- शुगर से लेकर कैंसर तक के औषधीय पौधों का चला पता
- वन विभाग को सौंपी गई पूरी रिपोर्ट, जल्द काम शुरू होने की उम्मीद
- वन विभाग, आरजी कॉलेज और शोभित विवि के बीच साइन हुआ एमओयू
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महाभारतकालीन हस्तिनापुर अब लोगों के दर्द की दवा बनने जा रहा है। यहां द्रौपदी घाट पर कई ऐसे औषधीय गुणों वाले पौधे मिले हैं जिनसे विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों का इजाल संभव है। इस पर काम शुरू करने के लिए शोभित विवि, आरजी डिग्री कॉलेज और वन विभाग के बीच एमओयू भी साइन हो चुका है।
यहां इन औषधीय पौधों की पहचान कर पूूरी रिपोर्ट वन विभाग को भी सौंप दी गई है। सर्वे के दौरान शोभित विवि के असिस्टेंट प्रो. प्रियंक भारती, आरजी डिग्री कॉलेज की वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रो. अमिता शर्मा और वन विभाग के लोग मौजूद रहे। प्रो. प्रियंक भारती के अनुसार अभी तक 11 प्रकार के औषधीय गुणों वाले पौधों की पहचान की जा चुकी है।
इन बीमारियों में काम आएंगे पौधों के औषधीय गुण
डायबिटीज (शुगर), पाइल्स (बवासीर), कैंसर, लेप्रोसी (कुष्ठ रोग), बुखार, अस्थमा, उल्टी-दस्त, पेट दर्द, दाढ़ दर्द, घाव भरना के लिए, ज्वॉइंट पेन, टूटी हड्डियों को जोड़ने में सहायक।
क्लाइमेट कंडीशन भी माकूल
सर्वे टीम के अनुसार जिन स्थानों पर यह औषधीय गुणों वाले पौधे मिले हैं। वहां क्लाइमेट कंडीशन (वातावरण की परिस्थितियां) बेहतर हैं। चूंकि यह स्थान प्रदूषण रहित है जिसके चलते पौधों को किसी प्रकार के नुकसान की आशंका भी नहीं है।
बूढ़ी गंगा का स्वच्छ जल भी देगा इन्हें ‘संजीवनी’
जिन स्थानों पर यह औषधीय गुणों से युक्त पौधे मिले हैं। वहीं से बूढ़ी गंगा भी गुजर रही है। द्रौपदी घाट भी वहीं है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी स्थिति में जहां स्वच्छ और निर्मल जल की धारा बहती है वहां इस पानी में मौजूद विशेष गुणों का लाभ सीधे पौधों को मिलना भी स्वभाविक है।
वन विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट
हस्तिनापुर में औषधीय गुणों वाले पौधों की पहचान कर इसकी पूरी रिपोर्ट वन विभाग को सौंप दी गई है। यह रिपोर्ट प्रो. प्रियंक भारती ने डीएफओ राजेश कुमार को सौंपी।