Friday, July 5, 2024
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इस बजट से आदमी को हैं बड़ी उम्मीदें

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Nazariya 19

Dr Shrinaath Sahayकेंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी 1 फरवरी को अपना चौथा बजट पेश करेंगी। बढ़ती बेरोजगार, मंहगाई और कोरोना के चलते बदले आर्थिक परिदृश्य के बीच ये बजट अहम साबित होने वाला है। मोदी सरकार के सामने एक साथ कई चुनौतियां है। जहां कोरोना ने अर्थव्यवस्था को हिला रखा है, वहीं पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं, ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बजट के पिटारे से क्या निकलता है। क्या आगामी केंद्रीय बजट 2022 मौजूदा आयकर दरों में कोई बदलाव लाएंगी? ऐसे में इस बार उम्मीद है कि सरकार कोई बड़ी घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, रक्षा, हॉस्पिटैलिटी और एमएसएमई सेक्टर समेत अन्य क्षेत्रों के लिए कोरोना के दौर में बड़ी घोषणाएं और राहत पैकेज का एलान किया जा सकता है। इस बार के बजट में करदाताओं को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कुछ छूट या राहत की उम्मीद है। बजट में करदाता वित्त मंत्री से कुछ छूट या राहत की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि कुछ वर्षों से स्लैब में बदलाव नहीं किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्लैब में बदलाव से खरीदारों के हाथों में अधिक तरलता आएगी। यदि सरकार खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए कर दरों में कमी करती है, तो यह बाजार को फिर से जीवंत करेगा। इससे आवास और उच्च उत्पादों की मांग बढ़ेगी। लेकिन बाजार में तरलता की अधिकता होने पर आरबीआई के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इससे महंगाई बढ़ने की आशंका बनी रहती है। बजट 2022 से वेतन भोगियो को इस बार बड़ी उम्मीदें हैं। दरअसल, इनके लिए इस समय धारा 16 के तहद स्टैंडर्ड डिडक्शन की रकम 50,000 रुपये निर्धारित है। लंबे समय से इसको बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की मांग की जा रही है। वेतन भोगियों को उम्मीद है की इसको बढ़ाया जाए। इसे बढ़ाए जाने से वेतन भोगियो को सीधा-सीधा कर लाभ होगा।

कोरोना के चलते बीते दो साल में हेल्थ सेक्टर पर काफी फोकस बढ़ा है। बजट 2022 से उम्मीदें हैं कि लाइफ इंश्योरेंस को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी से बाहर किया जा सकता है और इंश्योरेंस सेक्टर के लिए कोई एक लिमिट बढ़ाई जा सकती है। लाइफ इंश्योरेंस और मेडिक्लेम इंश्योरेंस दोनों को नई कैटेगरी के तहत जोड़ा जा सकता है या फिर 80सी की लिमिट का ओवरआल बढ़ाया जा सकता है। ऐसा होने पर लगभग ज्यादातर करदाताओं को बड़ा फायदा होगा। घरेलू आटोमोबाइल सेक्टर पिछले दो दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश के कुल जीडीपी में आटोमोबाइल सेक्टर का योगदान 7.5 प्रतिशत है, जबकि यह प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर 10 लाख लोगों को रोजगार देता है। इस क्षेत्र को नए निवेश के लिए तैयार करने के लिए भी प्रोत्साहन चाहिए। खास तौर पर आटोमोबाइल सेक्टर में एक समान टैक्स लगाने की व्यवस्था भी लागू करने की मांग हो रही है। आॅटोमोबाइल सेक्टर ईवीएस के पक्ष में है। आॅनलाइन कार खरीद-बिक्री प्लेटफॉर्म ड्रूम टेक्नोलॉजी लिमिटेड के सीईओ एमआर संदीप अग्रवाल ने कहा कि पिछले 2 दशकों में आॅटोमोबाइल क्षेत्र में जबरदस्त विकास और परिवर्तन हुआ है। कोविड के बाद, हमने देखा है कि भौतिक संपर्क से बचने के कारण आॅटोमोबाइल खरीद और बिक्री तेज गति से आॅनलाइन हो रही है। ऐसे में उम्मीद है कि आॅटोमोबाइल उद्योग के नियमों का डिजिटलीकरण जारी रहेगा। हमें उम्मीद है कि सरकार ईवी मांग को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश करेगी।

बाजार के जानकारों के मुताबिक मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं के माध्यम से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए बड़े धमाकेदार सुधारों पर सरकार के मजबूत फोकस के साथ यह एक बड़ा प्लस प्वॉइंट है और इससे उम्मीदें अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस सरकार को खर्च और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष डिस्पोजेबल आय को बढ़ावा देना चाहिए। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि मौजूदा हालात में आर्थिक सुधारों में तेजी लाने, उद्यमिता को बढ़ावा देने और करदाताओं को राहत देने के मकसद से वित्त मंत्री बजट में अहम घोषणाएं कर सकती हैं। कोरोना महामारी के चलते कई लोगों के रोजगार छिन गया तो कई की आय बिल्कुल कम हो गई। ऐसे में आम लोग बजट 2022 को उम्मीदों से देख रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान कई कोरोना मरीजों व उनके परिवारों को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, कंपनियों, दोस्तों व समाज सेवकों से वित्तीय सहायता मिली लेकिन बहुत से लोगों को यह पूरी लड़ाई अपने बूते लड़नी पड़ी। इसे लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे लोगों को कोरोना के इलाज पर हुए खर्च पर डिडक्शन का फायदा देने पर सरकार विचार कर सकती है।

उम्मीद है कि, इस बजट 2022 में, सरकार यह तय कर सकती है कि करदाताओं को किस हद तक कर छूट मिलेगी या अगले वित्तीय वर्ष के लिए कर ढांचे में क्या बदलाव किए जाएंगे। बजट में शिक्षा और देश के बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने को लेकर भी घोषणाएं की जा सकती हैं। इस बजट में यह भी देखा जाएगा कि सरकार उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क, आयात शुल्क, किसी भी चीज पर उपकर बढ़ाती या घटाती है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि ये बजट मोदी सरकार के लिए परीक्षा साबित होगा, क्योंकि उसे एक साथ कई मोर्चों और चुनौतियों के मद्देनजर एक संतुलित, विकासशील और आम आदमी को खुश करने वाला बजट पेश करने का भारी दबाव जो है।


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