- एनजीटी के आदेश बेमानी, एमडीए के इंजीनियर ही लगा रहे पलीता
- एमडीए के इंजीनियरों की छत्र-छाया में फल-फूल रहे ओयो होटल
- बिना मानचित्र स्वीकृति के बन गए होटल, नहीं होती कोई सख्त कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनजीटी की तमाम सख्ती पर एमडीए के इंजीनियर पलीता लगा रहे हैं। एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट पर बने निर्माणों को तोड़ने के आदेश दिये हैं, लेकिन यहां तो इंजीनियर ही ग्रीन बेल्ट पर निर्माण दर निर्माण करा रहे हैं। परातपुर से मोदीपुरम तक ग्रीन बेल्ट में तमाम अवैध निर्माण कर लिये गए हैं। कहीं पर होटल बनकर तैयार हो गए है तो कहीं पर दुकानों का निर्माण कर दिया गया है। इनका किसी का भी मानचित्र स्वीकृत नहीं हैं। ओयो होटल भी बिना मानचित्र स्वीकृति के बन गए हैं, लेकिन इन पर कोई कार्रवाई एमडीए की तरफ से नहीं की गई।
आखिर ओयो होटल पर एमडीए के इंजीनियर इतने मेहरबान क्यों हैं? एक-दो नहीं, बल्कि दर्जन भर से ज्यादा ओयो होटल बागपत बाइपास के इर्द-गिर्द बन गए हैं। बिना मानचित्र स्वीकृति के ओयो होटल कैसे बनने दिये गए? इसके लिए जिम्मेदार इंजीनियरों पर एमडीए के अधिकारियों ने कार्रवाई क्यों नहीं की? इससे स्पष्ट होता है कि इसके पीछे बड़ा खेल चल रहा हैं। एनजीटी के आदेश के बावजूद ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण कराये जा रहे हैं।
एनएच-58 पर स्थित एक होटल हाल ही में ग्रीन बेल्ट में बनकर तैयार हो गया हैं। एमडीए इंजीनियरों ने अपनी गर्दन बचाने के लिए आॅन रिकॉर्ड सरकारी दस्तावेजों में ग्रीन बेल्ट में निर्माणाधीन होटल के ध्वस्तीकरण के आदेश पारित कर दिये, लेकिन मौके पर इस होटल पर एमडीए का बुलडोजर नहीं चलाया जा रहा हैं। आखिर क्यों? कहीं न कहीं इंजीनियरों की इस होटल व्यवसायी को संरक्षण मिल रहा हैं।
कम से कम शहर में भले ही अवैध निर्माण चल रहे हो, मगर एनजीटी के आदेश का पालन ग्रीन बेल्ट में तो होना चाहिए। ग्रीन बेल्ट के निर्माणों के बचाव में एमडीए इंजीनियर क्यों काम कर रहे हैं, यह समझ नहीं आ रहा हैं। कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह खुद कह चुके है कि ग्रीन बेल्ट में निर्माणाधीन होटल को गिराया जाए, लेकिन इंजीनियर है कि होटल व्यापारी को संरक्षण दे रहे हैं।
तीन वर्ष पुराने निर्माणों पर भी होगी कार्रवाई
प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी ने इंजीनियरों की मीटिंग में स्पष्ट किया है कि तीन वर्ष पुराने अवैध निर्माणों की सूची तैयार की जाए। इसके बाद एक-एक कर तमाम अवैध निर्माणों पर सीधे कार्रवाई की जाए। एमडीए उपाध्यक्ष के सख्त रुख के बाद इंजीनियरों में हड़कंप मचा हुआ है। इंजीनियर अब अपने-अपने जोन में सर्वे कर तीन वर्ष पुराने निर्माणों की सूची तैयार कर रहे हैं, ताकि ऐसे निर्माणों को ध्वस्तीकरण की सूची में डाला जा सके।
जैन शिकंजी पर चलेगा एमडीए का बुलडोजर
सुभारती से पहले एनएच-58 पर बनाई गयी जैन शिकंजी की बिल्डिंग पर एमडीए इंजीनियरों का बुलडोजर चलेगा। सरकारी दस्तावेजों में एमडीए इंजीनियरों ने इसके ध्वस्तीकरण के आदेश कर दिये हैं। क्योंकि जैन शिकंजी की बिल्डिंग भी ग्रीन बेल्ट में बना दी गई है। इसकी शिकायत भी कुछ लोगों ने की हैं, जिसके बाद ही एमडीए इंजीनियरों ने ग्रीन बेल्ट में बनी जैन शिकंजी की बिल्डिंग को गिराने के आदेश तो कर दिये, मगर अभी गिराने के लिए फोर्स की मांग नहीं की हैं।
फिलहाल एमडीए इंजीनियर जान-बूझकर जैन शिकंजी की बिल्डिंग की फाइल को दबाये हुए हैं। हालांकि प्राधिकरण उपाध्यक्ष मृदुल चौधरी स्पष्ट कर चुके है कि तमाम अवैध निर्माणों पर निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई करें। उपाध्यक्ष की चेतावनी के बाद भी एमडीए के इंजीनियर बाज नहीं आ रहे हैं।
हाइवे निर्माण की कमिश्नर ने की समीक्षा
मेरठ: कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने मंडल के जनपदों में संचालित विभिन्न भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के महत्वपूर्ण एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्टस की प्रगति की समीक्षा वीडियो कांफ्रेंस द्वारा की गई। इसमें मुख्य रूप से दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे, राष्ट्रीय राजमार्ग 235 मेरठ-बुलंदशहर, राष्ट्रीय राजमार्ग 58 मेरठ मुजफ्फरनगर, राष्ट्रीय राजमार्ग 119 मेरठ-नजीबाबाद, राष्ट्रीय राजमार्ग 334ु मेरठ-बागपत, और राष्ट्रीय राजमार्ग 709ए मेरठ-शामली सेक्शन, दिल्ली देहरादून इकोनामिक कॉरिडोर और मेरठ-गढ़मुक्तेश्वर फोरलेन परियोजनाओ में आ रही समस्याओं पर चर्चा करते हुए उनके शीघ्र समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए।
ये दिये निर्देश
समीक्षा से यह पाया गया कि मेरठ-नजीबाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-119 के निर्माण की परियोजना में ग्राम अमहेड़ा आदिपुर, मुजफ्फरपुर सैनी, नंगला ईशा, मवाना खुर्द, भैंसा, कोल एवं झुनझुनी में कुल मिलाकर 18 प्रकरणों में भूमि पर कब्जा प्राप्त नहीं हुआ है, के संबंध में मंडलायुक्त द्वारा कड़ी अप्रसंता व्यक्त करते हुए अपर जिलाधिकारी (भूमि अध्यापति) मेरठ एवं उप जिलाधिकारी मवाना को सचेत किया गया कि लंबित मामलों का तत्परता से निस्तारण सुनिश्चित करें और वांछित भूमि का कब्जा निर्माण एजेंसी को उपलब्ध कराएं।