- एप्रोच रोड के निर्माण में हो रही लेट लतीफी
- रस्सी के सहारे चढ़ते हैं पुल पर, तब जाते हैं उस पार
- हादसे से भी सबब नहीं ले रहा लोक निर्माण विभाग
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: पेट न जाने क्या करा दें, इसके आगे मौत का डर भी काफूर हो जाता है। यही हाल वन आरक्षित क्षेत्र से होकर गुजरने वाली गंगा नदी की तलहटी में बसे गांव के लोगों का है। जिन्हें रोज गंगा नदी को तैर कर या ऊंचे पुल से रस्सी के सहारे नदी में उतर कर उस पार करना पड़ता है, जो कभी-कभी उनके लिए जान का खतरा भी बन जाता है, लेकिन पेट भरना है तो दूसरी ओर खेतों में जाना ही पड़ेगा।
बाढ़ के दिनों में गंगा नदी के एप्रोच रोड धराशाई होने के बाद शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तैयार ही नहीं है। यह हाल तो तब है, जब हाल ही में गंगा नदी में नाव पलटने के बाद दो लोगों की जान चली गई थी, लेकिन इसके बाद भी आज तक एप्रोच रोड का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है।
बता दें कि बसपा सरकार ने मेरठ-बिजनौर, मुरादाबाद जिलों की सीमा से जुड़े सैकड़ों गांव की दूरी कम करने के लिए 2007 में करोड़ों रुपये खर्च कर गंगा पुल का निर्माण शुरू किया। पुल पर आवागमन शुरू करने के लिए पुल के दोनों ओर लोक निर्माण विभाग द्वारा एप्रोच रोड का निर्माण भी शुरू किया गया। सड़कों में मापदंडों व नियम, कायदों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमाया है। सड़क निर्माण में बरती गई घोर लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों ने की है। सड़क बनाने में घटिया मेटेरियल का उपयोग हुआ है, जो सड़क की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है। जिसके चलते पांच माह पूर्व चांदपुर की ओर जाने वाली एप्रोच रोड धराशाई हो गई।
तभी से गामीणों को गंगा नदी पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। पुल टूटने के बाद पुल के आसपास नावों को संचालन शुरू हुआ और लोगों ने खेतों तक पहुंचने के लिए नावों का सहारा लेना उचित समझा, लेकिन ग्रामीणों को जान खतरा हमेशा बना रहा। ग्रामीणों का खतरा लगभग एक महीने पूर्व सही साबित हुआ और एक छोर से दूसरे छोर जाते समय गंगा नदी के बीच नाव पलट जाने से दो लोगों की जान चली गई थी।
जिसके बाद शासन प्रशासन ने नावों को संचालन बंद कर दिया, लेकिन लोगों को अपने खेतों तक तो पहुंचना है। जिसके लिए एक बार फिर से किसानों ने अपनी जान दांव पर लगाना उचित समझा, लेकिन इस जान का खतरा अधिक है। सैकड़ों ग्रामीण प्रतिदिन बहते पानी के बीच से जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं।
इससे किसी भी दिन बड़े हादसे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। ग्रामीण कई बार शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देकर यहां पुल बनाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन पांच साल बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो पाई है।
डीएम कार्यालय पर धरना देंगे किसान
किसान नेता बृजमोहन का कहना है कि एप्रोच रोड से तीन गांवों के सैकड़ों ग्रामीणों का आवागमन है। इस समस्या को लेकर वह मुख्यमंत्री व आलाधिकारियों को कई बार ज्ञापन दे चुके हैं, लेकिन आजतक समस्या का निदान नहीं हुआ, यदि सोमवार तक एप्रोच रोड का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो उन्हें मजबूर होकर डीएम कार्यालय पर धरना देना होगा। प्रशासन दो मौतों के बाद भी कुंभकर्णी नींद से जागने को तैयार नहीं है।