- एक वर्ष में 15 प्रतिशत तक महंगी हो चुकी हैं चावल और राजमा समेत कई खाद्य सामग्री
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोविड-19 की पहली लहर के साथ खाने के सामान में आया तेजी का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अगर चावल, दाल और राजमा की बात की जाए, तो बीते एक साल के दौरान इनकी कीमतों में 15 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। व्यापारियों के बीच इन दिनों चर्चा है कि 18 जुलाई से सभी प्रकार के खाद्यान्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू होने वाली है। अगर ऐसा होता है, तो खाने की सामग्री का कम से कम पांच प्रतिशत महंगा होना निश्चित है।
मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह से विश्व भर के साथ-साथ समूचे देश ने कोविड-19 के रूप में वैश्विक महामारी की मार झेली है। इस बीमारी की चपेट में आकर जहां बेशुमार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, वहीं बेरोजगारी की दर में भी वृद्धि हुई है। इसके साथ दैनिक उपयोग की विभिन्न वस्तुओं के दामों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। इनमें बात अगर खाद्य सामग्री की हो, तो इनकी बढ़ती महंगाई हर खास-ओ-आम का बजट बिगाड़ रही है।
दुकानदार बताते हैं कि चावलों में भाव निर्धारित करने के लिए मानक बन चुका गैलेक्सी एक साल पहले 74-75 रुपये किग्रा रहा, लेकिन इन दिनों इसका भाव 95 रुपये किग्रा तक बढ़ चुका है। इसी तरह एक साल की अवधि में राजमा 80 रुपये से बढ़कर 108 रुपये किग्रा तक पहुंच गया है। उड़द दाल इस अवधि में 65 से 80 और अरहर 60 से बढ़कर 75 रुपये किग्रा तक छलांग लगा चुकी है।
महंगाई की इस रफ्तार के बीच व्यापारियों तक एक मैसेज आग की तरह फैल रहा है। जिसके अनुसार सोमवार 18 जुलाई से खाद्यान्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू होने जा रही है। हालांकि इस बदलाव की पुष्टि अधिकारियों या अधिवक्ताओं के स्तर से होने की बात से भी व्यपारी इनकार करते हैं, लेकिन उन तक जो संदेश पहुंच रहा है, उसमें बताया जा रहा है कि अभी तक रजिस्टर्ड ब्रांडेड चावल और अन्य खाद्यान्न पर ही जीएसटी लगती रही है।
इसके अलावा अपंजीकृत या खुले खाद्यान्न पर जीएसटी नहीं ली जाती है। व्यापारियों में चल रही चर्चा के अनुसार 18 जुलाई से पंजीकृत, अपंजीकृत और किसी भी प्रकार से पैक किए गए खाद्यान्न पांच प्रतिशत जीएसटी के दायरे में आने वाले हैं। व्यापारियों का कहना है कि ऐसा होने की स्थिति में महंगाई दर में कम से कम पांच प्रतिशत की वृद्धि तय है।
नवीन मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष मनोज गुप्ता का कहना है कि 18 जुलाई से सभी प्रकार के खाद्यान्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी लागू होने की बात कही जा रही है। हालांकि अभी तक यह बात भी चर्चाओं में है कि 25 किग्रा तक के पैकेट पर ही जीएसटी ली जाएगी। 30 किग्रा या अधिक की पैकिंग जीएसटी के दायरे से बाहर होगी।
उनका कहना है कि जीएसटी लागू होने की स्थिति में पांच प्रतिशत महंगा होना स्वाभाविक है। आज मैदे का 50 किग्रा का पैकेट 1200 रुपये में मिलता है, वह 1260 रुपये का हो जाएगा। इस प्रकार सभी जिन्स के दामों पर इसी अनुपात में वृद्धि हो जाएगी।
नवीन मंडी व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र गुप्ता का कहना है कि जीएसटी लागू होने को लेकर अभी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। 25 किग्रा तक के पैकेट पर जीएसटी लेने और इससे अधिक के पैकेट को दायरे से बाहर रखने की बात समझ से परे लगती है। क्योंकि इस बात को जीएसटी के नीति निर्धारक भी भली-भांति जानते हैं कि ऐसा होने पर सभी निर्माता अपने पैकेट 30 किग्रा या इससे अधिक के ही बनाना शुरू कर देंगे।
इसके साथ उन्होंने एक प्रतिशत मंडी शुल्क और आधा प्रतिशत विकास शुल्क पहले से ही लागू होने की बात कही। उनका कहना है कि एक ही वस्तु पर तीन प्रकार के कर लगाने की बात व्यापारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिए भी परेशानी और महंगाई का कारण बनेंगे।