- करोड़ों रुपये की कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम की जमीन पर अवैध कब्जा हटवाने को डीएम सख्त
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पीएम मोदी का के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल खेलो इंडिया और खेलेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया, लेकिन मेरठ की यदि बात करें तो यहां कुछ अधिकारी पीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में बाधा बने हुए हैं। उनकी कारगुजारी के चलते करोड़ों रुपये कीमत की स्टेडियम की जमीन अवैध कब्जे में है। यदि यह जमीन अवैध कब्जेदारों से मुक्त हो जाए तो पीएम के खिलाड़ियों को समर्पित दोनों खेलो इंडिया व खेलेगा इंडिया बढेÞगा इंडिया पूरी तरह से साकार हो जाएं, लेकिन मेरठ में ऐसा नहीं हो पा रहा है
और इसकी वजह मेरठ में खेल और खिलाड़ियों के लिए जो जगह है उस पर भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है। ऐसा नहीं कि इस कब्जे को हटाने में कोई बाधा हो या। बाधा नहीं जनाब हाईकोर्ट का आदेश है। उनके खिलाफ जिन्होंने स्टेडियम की जमीन पर अवैध कब्जा किया हुआ है। कब्जे हटाने में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं है। करीब 36 सालों से हाईकोर्ट के आदेशों को अफसरों की नींद टूटने का इंतजार है। हालांकि डीएम दीपक मीणा इसको लेकर गंभीर हैं।
ये है पूरा मामला
60/70 के दशक में कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम की कुछ जगह थोडेÞ समय के लिए कुछ लोगों की प्रार्थना पर स्टेडियम प्रशासन के तत्कालीन अधिकारियों ने इस्तेमाल के लिए दे दी थी, लेकिन मियाद बीतने के बाद भी उन लोगों ने वह जगह खाली नहीं की। उल्टे वो अवैध रूप से काबिज हो गए। इसके खिलाफ स्टेडियम प्रशासन कोर्ट में चला गया और लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने मेरठ के जिला प्रशासन और संभागीय परिवहन कार्यालय के आरटीओ को स्टेडियम की कब्जाई गई जगह खाली कराने के आदेश दिए।
गत 28 मई 1998 को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद मवाना स्टैंड की बस यूनियनों तथा अन्य जो भी अवैध रूप से स्टेडियम की जमीन पर अवैध काबिज हैं। उनकी तमाम दलीलें व अपीलें खारिज कर दीं। दरअसल, उपनिदेशक खेल क्षेत्रीय खेल कार्यालय द्वारा 19 सितंबर 1994 को स्टेडियम की उत्तर प्रदेश सरकार की खाली करने के लिए कथित अनाधिकृत रूप से काबिज मेरठ-मवाना बस स्टैंड यूनियन, मेरठ किला परीक्षितगढ़ बस स्टैंड यूनियन एवं मेरठ सरधना बस स्टैंड यूनियन को नोटिस थमा दिए थे। उन नोटिसों के खिलाफ तमाम बस यूनियनें हाईकोर्ट चली गयीं।
जहां 28 मई 1998 को सुनवाई के बाद उक्त सभी बस यूनियनों की अपील हाईकोर्ट ने खारिज करते हुए उपनिदेशक खेल क्षेत्रीय खेल कार्यालय के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए अवैध कब्जाई गई स्टेडियम की जगह खाली कराने का रास्ता साफ कर दिया था। हाईकोर्ट के इन आदेशों को आज 36 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। इस दौरान शासन-प्रशासन और खासतौर से संभागीय परिवहन कार्यालय में तमाम अधिकारी आए और चले गए, लेकिन किसी को इतनी फुर्सत नहीं मिली कि हाईकोर्ट द्वारा स्टेडियम की कब्जायी गयी
जमीन को खाली कराने के लिए सार्थक पहल कर सके। अवैध कब्जों से स्टेडियम की जमीन को मुक्त कराने में बाधा आरटीओ को माना जा रहा है। स्टेडियम के आरएसओ योगेंद्र पाल ने बताया कि उनके स्तर से अनेक बार इसकी पैरवी शासन प्रशासन और संभागीय परिवहन कार्यालय के अफसरों के समक्ष की जा चुकी है, लेकिन अभी उम्मीद की कोई किरन नजर नहीं आ रही है। हालांकि आरएसओ योगेंद्र पाल व क्रिकेट कोच अहद अपने स्तर से जितने बेहतर प्रयास किए जा सकते हैं, वो कर रहे हैं।
डीएम दीपक मीणा से उम्मीद, आरटीओ हिमेश तिवारी है बड़ी बाधा
पिछले दिनों परिवहन विभाग की एक बैठक मंडलायुक्त की अध्यक्षता मे हुई। इस बैठक में डीएम दीपक मीणा व आरटीओ हिमेश तिवारी भी मौजूद थे। बैठक के एजेंडा में स्टेडियम की जमीन पर अवैध कब्जों का प्रकरण भी शामिल था। डीएम ने इस मामले को लेकर आरटीओ से जब स्पष्टीकरण मांगा तो सूत्रों ने जानकारी दी है कि आरटीओ का रवैया काफी कुछ अवैध रूप से काबिज बस यूनियन संचालकों के पक्ष में नजर आया। हालांकि उनकी तमाम दलिलें खारिज कर दी गयीं
और दो टूक कहा गया कि स्टेडियम की जगह को हर दशा में खाली कराया जाए। वहां पर अवैध रूप से काबिज बस यूनियन को हटाएं। वहीं, दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि अवैध रूप से काबिज यूनियनों को हटाने मे आरटीओ व फिर बस यूनियन बड़ी बाधा नहीं साबित होंगी। करना बस इतना है कि पैमाइश कराकर जमीन तय दी जाए। उसके बाद बाकी काम पुलिस व जेसीबी रखने वाले नगर निगम और मेडा सरीखे प्रवर्तन दल का रह जाएगा।
तैयार हो सकेगी खिलाड़ियों की नर्सरी
कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम के आरएसओ योगेंद्र पाल व क्रिकेट कोच अहद ने बताया कि स्टेडियम की जगह से यदि अवैध कब्जे हटवा दिए तो यहां खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार की जा सकती है। स्टेडियम में आने वाले बच्चों में काफी दमखम है। मेरठ के इस स्टेडियम से कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी निकले हैं। जिन स्टेडियम को नाज है। उन्होंने बताया कि उन्हें डीएम दीपक मीणा से बहुत उम्मीद है और विश्वास है कि पीएम मोदी के खेलो इंडिया, जीतो इंडिया अभियान को गति देने के लिए स्टेडियम की अवैध रूप से कब्जाई गई जमीन को मुक्त कराने के लिए ठोस पहल अवश्य करेंगे ताकि मुक्त कराई गई जगह पर बच्चे के खेलों के लिए नई-नई चीजें बनवायी जा सकें।