Friday, March 29, 2024
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हुजूर! नौ वर्षों से नलकूपों से फ्री मिल रहा है पानी

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  • पहले से ही सहकारी समितियों से तीन प्रतिशत फसली कर्ज मिलता है किसानों को

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कमाल है…! नलकूपों से मुफ्त पानी देने की सौगात किसानों को देने की सरकार ने घोषणा की हैं। ऐसा ऐलान कर सरकार ने किसानों को लुभाने की कोशिश की हैं, मगर हकीकत क्या हैं? हम आपको बताते हैं। नलकूपों से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पहली बार किसानों के खेतों को पानी मुफ्त नहीं दे रही हैं, बल्कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार से ही किसानों को नलकूपों से फ्री पानी सिंचाई के लिए मिल रहा है।

नलकूपों से भी निशुल्क पानी मिल रहा है तथा नहरों से भी। सपा सरकार ने ही किसानों को फ्री पानी देने का तोहफा दिया था, जिसके बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बने तो उन्होंने भी अपने पहले ही बजट में सपा सरकार जो फ्री पानी किसानों को दे रही थी, उसी को आगे बढ़ा दिया था।

पिछले नौ वर्षों से किसानों को नलकूपों व नहर का पानी मुफ्त मिल रहा है। इसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पानी मुफ्त देने की कोई नई घोषणा नहीं की हैं। रही बात सहकारी समितियों से रियायती दर पा कर्ज देने की बात तो वह भी सहकारी समितियों के द्वारा किसानों को रियायती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराया जाता रहा है।

दरअसल, सहकारी समितियों से पहले किसान को तीन प्रतिशत पर फसली कर्ज उपलब्ध कराया जाता रहा है। वैसे सात प्रतिशत ब्याज सहकारी समिति लेती हैं, जिसमें चार प्रतिशत का अंशदान समितियों को प्रदेश सरकार देती थी, लेकिन इसमें भी तीन प्रतिशत ब्याज से कम पर फसली कर्ज उपलब्ध कराने स्पष्ट नहीं किया।

यदि तीन प्रतिशत से कम ब्याज दर प्रदेश सरकार ने की है तो यह किसान को रियायत दी गई हैं। यदि पूर्व की भांति सरकार ने तीन प्रतिशत ब्याज दर रखी है तो इसमें नया कुछ भी नहीं है। एक तरह से नलकूपों से मुफ्त पानी देने व सहकारी समितियों से फसली कर्ज तीन प्रतिशत पर देने का ऐलान करना कोई नया काम नहीं हैं। यह तो किसानों को पहले से ही मिल रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में घरों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की जल जीवन मिशन (ग्रामीण) योजना के तहत 15,000 करोड़ का बजट का प्रावधान सरकार ने किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाकर पानी उपलब्ध कराये जाने की योजना हैं। इस योजना से गांव के लोगों को लाभ मिलेगा। खेतों में सोलर पंप लगाने का ऐलान भी किया है। 15,000 हजार पंप स्थापित करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है।

रैपिड रेल के लिए मिला बड़ा बजट

रैपिड रेल प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने 1326 करोड़ का बजट दिया है। यह बड़ी धनराशि है। यह प्रोजेक्ट केन्द्र सरकार के सहयोग से चलाया जा रहा है। प्रदेश के बजट में दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल को सरकार की तरफ से बड़ी सौगात दी है।

प्रदेश सरकार ने बजट में रैपिड रेल कोरिडोर के विकास कार्य में तेजी लाने के लिए अच्छा खासा बजट दिया है। यूपी सरकार ने दिल्ली मेरठ रैपिड रेल के लिए 1326 करोड़ का बजट दिया। इसका ऐलान वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने अपने बजट भाषण के दौरान किया है। कहा कि पांच लाख 50 हजार 270 करोड़ का बजट रैपिड रेल के लिये दिया।

रैपिड रेल के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। शताब्दीनगर में इसका यार्ड भी बन गया हैं, जहां पर कार्य चल रहा है। 2025 तक रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य है। इसके लिए जगह-जगह स्टेशन बनाने के लिए जमीन भी ले ली गई है। रोडवेज वर्कशॉप को भी खाली करा लिया गया है।

इसी के ट्रैक पर मेट्रो भी चलेगी। दरअसल, दुहाई से मेरठ तक अंतिम चरण में काम चल रहा है। परतापुर में करीब उन्नीस पीलर्स भी बनकर तैयार हो गए हैं। रात दिन उन पर काम चल रहा हैं। यहां गाड़ियों की समुचित सफाई के लिए एक स्वचालित ट्रेन वाशिंग प्लांट, एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग, डिपो कंट्रोल सेंटर (डीसीसी), बैकअप आॅपरेशनल कंट्रोल सेंटर, इंजीनियरिंग ट्रेन यूनिट (ईटीयू), एफ्लूएंट व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स व प्रशिक्षण और प्रारम्भिक परिचय के उद्देश्य से ट्रेन सिमुलेटर सहित चालक प्रशिक्षण सुविधा समेत कई सुविधाएं उपलब्ध हैं। वहीं मेरठ में कई जगहों पर रैपिड रेल के बीम डालने का कार्य शुरू हो चुका है। तो कई जगहों पर अभी कार्य प्रगति पर है।

एयरपोर्ट और महाभारत सर्किट के लिए नहीं मिली चवन्नी

जेवर एयरपोर्ट के लिए बजट में बहुत कुछ दिया, लेकिन मेरठ एयरपोर्ट के लिए सरकार ने फूटी कोड़ी भी नहीं रखी। यही नहीं, महाभारत सर्किट भी वेस्ट यूपी का बड़ा प्रोजेक्ट हैं, जिसके लिए हमेशा कहा जाता रहा, लेकिन बजट में चवन्नी भी नहीं मिली। अयोध्या के लिए सरकार ने खजाने का मुंह खोल दिया, लेकिन महाभारत सर्किट के लिए बजट में कुछ नहीं दिया।

हस्तिनापुर व बरनावा हो या फिर बागपत महाभारत सर्किट का हिस्सा है। इसको लेकर बहुत पहले बजट भी जारी हुआ था तथा काम भी हुआ, लेकिन महाभारत सर्किट को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। बागपत के सिनौली को भी महाभारत सर्किट से जोड़ने की पहले प्लानिंग हुई थी, वहां पर सिंधु सभ्यता के अवशेष मिले थे। वैदिक संस्कृति से उसे जोड़ा गया था, लेकिन सिनौली खुदाई के दौरान एएसआई को जो मृदभांड मिले थे, उनको लेकर खोजबीन चल रही है। सिनौली बड़ा शवाधान केन्द्र खुदाई के दौरान मिला था, जिसको लेकर भी सरकार की तरफ से कोई बजट में जिक्र नहीं है।

शहर में एयरपोर्ट की लंबे समय से मांग की जाती रही है। भाजपा के नेता ही यह दावा कर रहे थे कि जल्द ही मेरठ से उड़ान आरंभ होगी, लेकिन यहां तो सरकार ने एयरपोर्ट के लिए कोई बजट में एक रुपया भी नहीं रखा है। ऐसे में एयरपोर्ट की कैसे उम्मीद की जा सकती है। सिर्फ भाजपा नेताओं की हवाई घोषणा से काम चलने वाला नहीं है। यदि सरकार गंभीर होती तो निश्चित रूप से सरकार के बजट में एयरपोर्ट को लेकर कुछ न कुछ तो धनराशि का जिक्र किया जा सकता था।

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