- लापरवाही का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट गंदगीयुक्त पानी दे रहा ‘बीमारी’
- प्लांट होने के बावजूद सीधे नालों में बहाई जा रही गंदगी
- कॉलोनी में प्लांट से उठती सड़ांध से कॉलोनीवासी परेशान
मनोज राठी |
गंगानगर: गंगानगर की सीवर और ड्रेनेज सिस्टम खराब है। हालात ये है कि थोड़ी बारिश में कॉलोनी तालाब में तब्दील हो जाती है। तमाम कालोनियां तो विकसित हो गई, लेकिन एसटीपी नहीं होने से मल-मूत्र नाले-नालियों में खुलेआम बहाया जा रहा है। दावे बड़े हैं, लेकिन हकीकत दावों से बहुत दूर है।
डिफेंस कॉलोनी शहर की वीवीआईपी कॉलोनी हैं, जहां सीवर सिस्टम तो हैं, मगर यहां सीवर का पानी ट्रीट करने की बजाय सीधे नाले में डाला जा रहा है। यही वजह है कि गंदे पानी से भूमिगत जल स्रोत भी दूषित हो रहा है, जिसके चलते लोगों में बीमारी पांव पसार रही है।
देखने वाली बात ये है कि शहर में एमडीए से नक्शे पास कराकर निजी कालोनियां विकसित हो रही हैं, लेकिन अधिकांश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं हैं। डिफेंस कालोनी इसका जीता-जागता उदाहरण है।
एमडीए ने दबाव बनाया तो तब जाकर एसटीपी प्लांट लगाया हैं, लेकिन फिलहाल दूषित पानी को ट्रीट नहीं किया जा रहा है। शहर में मवाना रोड के आसपास गंगानगर स्थित पीआर एन्क्लेव, न्यू मीनाक्षीपुरम, ईशापुरम जैसी अन्य कालोनियां हैं। यहां सीवर लाइन और एसटीपी दोनों ही मयस्सर नहीं हैं।
मीनाक्षापुरम और रक्षापुरम में सीवर लाइन तो हैं, मगर एसटीपी नहीं। इससे घरों से निकलने वाला सीवर का पानी सीधे नालियों और नाले के जरिए काली नदी में जा रहा है। अब तक यहां का सीवर सीधे नाले में बहाया जाता है।
इस पूरी व्यवस्था से अधिकारी बेखबर है। शहर को गंदगी ने बीमार कर दिया है। इस शहर की आबोहवा को गंदगी और कचरे ने बीमार बना दिया है। इसके पीछे सड़क पर जहां-तहां फैले कचरे के बीच जानवरों की धमा-चौकड़ी, असहनीय बदबू, सड़कों पर आवारा कुत्तों का आतंक इसके प्रमुख कारण हैं।
नगर निगम के सामने शहर की अपेक्षाओं के अनुरूप खरा उतरने की बड़ी चुनौती होगी। शहर के लिए बने नियम-कानून का पालन नहीं हो रहा है। नाली, सड़क और पानी निकासी, हवा आदि का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है।
प्लांट की बदबू में जी रहे पॉश कॉलोनीवासी
शहर की सबसे महंगी और पॉश कॉलोनी डिफेंस में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जा चुका है। जिससे पूरी कॉलोनी का सीवर के गंदे पानी को ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्ध कर पास ही स्थित नाले में डाला जा रहा है। जिससे गंदगी और बदबू के बीच कॉलोनीवासी जी रहे हैं। कॉलोनीवासियों ने कई बार संबंधित अधिकारियों से ट्रीटमेंट प्लांट से उठती बदबू की शिकायत की, लेकिन नगर निगम के अधिकारी केवल आश्वासन की घूटी पिला देते हैं, कार्रवाई कुछ नहीं की जाती।
पानी बिना ट्रीट किये नहीं छोड़ा जा सकता
डिफेंस नाले में खुलेआम सीवरेज का पानी बह रहा है। नाले की दीवार सीवरेज के पानी की धार 24 घंटे नाले में गिरती है, इससे नाले में हर वक्त सीवरेज का पानी बहता रहता है, जबकि नियमानुसार सीवरेज के पानी को इस तरह घनी आबादी के बीच से होकर गुजर रहे खुले नाले में नहीं छोड़ा जा सकता है। सीवरेज के पानी को ट्रीटमेंट करके या फिर आबादी इलाके से दूर ले जाकर छोड़ा जा सकता है।
नाले से उठ रही परेशानियों की बदबू
डिफेंस कॉलोनी के पीछे से गुजरता खुला नाला लंबे समय लोगों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। वर्षों से नाले में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना तो दूर, सफाई तक नहीं की गई है। इन हालातों में नाला से उठ रही बदबू दूर-दूर तक फैल रही है। इस कारण नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में नागरिकों ने कई बार अधिकारियों से नाला की सफाई करवाने तथा ढंपने की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इलाके में दशकों बाद भी सीवरेज सुविधा पूर्णरूप न होने के कारण नालों की बदबू भारी परेशानी बनी हुई है तो दूसरी तरफ घनी आबादी के मध्य से निकलता नाला जनता के लिए नासूर बना हुआ है।
…और जहरीला हुआ जमीन का पानी
डिफेंस नाले की वजह से जमीन का पानी तीन साल में तीन गुना जहरीला हो चुका है। टीडीएस का स्तर इतना बढ़ चुका है कि आरओ प्लांट की मशीनें भी पानी शुद्ध करने में फेल हो रही हैं। जल के अधिक दोहन के कारण यह सिलसिला कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
क्षेत्र के तमाम इलाकों में 200 फीट से ज्यादा गहरी बोरिंग कराने पर टीडीएस की मात्रा बढ़ रही है। कोई भी इलाका इससे अछूता नहीं रहा है। हालत यह है कि नाले किनारे के क्षेत्रों में ही भूगर्भ जल में टीडीएस की मात्रा तेजी से बढ़ रही है।