- हाड़ कंपा देने वाली ठंड में दिल के मरीज रहे सतर्क
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मौसम का मिजाज बदल गया है और दिन प्रतिदिन ठंड बढ़ने लगी है। ऐसे में बुजुर्गों और दिल के मरीजों को अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए। दरअसल, सर्दियों के मौसम में अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भी हार्ट अटैक पीड़ित मरीजों का संख्या में इन दिनों इजाफा हो रहा है। जिले में सर्दी बढ़ने के साथ ही जिला अस्पताल में 24 घंटे में 15 से 20 मरीज आ रहे हैं।
ऐसे में दिल के मरीजों को अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। हार्ट रोग विशेषज्ञ डा. ममतेश ने बताया कि सूरज की रोशनी से मिलने वाला विटामिन-डी, हृदय में स्कार टिशूज को बनने से रोकता है। जिससे हार्ट अटैक के बाद हार्ट फेल में बचाव होता है। सर्दियों के मौसम में सही मात्रा में धूप नहीं मिलने से विटामिन-डी के स्तर को कम कर देता है, जिससे हार्ट फेल का खतरा बढ़ जाता है।
दिल की बीमारी वाले लोगों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना चाहिए। रोजाना व्यायाम सेहत के लिए फायदेमंद होगा। इसके साथ ही रक्तचाप की जांच समय-समय पर कराते रहें। ज्यादा परेशानी होने पर स्वयं से कोई दवा न लें। चिकित्सक के परामर्श के बाद ही कोई दवा लें।
ठंड में बढ़ जाते हैं हार्ट फेलियर के चांस
सर्दी में कई बार हमारे शरीर को आवश्यकता के अनुसार आॅक्सीजन और पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने के हिसाब से बॉडी में पर्याप्त मात्रा में खून पंप नहीं हो पाता है, जिस वजह से जिनका दिल पहले से कमजोर है, उन मरीजों को सांस की तकलीफ हो जाती है। ठंड के मौसम में तापमान कम हो जाता है। इस कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं। जिससे शरीर में खून का संचार अवरोधित होता है। इससे हृदय तक आॅक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
हृदय को शरीर में खून और आॅक्सीजन पहुंचाने के लिए अतिरिक्त श्रम करना पड़ता है। ठंड के मौसम में धुंध और प्रदूषक जमीन के और करीब बैठ जाते हैं। जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और सांस लेने में परेशानी पैदा हो जाती है। ऐसे में हार्ट के मरीजों को इससे परेशानी होती है। ठंड में पसीना कम निकलता है और यही वजह है कि फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है जिस वजह से भी हार्ट फेल हो जाता है।
बुजुर्गों का रखें विशेष ध्यान
हार्ट रोगियों में ठंड के दिनों में बढ़ोत्तरी हुई है। इन दिनों जिला अस्पताल में इमरजेंसी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। 60 वर्ष की आयु के बुजुर्गों एवं हार्ट रोगियों का ठंड में विशेष ध्यान रखना चाहिए। घर में व्यायाम करें और धूप का सेवन करें। चिकित्सकों का कहना है कि कई लोग हार्ट में दर्द होने पर गैस समझ कर गोली खाकर नजरअंदाज कर देते हैं और फिर तीन-चार दिन बाद दर्द अधिक होने पर चिकित्सक को दिखाते हैं। ऐसे में परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है। छाती में दर्द होने पर तुरंतत चिकित्सक को दिखाएं लापरवाही बिल्कुल न करें।
दिल के मरीज रखें इन बातों का ख्याल
- चिकित्सकों के अनुसार दिल और रक्तचाप के मरीज सुबह एकदम ठंड में बाहर मॉर्निंग वॉक के लिए न जाएं।
- बिस्तर से उठने से पहले गर्म कपड़े पहनें और थोड़ा व्यायाम करते हुए उठे। सर्दी के मौसम में सिर, हाथ ,पैर को पूरी तरह से ढंककर चलें, ताकि सर्द हवाएं आपके भीतर न जा सकें।
- ठंड में उच्च रक्तचाप और दिल के मरीज सुबह की सैर से बचें और हो सके तो शाम को टहलें या व्यायाम करे। इस तरह रोगियों को इतना चलना या व्यायाम करना चाहिए कि उनके शरीर से पसीना निकलने लगे।
- हार्ट रोगियों को सर्दी में अधिक चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। क्योंकि सर्दी में दिल को अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जो कभी-कभी उस पर भारी पड़ जाती है।
- लोगों के मन में एक गलतफहमी रहती है कि सर्दी के दिनों में गर्म चीजें जैसे गुड़ से बनी गजक आदि खाने से सर्दी नहीं लगेगी, लेकिन ऐसा नहीं है। ऐेसा करने से आपको कुछ देर के लिए भले ही सर्दी से राहत मिले, लेकिन बाद में रक्तचाप और ब्लड शुगर बढ़ सकता है, जो नुकसानदेह होता है।
- रक्तचाप और दिल के मरीजों को सात से आठ की नींद लेने चाहिए ताकि तनाव से बचें रहें। साथ ही सर्दी में शरीर और कानों को गर्म कपड़ें से ढक कर रखें क्योंकि जरा सी लापरवाही परेशानी का कारण बन सकती है।
- ठंड में उच्च रक्तचाप और दिल के मरीज सुबह की सैर से बचें और हो सके तो शाम को टहलें या व्यायाम करे। इस तरह रोगियों को इतना चलना या व्यायाम करना चाहिए कि उनके शरीर से पसीना निकलने लगे। ठंड के मौसम में धुंध और प्रदूषक जमीन के और करीब बैठ जाते हैं।
जिससे छाती में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और सांस लेने में परेशानी पैदा हो जाती है। ऐसे में हार्ट के मरीजों को इससे परेशानी होती है। ठंड में पसीना कम निकलता है और यही वजह है कि फेफड़ों में पानी जमा हो जाता है जिस वजह से भी हार्ट फेल हो जाता है। -डा. ममतेश गुप्ता, कॉर्डियोलोजिस्ट