- अधिनियम में बड़े बदलाव को खुद के लिए मुफीद नहीं मान रहे मठाधीश
- वक्फों पर कब्जा जमाए बैठे अवैध कब्जाधारियों का होगा इलाज
- कुछ मुतवल्ली जता रहे सरकार की नीयत पर शक
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में यदि बदलाव हुआ तो क्या वक्फ का निजाम ही बदल जाएगा? बदलाव होने पर वक्फ होने वाली सम्पत्तियों की दशा और दिशा क्या दोनों बदल जाएंगी? भविष्य में वक्फ होने वाली सम्पत्तियों की संख्या में गिरावट आएगी या फिर वक्फ बोर्ड का वजूद ही खत्म हो जाएगा? सवाल बेहद पेचीदे हैं, लेकिन जवाब का इंतजार हर उस शख्स को है जो किसी न किसी रूप में वक्फ की जायदादों से जुड़ा है। हांलाकि यह सब जानते हैं किवक्फ प्रॉपटियों को दोनों हाथों से लूटने वालों की कोई कमी नहीं है। वक्फ अलल औलाद हो या वक्फ अलल खैर, आज सभी में खेल हो रहा है।
दरअसल, आज देश भर में साढ़े आठ लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टियां हैं। अभी यह स्टेट और सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधीन हैं। इसमें भी शिया और सुन्नी अलग अलग वक्फ बोर्ड हैं। हाल ही में राज्यसभा में एक बिल पेश किया गया। यह प्राईवेट बिल था जिसे भाजपा के हरनाथ सिंह ने पेश किया। पहले तो बिल पर बहस हो या न हो इसको लेकर विवाद रहा। बाद में तय किया गया कि बहस हो या न हो इस पर सदस्यों की राय ले ली जाए। वोटिंग हुईतो बहस के पक्ष में 53 और विपक्ष में 32 वोट पड़े। इससे यह तो तय हो गया कि बिल पर बहस होगी। बहस वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 में बदलाव पर आधारित होगी।
अब इस पूरे प्रकरण में जब हमने विभिन्न मुतवल्लियों, मुस्लिम वकीलों और वक्फ विशेषज्ञों से बात की तो सभी का कहना यही था कि अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि जब तक अधिनियम में क्या बदलाव हुआ यह पता नहीं चल जाता तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इन लोगों ने इतना संकेत जरूर दिया कियह एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है जो कि मुसलमानों की धार्मिक आस्था के साथ सीधा सीधा जुड़ा है और यदि इसमें सरकार की ज्यादा दखलंदाजी हुई तो विरोध के स्वर उठ सकते हैं। वक्फ प्रॉपर्टियों को अपनी निजि कमाई का जरिया बनाने वाले कई मठाधीशों के अरमान अधिनियम में बदलाव होने पर जरुर बह सकते हैं।
कुछ जानकार नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि अधिनियम में बदलाव के बाद यह भी संभव है कि वक्फ बोर्ड का वजूद ही खत्म हो जाए और वक्फ सम्पत्तियों को सरकार सीधे अपने अंडर में ले ले या फिर उनकी देखरेख के लिए मुतवल्लियों अथवा वक्फ प्रशासन पर कोई प्रशासक बैठा दे। फिलहाल अभी वेट एंड वॉच की स्थिति है, लेकिन शिया व सुन्नी दोनों वक्फों के उन कुछ घोटालेबाज मुतवल्लियों की अधिनियम में बदलाव की सूचना पर नींदे हराम हो चुकी हैं, जो वक्फ प्रॉपर्टियों को अपनी जागीर समझ बैठें हैं।