- प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी के पत्र से मची खलबली
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गन्ना क्रेशर पर गन्ना विभाग पहरेदारी करेगा। क्रेशरों पर गन्ने की पैराई तब तक नहीं होने दी जाएगी, जब तक चीनी मिल नहीं चलेंगे। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के इस फरमान के बाद वेस्ट यूपी में क्रेशर मालिकों में उबाल आ गया हैं। किसान भी आक्रोशित हो गए हैं। गेहूं की बुवाई दीपावली पर करने के लिए गन्ने के खेत को खाली करने के लिए क्रेशर पर गन्ना डाल दिया जाता था।
इसमें किसान को राहत मिल जाती थी। हालांकि गन्ना मूल्य कम मिलता था, मगर गेहूं की अगेती बुवाई हो जाती थी। प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के इस फरमान का विरोध आरंभ हो गया हैं। भाजपा के नेता ही प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त के खिलाफ दो दिन बाद सड़क पर आकर प्रदर्शन करेंगे, जिसके बाद भाजपा की खासी किरकिरी हो सकती हैं। यह सरकार का निर्णय किसान विरोधी हैं।
चीनी मिल एक तो विलंब से चलाये जाते हैं, फिर समय से किसान को पर्ची भी नहीं मिल पाती हैं। इसी वजह से किसान गेहूं की बुवाई समय से नहीं कर पाता हैं। छोटे किसान क्रेशन पर ही अपना गन्ना डालते थे। एक तरफ तो खांडसारी इकाई को बढ़ावा देने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। मेरठ में ही 17 लाइसेंस दिये गए। वहीं, दूसरी ओर प्रदेश सरकार ने चीनी मिल मालिकों के दबाव में आकर क्रेशरों के संचालन पर सवाल उठाते हैं।
प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय और भूसरेड्डी के पत्र से क्रेशर एवं खांडसारी इकाइयों के मालिकों में खलबली मचा दी है। उन्होंने उप गन्ना आयुक्त मेरठ को जो पत्र लिखा है, उसमें कहा है कि खांडसारी की एक भी इकाई तब तक नहीं चलनी चाहिए जब तक चीनी मिल चालू नहीं हो जाते। इस पत्र के आशय से यह स्पष्ट हो रहा है कि चीनी मिल मालिकों और ने यह दबाव गन्ना क्रेशर पर बनाने के लिए इस तरह का कदम उठाया जा रहा है।
दरअसल, गन्ना क्रेशर आमतौर पर दीपावली पर चालू कर दिए जाते थे। क्योंकि गन्ना काटकर गेहूं बोने का कार्य किसान करता है, जिसके चलते अपने गन्ने के खेत को किसान अति शीघ्र खाली कर गेहूं की बुवाई करने का काम करता है। क्योंकि दीपावली के तत्काल बाद गेहूं की बुवाई भी आरंभ हो जाती है।
इसी को दृष्टिगत रखते हुए बड़ी तादाद में किसान अपना गन्ना क्रेशर पर डालते हैं। गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी के पत्र के बाद पश्चिमी यूपी के किसान आंदोलित हो गए हैं। किसान ही नहीं, बल्कि क्रेशर मालिक भी इसको मुद्दा बना रहे हैं। क्योंकि खांडसारी इकाई के अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा कर गन्ना क्रेशर को बंद करा रहे हैं। इससे टकराव के हालात पैदा हो गए हैं।
गन्ना आयुक्त के आदेश का व्यापक विरोध होगा: मनिंदरपाल
भाजपा नेता एवं कॉपरेटिव बैंक के चेयरमैन मनिंदर पाल चौधरी ने कहा है कि गन्ना विभाग का क्रेशरोंपर अंकुश लगाने का फैसला गलत है। एक तरफ तो क्रेशर चलाने के लिए लाइसेंस दिए जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर चीनी मिलों के दबाव में आकर काम किया जा रहा है। गन्ना क्रेशर को बंद करने का काम चीनी मिल मालिकों के दबाव में किया जा रहा है।
इसका विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि क्रेशर मालिकों को क्रेशर चलाने नहीं दिया तो शनिवार को हजारों क्रेशर मालिक और किसान कमिश्नर आॅफिस पहुंचेंगे और कमिश्नर का घेराव करेंगे। कमिश्नरी आॅफिस पर धरना प्रदर्शन कर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि क्रेशर मालिक को जब लाइसेंस दे दिया गया है
तो फिर उसके गन्ने की पेराई पर रोक क्यों लगाई जा रही है? इसमें सरकारी स्तर पर क्रेशर मालिकों का उत्पीड़न किया जा रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मिल मालिकों के दबाव में आकर इस तरह का निर्णय गन्ना विभाग के आला अफसर ले रहे हैं, जिनका सड़क पर आकर विरोध किया जाएगा।