Friday, July 5, 2024
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हस्तिनापुर और सरधना बन सकते हैं पर्यटकों की पसंद

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  • सीएम योगी ने इको टूरिज्म बोर्ड का गठन करने की कही थी बात

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्राकृतिक खूबसूरती हर किसी को लुभाती है। घने जंगल, उनके बीच कल-कल करती नदी का बहता हुआ निर्मल जल और घने जंगलों की नीरवता, कलरव करते पक्षी, उनके पास की जैव विविधता इस आकर्षण को और बढ़ा देती है। यही वजह है कि ऐसी जगह पर्यटकों की पहली पसंद होती है।

इन सभी बातों पर गौर करते हुए हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इको टूरिज्म बोर्ड का गठन करने की बात कही थी। क्योंकि उत्तर प्रदेश तराई का क्षेत्र है और जैविक विविधता के लिहाज से बेहद संपन्न है। यहां मौजूद घने जंगलों की वजह से बाघ, हाथी, हिरण, मगरमच्छ, डाल्फिन और लुप्त प्राय: हो रही पक्षियों की कई प्रजातियों का स्वाभाविक ठिकाना भी है।

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बता दें कि प्रदेश सरकार जिस तरह से पर्यटन के विकास की आकर्षक योजनाओं को अमली जामा पहनाने में लगी हुई है। वहीं, गठित होने वाले इको पर्यटन विकास बोर्ड में मेरठ को भी शामिल करने की आस जग गई है। क्योंकि हस्तिनापुर और सरधना में पर्यटन को अपार संभावनाएं है। प्रदेश में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इको पर्यटन विकास बोर्ड का गठन किया जाएगा।

जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश में इको टूरिज्म स्थलों का विकास और बेहतर प्रबंधन करना होगा। जिस तरह से लखनऊ और बनारस को पहले जोड़ा जा रहा है। उसको देखते हुए मेरठ भी तमाम संभावनाओं को अपने अंदर समेटे हुए हैं। हस्तिनापुर जहां महाभारतकालीन इतिहास अपने अंदर समेटे है वही जैन धर्म का बहुत बड़ा केंद्र भी है।

इसके अलावा हस्तिनापुर का वन क्षेत्र भी आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा सरधना में बेगम समरू का ऐतिहासिक चर्च पर्यटकों को अपनी और आकर्षक कर सकता है। मेरठ में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए मेरठ को भी पर्यटन के नक्शे से जोड़ा जा सकता है। वहीं, मेरठ के दिल्ली और उत्तराखंड के बीच मे होने के कारण कई स्थान देखने योग्य हैं, जो लोग इतिहास में रुचि रखते है उनके लिए परीक्षितगढ़ अच्छा विकल्प हो सकता है।

सरकार के द्वारा बोर्ड बनाने की घोषणा निश्चित रूप से क्रांतिधरा के लिए लाभदायक साबित होगा। वैसे भी हस्तिनापुर को रेल लाइन से जोड़ने की मांग बर्षो से उठ रही है, ताकि इसे पर्यटन के नक्शे से जोड़ा जाए। जिस तरह से बनारस और आगरा में लाखों पर्यटन आते है वैसे ही मेरठ में भी संभावना तलाशी जा रही है। आजादी की पहली लड़ाई का केंद्र काली पलटन मंदिर और विल्वेश्वर का शिव मंदिर भी इसी श्रेणी में आता है। इसके अलावा कई ऐतिहासिक मकबरे भी लोगों को अपने पास बुला सकते है।

इको टूरिज्म ऐसा पर्यटन है जिनमें प्राकृतिक दृश्यों, जीव जंतुओं और वनस्पतियों को देखने के लिए किसी स्थान की यात्रा की जाती है उसे इको टूरिज्म कहते हैं। प्रदेश सरकार की तरफ से आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए ईको टूरिज्म को विकसित किया जा रहा है। आने वाले समय मे अगर मेरठ को इसमे जोड़ा जाता है तो यह वेस्ट यूपी के विकास में नई दिशा तय करेगा।

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