- वृद्धि योग में रंग कल, भद्रा प्रात: 9.56 से आरंभ होकर मध्य रात्रि 11.13 बजे तक रहेगी
- भद्रा समाप्ति के बाद रात्रि 11:13 मिनट से 12:33 मिनट के मध्य होगा होलिका दहन मुहूर्त
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रविवार 24 मार्च सुबह करीब साढ़े नौ बजे तक चतुर्दशी रहेगी। फिर पूर्णिमा शुरू हो जाएगी, जो सोमवार 25 मार्च को दोपहर 12:30 बजे तक रहेगी। होलिका दहन 24 मार्च रविवार को होगा। उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि सुबह 9:56 से प्रारंभ होगी और वह तिथि 25 मार्च सोमवार को दोपहर 12:30 पर समाप्त होगी। फाल्गुन पूर्णिमा को भद्रा रहित प्रदोष काल में होलिका दहन मुहूर्त होता है। होलिका दहन इस बार 24 मार्च को है और इस बार होलिका दहन में अशुभ भद्रा योग बाधक रहेगा।
पंचांग के अनुसार भद्रा 24 मार्च को प्रात: 9:56 मिनट से आरंभ होगी और रात्रि 11:13 को समाप्त हो जायेगी। उसके उपरांत ही रात्रि 11:13 बजे से 12:33 बजे के मध्य होलिका दहन होगा। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि 24 मार्च को भद्रा रात 11:13 तक है, इसलिए होलिका दहन उसके बाद ही होगा।
होलिका दहन के समय सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। होलिका दहन वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:34 से शुरू होगा और यह अगले दिन होली को सुबह 6:19 तक मान्य है। सर्वार्थ सिद्धि एक शुभ योग है, जिसमें आप कार्य करते हैं तो सफल सिद्ध होगा यह योग अत्यंत फलदायी माना जाता है।
होलिका दहन पूजा की विधि
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि होलिका दहन पूजा करने से पहले स्नान करना जरूरी है। स्नान करने के बाद आप होलिका दहन की पूजा वाली जगह पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर घूमकर करके बैठ जाएं। पूजा के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा को बनाएं।
पूजा की सामग्री के लिए रोली, कच्चा सूत, फूल, फूलों की माला, हल्दी, मूंग, बताशे, गुड़, साबुत, गुलाल, नारियल सहित अनाज और एक लोटे में पानी रख लें। सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा कर मिठाइयां और फल चढ़ाएं। होलिका की पूजा के दौरान ही भगवान नरसिंह की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा करने के बाद सात बार होलिका के चारों ओर परिक्रमा करें।
उपछाया चंद्रग्रहण का भारत में नहीं होगा प्रभाव
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि 25 मार्च 2024 को ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है। इसका कोई सूतक भारत में नहीं लगेगा। इसका कोई प्रभाव भारत में नहीं है। यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आने वाला है इसलिए सूतक काल का भी प्रभाव मान्य नहीं होगा। किसी तरह का कोई परहेज गृहस्थियों और गर्भवती महिलाओं को करने की आवश्यकता नहीं है।
दो दिन रहेगी फाल्गुन पूर्णिमा
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा 24 और 25 मार्च को रहेगी, लेकिन होलिका दहन 24 मार्च की रात में ही किया जाएगा। होलिका दहन रात में किया जाता है और 24 मार्च की रात पूर्णिमा रहेगी,
जबकि 25 मार्च की दोपहर करीब 12 बजे तक ही पूर्णिमा तिथि है। इसलिए 24 मार्च की रात में होलिका दहन किया जाएगा। फाल्गुन मास की पूर्णिमा 25 मार्च की दोपहर करीब 12 बजे खत्म होगी। और इसके साथ ही होलाष्टक भी खत्म हो जाएंगे।
आगामी वर्ष का भविष्य भी तय करेगा होलिका दहन
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि होलिका दहन शाम को गोधूलि बेला के समय से शुरू होगा, इस दिन होलिका दहन के दौरान हवा की दिशा से तय होगा कि आगामी एक वर्ष तक का समय व्यापार, कृषि, वित्त, शिक्षा व रोजगार आदि के लिए कैसा होगा। दंत कथाओं के अनुसार होलिका जलने पर जिस दिशा की ओर धुआं उठता है, उससे भविष्य का हाल जाना जाता है।
ज्योतिषि के अनुसार होलिका जलने पर जिस दिशा की ओर धुआं उठता है, उससे भविष्य का हाल जाना जाता है। प्रचलित दंत कथाओं में भी बताते हैं कि होलिका दहन के समय अग्नि लौ अगर आसमान की तरफ उठे तो आगामी होली तक सब कुछ अच्छा रहता है। होलिका दहन की लौ पूर्व की ओर उठती है तो इससे आने वाले समय में धर्म, अध्यात्म, शिक्षा व रोजगार के क्षेत्र में उन्नति के अवसर बढ़ते हैं। लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। पश्चिम की ओर होलिका दहन की अग्नि की लौ उठे तो पशुधन को लाभ होता है।
आर्थिक प्रगति होती है। हालांकि थोड़ी प्राकृतिक आपदाओं की आशंका रहती है पर कोई बड़ी हानि नहीं होती है। कृषि क्षेत्र में लाभ-हानि बराबर रहते हैं। उत्तर की ओर हवा का रुख रहने पर देश व समाज में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिशा में कुबेर समेत अन्य देवताओं का वास होने से आर्थिक प्रगति होती है। चिकित्सा-शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान होते हैं। होलिका दहन के वक्त हवा का रुख दक्षिण की ओर हो तो अशांति व क्लेश बना रहता है, झगड़े-विवाद होते हैं। आपराधिक मामलों में वृद्धि होती है, परंतु न्यायालयीन मामलों में निपटारे भी तेजी से होते हैं।