Saturday, June 14, 2025
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हंगरी में भारतीय छात्रों को नहीं मिल रहा प्रवेश, हो रही धक्का-मुक्की

  • बागपत निवासी अनुष्का ढाका ने अपने परिजनों को दी यूक्रेन बॉर्डर पर फंसे होने की जानकारी
  • एंबेसी से भी नहीं मिल पा रही कोई मदद, हंगरी में प्रवेश नहीं मिलने से बर्फबारी के बीच खड़े हैं भारतीय छात्र-छात्राएं

मुख्य संवाददाता  |

बागपत: यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में भारतीय छात्र-छात्राओं को जहां मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है वहीं अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही है। हंगरी से भारतीय विमान से लेकर आने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि हंगरी में भारतीय छात्र-छात्राओं को प्रवेश तक नहीं दिया जा रहा है। करीब 15 घंटे से बागपत निवासी अनुष्का ढाका व अन्य छात्र-छात्राएं यूक्रेन-हंगरी बॉर्डर पर हैं।

वहां माइनस पांच डिग्री तापमान व बर्फबारी के बीच वह खड़े हुए हैं। छात्रा का दावा है कि धक्का-मुक्की व अभद्रता करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। उधर, अनुष्का के परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है। प्रशासन से जहां वह लगातार संपर्क कर रहे हैं वहीं सरकार से भी बेटी को सकुशल लाने की मांग कर रहे हैं।

यूक्रेन के ओडेशा से हंगरी तक पहुंचने के लिए छात्र-छात्राओं को जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। पल-पल उनके सिर पर खतरा मंडरा रहा है। हंगरी के लिए जब ट्रेन छात्र-छात्राओं को मिली थी तो उम्मीद जगी थी कि अब कोई खतरा नहीं, लेकिन यूक्रेन-हंगरी बॉर्डर पर वह फंस गए। बागपत निवासी रालोद नेता डॉ. ओमबीर ढाका की बेटी अनुष्का ढाका ने परिजनों को आपबीती बताई।

बेटी ने बर्फबारी भी दिखाई और वहां के हालात का नजारा भी वीडियो कॉल के माध्यम से परिजनों को दिखाया। अनुष्का ने बताया कि ओडेशा से किसी तरह से ट्रेनों के माध्यम से वह यूक्रेन-हंगरी बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। हंगरी में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। वहां बॉर्डर पर वह फंस गए हैं। लगातार करीब 15 घंटे से वह वहां फंसे हैं, लेकिन कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। धक्का-मुक्की भी उनके साथ हो रही है। अभद्रता तक की जा रही है। एंबेसी से कोई मदद नहीं मिल रही है। एंबेसी से संपर्क करते हैं और उन्हें धक्का-मुक्की के बारे में जानकारी देते हैं तो कहा जाता है कि भीड़ में ऐसा होता है। खाने की कोई व्यवस्था वहां नहीं है।

यह भी कहा जाता है कि तीन-चार दिन वहीं रूक जाओ, कुछ व्यवस्था करने का प्रयास करते हैं। बस का प्रयास करते हैं। अगर छात्र एंबेसी से पूछते हैं कि यहां उनका कोई सदस्य है तो इंकार कर दिया जाता है। सवाल यह है कि जब छात्र-छात्राओं को बॉर्डरों पर आने के लिए कहा जा रहा है तो वहां कोई सदस्य नामित क्यों नहीं किया गया? अनुष्का ने बताया कि माइनस पांच डिग्री सेल्सियस तापमान है। बर्फबारी हो रही है। बर्फबारी के बीच वह भीड़ में खड़े होने को मजबूर हैं। भूखे-प्यासों को चक्कर आ रहे हैं और वह गिर रहे हैं। कई छात्र-छात्राओं की हालत खराब हो रही है।

फोन तक जार्च करने की कोई व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं। अनुष्का ने बताया कि कई बार तो एंबेसी से फोन तक नहीं उठाया जाता। अब ऐसे में वह बॉर्डर पर कब तक फंसे रहेंगे? अगर ऐसे ही हालात रहे तो स्थिति भयावह हो जाएगी। उधर, अनुष्का के परिजनों को बेटी की चिंता सता रही है। अनुष्का फोन अधिक प्रयोग नहीं कर पा रही है, क्योंकि वहां व्यवस्था अधिक नहीं है। अत्यधिक भीड़ वहां मौजूद है। अभिभावक भी परेशान है।

पिता ओमबीर ढाका, माता डॉ. संजय ढाका व भाई अंश ढाका उससे बात करके स्थिति का पता लगा रहे हैं। वह यहां भी प्रशासन व सरकार से संपर्क कर रहे हैं। हेल्पलाइन नंबरों पर भी सूचित कर रहे हैं। ओमबीर ढाका का कहना है कि हंगरी में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। अगर वहां प्रवेश करा दिया जाए और भारतीय विमान से लाए जाएं तो राहत मिल सकती है। अगर छात्र-छात्राएं बॉर्डर पर ही फंसे रहे तो हालात विकट हो सकते हैं।

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