

  • महिलाओं के संघर्ष की कहानी उन्हीं की जुबानी, शिक्षा की महंगाई पर लगे लगाम
  • महिलाओं को रोजगार की दरकार, बंद किए जाएं ओयो होटल, होता है यौन शोषण

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: यहां की महिलाएं केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही महिला उत्थान की योजनाओं से संतुष्ट हैं, लेकिन वे अब रोजगार चाहती हैं। वे बच्चों की शिक्षा महंगी होने को लेकर भी खासी चिंतित हैं और इस पर लगाम लगाने की मांग कर रही हैं।

महिला दिवस की पूर्व संध्या पर जनवाणी के छिपी टैंक स्थित सिटी आॅफिस में आयोजित जनवाणी विचार मंच में महिलाओं ने शहर की प्रतिष्ठित और समाज सेवा से जुड़ी महिलाओं ने बेबाकी से अपने विचार रखें और इस मंच के माध्यम से अपनी मांगों को पुरजोर तरीके ही से उठाया।

नहीं हो रहा प्रचार-प्रसार

मेरठ बार एसोसिएशन की उपाध्यक्ष मीनाक्षी चौधरी का कहना है कि सरकार द्वारा चलाई गई महिला उत्थान की योजनाएं चलाईं जा रही है, लेकिन इन योजनाओं का प्रचार-प्रसार ढंग से नहीं हो पा रहा। अधिकांश महिलाएं इन योजनाओं के प्रति जागरूक नहीं है। उन्हें जागरूक करना होगा, तभी महिलाएं सशक्त बनेगी।

लाइसेंस हो निरस्त

आरजेएसडी महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रेखा त्यागी का कहना है कि ओयो होटल आज अय्याशी का अड्डा बन गए हैं। उनमें नाबालिग और महिलाओं का यौन शोषण किया जा रहा है। ऐसे होटल के लाइसेंस निरस्त कर उन्हें बंद किया जाना चाहिए, ताकि महिलाओं और नाबालिगो का शोषण रोका जा सके।

महिलाएं हैं सुरक्षित

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय छात्रसंघ की पूर्व नेत्री मीनल गौतम एडवोकेट कहती है कि पिछले 10 वर्षों में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं से महिलाओं का उत्थान हुआ है। आज उत्तर प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित हैं, लेकिन अभी कुछ और उत्थान की योजनाएं चलाने की जरूरत है।

संस्कार की है जरूरत

बेटिया फाउंडेशन की कोषाध्यक्ष विनीता तिवारी कहती हैं कि सरकार ने सुरक्षा प्रदान की है। सुरक्षा प्रदान की है, लेकिन हमें भी अपने बच्चों चाहे वह युवक हो या युवती सभी को संस्कार देने की जरूरत है इसके साथ ही उनके पहनावे पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

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बेटियों को न समझे बोझ

सारथी वेलफेयर सोसाइटी की अध्यक्ष कल्पना पांडेय का कहना है कि हमें अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझना चाहिए। बेटियों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना हम अपने बेटे को देते हैं । इस भेदभाव को समाप्त करने पर हम महिलाओं को सशक्त कर सकेंगे।

कोशिश रहनी चाहिए जारी

बेटियां फाउंडेशन की अध्यक्ष अंजू कहती हैं कि सरकार ने महिलाओं को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं, लेकिन अब भी महिलाओं को उत्थान के लिए कोशिश जारी रहनी चाहिए।

शिक्षा हुई महंगी

बेटियां फाउंडेशन पल्लवपुरम क्षेत्र अध्यक्ष बबीता कटारिया का कहना है कि महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या बच्चों को पढ़ने की है। शिक्षा दिलाना बहुत महंगा हो गया है। इसने सभी परिवारों की चिंता बढ़ा रखी है प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस पर अंकुश लगना चाहिए और सरकार को सभी स्कूलों की फीस स्वयं निर्धारित करनी चाहिए।

प्राइवेट स्कूल कर रहे शोषण

बेटियां फाउंडेशन की सदस्य दीप्ती माहेश्वरी कहती है कि एक ओर सरकार स्कूल चलो अभियान और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दे रही है, जबकि दूसरी ओर प्राइवेट स्कूल मोटी फीस लेकर अभिभावकों का शोषण कर रहे हैं। इसपर अंकुश लगाने की जरूरत है।

रोजगार में महिलाएं पिछड़ी

अधिवक्ता पूजा चौहान कहती है कि रोजगार के क्षेत्र में आज महिलाएं बहुत ही पीछे हैं। सरकारी नौकरियां निकलती हैं, लेकिन उनमें धंधलेबाजी हो जाती है। और परीक्षाएं निरस्त हो जाती है। फिर दोबारा से परीक्षा की तैयारी करना मुश्किल हो जाता है। महिलाओं को पर्याप्त रोजगार देने की जरूरत है तभी वे सशक्त बनेगी।

योजनाएं चलाने की जरूरत

मेरठ बार एसोसिएशन की कनिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य प्रीति रानी का कहना है कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे है। वे देश को विश्व में शीर्ष पटल पर ले जा सकती हैं। उनके उत्थान के लिए और योजनाएं चलाने की जरूरत है। जिससे महिला अपने पैरों पर खड़ी हो सके।

समाज परिवर्तन की ओर

शिक्षाविद डा. दिशा दिनेश का कहना है कि महिलाओं के कंधे पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी होती है। हमें बच्चों को समय और संस्कार दोनों देना चाहिए। पहले लड़कियों को पढ़ने के लिए खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन आज समाज में परिवर्तन आया है। नारी को सशक्त बनाने के लिए लड़कियों को पढ़ने की जरूरत है। कमी बाहर नहीं हमारे घर में है। पहले घर से महिलाओं को मजबूत करना होगा, जब हम पौधे को अच्छे से रोपेंगे तो फल भी निश्चित ही अच्छा होगा।

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