Tuesday, July 9, 2024
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उपेक्षा का शिकार हो रहा विक्टोरिया पार्क का ऐतिहासिक स्मारक

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  • आजादी की पहली क्रांति का बिगुल इस जगह से बजा था
  • जेल तोड़कर निकले 85 क्रांतिकारियों का गवाह
  • स्मारक बर्बादी के कगार पर, टाइल्स टूटी
  • मैदान को बर्बाद कर दिया प्रशासन ने

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: 1857 की क्रांति का बिगुल भले ही मेरठ से बजा हो, लेकिन आजादी की लड़ाई की तमाम यादों को अपने अंदर समेट कर रखने वाला विक्टोरिया पार्क इस वक्त प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया है। देश के 85 महान क्रांतिकारियों को जब जेल तोड़कर निकाला गया था तब आजादी का बिगुल यहीं से बजा था। प्रशासन ने क्रांतिकारियों की याद में आजादी मिलने के 59 साल बाद एक स्मारक तो बनवा दिया, लेकिन उसका रखरखाव फिलहाल नहीं हो रहा है और स्मारक की हालत खराब हो रही है। वहीं प्रशासनिक उपेक्षा के कारण पूरा मैदान मतदान ड्यूटी में आई बसों के कारण बर्बाद हो गया है।

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विक्टोरिया पार्क के साथ इतिहास और शहर की तमाम यादें जुड़ी हुई है। मेरठ कालेज के आधिपत्य वाले विक्टोरिया पार्क में 2006 में तत्कालीन कमिश्नर देवदत्त शर्मा और डीएम मुकेश मेश्राम ने ऐतिहासिक स्मारक बनवाया था। इसमें उन 85 क्रांतिकारियों का शिलापट्ट लगाया गया था जिनको अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने के लिये जेल को तोड़कर निकाला गया था।

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दरअसल मेरठ से ही आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी और उस दौरान विक्टोरिया पार्क एक महत्वपूर्ण स्थल हुआ करता था। विक्टोरिया पार्क स्थित नई जेल में बंद 85 क्रांतिकारी सिपाहियों को 10 मई 1857 की शाम तीसरी अश्व सेना के सिपाहियों ने जेल तोड़कर आजाद कराने के बाद पार्क में स्थित मंच से आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाया था।

इसी स्थान पर नवंबर 1947 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आखिरी अधिवेशन भी हुआ था। इस मंच पर गुलाम भारत में कांग्रेस के अंतिम अधिवेशन का आयोजन किया गया था। इस अधिवेशन में घोषणा की गई थी अगला अधिवेशन आजाद भारत में होगा। विक्टोरिया पार्क का यह ऐतिहासिक मंच आज सुरक्षा और संरक्षण के अभाव में जर्जर होने लगा है।

बदसूरत हुआ मंच

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मंच के आसपास सौंदर्यीकरण के लिए लगाई गई टाइल्स, लाइट्स नष्ट हो गई है। रोज स्मारक की सीढ़ियों पर लोग आराम फरमाते हैं। नगर निगम की तरफ से इस मंच की साफ-सफाई का जिम्मा लेकर नियमित रूप से सफाई कर्मचारी भी तैनात किए हैं, लेकिन हकीकत में मंच पर सप्ताह भर तक सफाई नही होती जिस कारण से मंच का दायरा भी गंदगी से अटा रहता है। मंच की सीढ़ियों से टाइल्स टूटकर गिर गए हैं। दीवारों के टाइल्स टूटने के बाद दोबारा नहीं लगाए गए है। मंच के अंदर गंदगी भरी पड़ी है और उसके रखरखाव को लेकर कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है।

एक कर्मचारी के हवाले गेट

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गेट पर एक कर्मचारी जरूर रहता है, लेकिन वो मामूली पूछताछ के बाद लोगों को अंदर जाने की अनुमति दे देता है। गत नौ फरवरी को मतदान के लिये बूथों पर जाने वाली बसों को इस पार्क में खड़ा किया गया था। बारिश होने के कारण इस पार्क में गड्ढे हो गए हैं और एथलीटों के लिये बनाया गया 400 मीटर का ट्रैक नष्ट हो गया। हैरानी की बात यह है कि इस मंच के रखरखाव के लिये नगर निगम और एमडीए पहल नहीं कर रहे हैं और अगर यही रवैया रहा तो आने वाले वक्त में इस मंच की हालत और खराब हो जाएगी।

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