विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पर इस समय समूचे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से अधिक व्यक्ति धूम्रपान से प्रभावित होने कारण अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। यदि इस समस्या को नियंत्रित करने की दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो वर्ष 2030 में धूम्रपान के सेवन से मरने वाले व्यक्तियों की संख्या प्रतिवर्ष 80 लाख से अधिक हो जाएगी। धूम्रपान करने वाले लोगों की कुल संख्या में से यह नशा आधे व्यक्तियों की मृत्यु का कारण बन रहा है, और औसतन इससे उनकी 15 वर्ष आयु कम हो रही है। धूम्रपान करने वाले 90 प्रतिशत से अधिक लोगों में फेफड़े के कैंसर, ब्रैन हैमरेज और पक्षाघात का महत्वपूर्ण कारण है। आज विश्व में कैंसर, मृत्यु का दूसरा कारण है और सिगरेट इस बीमारी से ग्रस्त होने का एक खतरनाक साधन है। अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि फेफड़े के कैंसर से ग्रस्त होने और सिगरेट का सेवन करने वाले पुरुषों में मृत्यु की संभावना सिगरेट का सेवन न करने वाले पुरुषों से 23 गुना अधिक है, जबकि इस कैंसर से ग्रस्त होने की आशंका सिगरेट का सेवन करने वाली महिलाओं में सिगरेट का प्रयोग न करने वाली महिलाओं से 13 गुना अधिक है। सिगरेट-मुंह, मेरुदंड, कंठ और मूत्राशय के कैंसर में सीधे रूप से प्रभावी हो सकता है। सिगरेट में मौजूद कैंसर जनक पदार्थ शरीर की कोशिकाओं पर ऐसा प्रभाव डालते हैं, जिससे उसका उचित विकास नहीं हो पाता और शरीर की कोशिकाओं के विकास में ध्यानयोग्य विघ्न उत्पन्न होता है।
इस प्रकार सिगरेट शरीर की कोशिकाओं के नष्ट होने और उनके कैंसर युक्त होने का कारण बनता है। शोध इस बात के सूचक हैं कि जो व्यक्ति सिगरेट का सेवन करते हैं उनमें मूत्राशय के कैंसर से ग्रस्त होने की आशंका उन लोगों से चार गुना अधिक होती है, जिन्होंने अपने जीवन में एक बार भी सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है। लंबे समय तक सिगरेट सेवन के दूसरे दुष्परिणाम- मुंह, गर्भाशय, गुर्दे और पाचक ग्रंथि के कैंसर हैं। विभिन्न शोधों से जो परिणाम सामने आए हैं वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि धूम्रपान, रक्त संचार की व्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
धूम्रपान का सेवन और न चाहते हुए भी उसके धूएं का सामना, हृदय और मस्तिष्क की बीमारियों का महत्वपूर्ण कारण है। इन अध्ययनों में पेश किए गए आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि कम से कम सिगरेट का प्रयोग भी जैसे एक दिन में पांच सिगरेट या कभी कभी सिगरेट का सेवन अथवा धूम्रपान के धूएं से सीधे रूप से सामना न होना भी हृदय की बीमारियों से ग्रस्त होने के लिए पर्याप्त है। धूम्रपान के धुएं में मौजूद पदार्थ जैसे आक्सीडेशन करने वाले, निकोटीन, कार्बन मोनोआक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित रोगों के कारण हैं। धूम्रपान का सेवन इस बात का कारण बनता है कि शरीर पर इंसुलिन का प्रभाव नहीं होता है और इस चीज से ग्रंथियों एवं गुर्दे को क्षति पहुंच सकती है।
इन परिणामों की गंभीरता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 1988 से 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। साल 2008 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर सभी तंबाकू विज्ञापनों, प्रमोशन आदि पर बैन लगाने का आह्वान किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने 31 मई का दिन निर्धारित करके धूम्रपान के सेवन से होने वाली हानियों और खतरों से विश्व जनमत को अवगत कराके इसके उत्पाद एवं सेवन को कम करने की दिशा में आधारभूत कार्यवाही करने का प्रयास किया है।
इसी दिशा में प्रतिवर्ष प्रतीकात्मक रूप में एक नारा निर्धारित किया जाता है। वर्ष 2012 में पूरी दुनिया में धूम्रपान के उत्पाद एवं उसके वितरण में धूम्रपान उद्योगों की स्पष्ट भूमिका के दृष्टिगत 31 मई को नारा दिया गया ‘सावधान! हम बहुराष्ट्रीय धूम्रपान उद्योगों को बंद कर देंगे। दुनियाभर में तम्बाकू के सेवन का बढ़ता चलन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है। तम्बाकू से संबंधित बीमारियों की वजह से हर साल करीब 5 मिलियन लोगों की मौत हो रही है। जिनमें लगभग 1.5 मिलियन महिलाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 80 फीसदी पुरुष तम्बाकू का सेवन करते हैं, लेकिन कुछ देशों की महिलाओं में तम्बाकू सेवन की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है।
उल्लेखनीय है कि दुनियाभर के धूम्रपान करने वालों में से करीब 10 फीसदी भारत में हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 25 करोड़ लोग गुटखा, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि के जरिये तम्बाकू का सेवन करते हैं। दुनिया के 125 देशों में तम्बाकू का उत्पादन होता है। दुनियाभर में हर साल 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन होता है और एक अरब से ज्यादा लोग इसका सेवन करते हैं। भारत में 10 अरब सिगरेट का उत्पादन होता है। भारत में 72 करोड़ 50 लाख किलो तम्बाकू की पैदावार होती है। भारत तम्बाकू निर्यात के मामले में ब्राजील, चीन, अमरीका, मलावी और इटली के बाद छठे स्थान पर है।
आंकड़ों के मुताबिक तम्बाकू से 2022 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की आय हुई थी। विकासशील देशों में हर साल 8 हजार बच्चों की मौत अभिभावकों द्वारा किए जाने वाले धूम्रपान के कारण होती है। दुनिया के किसी अन्य देश के मुकाबले में भारत में तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। तम्बाकू पर आयोजित विश्व सम्मेलन और अन्य अनुमानों के मुताबिक भारत में तम्बाकू सेवन करने वालों की तादाद करीब साढ़े 29 करोड़ तक हो सकती है।