- बैरंग लौट रहे मरीज, पैथोलॉजी में नि:शुल्क होने वाली अहम् जांचों पर लगा ब्रेक, बढ़ी परेशानी
- मरीजों को प्राइवेट पैथोलॉजी लैब पर करानी पड़ रही जांचें
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जिला अस्पताल की व्यवस्था में तेजी से बीमारियां फैलती जा रही हैं। अभी आॅक्सीजन प्लांट ठीक न होने से मरीजों की परेशानियां दूर नहीं हुर्इं कि अब इस अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में हार्मोन एनालाइजर मशीन भी बीमार हो गया है। उक्त पैथोलॉजी में इस मशीन से होने वाली विभिन्न अहम् जांचों को बंद कर दिया गया। अब मरीजों को उक्त जांचें प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में मोटे पैसे देकर करानी पड़ रही हैं।
जिला अस्पताल की पैथोलॉजी लैब में करीब एक दशक पूर्व हार्मोन एनालाइजर मशीन खरीदकर मरीजों को थायराइड समेत हार्मोन्स और अनेक विटामिन्स की जांचों की सुविधा शुरू की थी। इजराइल की एक नामी कंपनी की उक्त मशीन ने कई वर्ष अच्छा कार्य किया। इस मशीन की कई वर्ष की गारंटी थी। जब तक गारंटी थी, तब तक निर्माता कंपनी ने इसकी देखरेख की। इसके बाद 2017-18 में इसकी मेंटीनेंस के लिए एक प्राइवेट कंपनी को ठेका दिया गया। अस्पताल के सूत्रों के अनुसार उक्त कंपनी ने शुरू में अच्छी देखभाल की, लेकिन बाद में उन्होंने इसकी मेंटीनेंस पर ध्यान नहीं दिया। लाखों की कीमत वाली यह मशीन करीब एक सप्ताह से खराब है। इसकी सूचना पैथोलॉजी लैब के प्रभारी डा. विक्रम ने अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. सुदेश कुमारी को दी।
उन्होंने मेंटीनेंस करने वाली कंपनी को सूचित किया और इसे शीघ्र ठीक करने का आग्रह किया। कंपनी के इंजीनियर हाल ही में अस्पताल पहुंचे और मशीन की जांच पड़ताल की। टीम ने मशीन का एक सेंसर खराब होने और उसे शीघ्र मंगाकर मशीन को चालू करने का भरोसा दिलाया, लेकिन करीब एक सप्ताह में उक्त सेंसर नहीं आया। खास बात ये है कि जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में होने वाले सभी टेस्ट नि:शुल्क होते हैं। उक्त मशीन से हर माह करीब दो से ढाई हजार टेस्ट किए जाते हैं। ये टेस्ट एक सप्ताह से बंद पड़े हैं। टेस्ट कराने के पैथोलॉजी में आने वाले मरीजों को मायूसी हाथ लगती है और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है। मरीजों को मजबूरन प्राइवेट पैथोलॉजी लैब में मोटे पैसे खर्च करके जांचें करानी पड़ रही हैं।
सेंसर आने पर मशीन चालू हो जाएगी: डा. विक्रम
जिला अस्पताल की पैथोलॉजी लैब के प्रभारी डा. विक्रम का कहना है कि हार्मोन्स एनालाइजर मशीन की मेंटीनेंस करने वाली कंपनी को एक सप्ताह पूर्व मशीन खराब होने के बाद अवगत कराया था। वहां से टीम ने आकर जांच की और सेंसर खराब बताया था। इसके बाद भी लगातार कंपनी से संपर्क करके मशीन को चालू करने का आग्रह किया जा रहा है। उक्त कंपनी द्वारा दो चार दिन में सेंसर आने और मशीन को चालू करने का भरोसा दिया गया।