हल्दी की खेती विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय में की जाती है। किए गए सर्वेक्षण के अनुसार हल्दी उत्पादक क्षेत्र में हल्दी प्रसंस्करण के लिए तीन तरीकों का प्रयोग किया जाता है।
हल्दी प्रसंस्करण की परंपरागत विधि
गोबर के साथ हल्दी को उबालना: पारंपरिक पद्धति में, साफ धुली हुई हल्दी प्रकन्दको पर्याप्त पानी के साथ तांबे, जस्ता लोहा या मिट्टी के बर्तन में उबाला जाता है। कुछ जगहों परहल्दी प्रकन्द को उबालने के लिए गोबर का घोल एक माध्यम के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रकन्द को तब तक उबाला जाता है, जबतक उसकी उपर की परत बाहर न आ जाए और सफेद धुएं के साथ सामान्य गंध न दे देती। प्रकन्द को लगभग 45 से 60 मिनट तक उबाला जाता है ताकि प्रकन्द नरम हो जाय। उबालने के बाद अतिरिक्त पानी को बाहर निकल कर हल्दी को धूप में सूखने के लिए रख दिया जाता है।
गोबर के बिना उबालना: इस प्रसंस्करण पद्धति में कच्ची हल्दी के प्रकन्दको अच्छी तरह से धोकर ढक्कन युक्त एल्यूमीनियम कि बर्तन में सामान्य पानी में उबाला जाता है। प्रकन्द को लगभग 45-60 मिनट उबाला जाता है, जिससे एक विशेष गुणवत्ता वाले स्वाद कि महक आती है, जो अनुभव व्यक्ति द्वारा अनुमान लगाया जाता है। उबली हुई इस हल्दी प्रकन्द को खुली हुई धूप में 5-7 सेमी मोटीपरतों में बांस की चटाई या भूमितल पर फैलाकर 4-6 दिन सूखने के लिए रख दिया जाता है तथा रात के समय के दौरान प्रकन्द को ढक दिया जाता है।
हल्दी प्रसंस्करण की वाणिज्यिक विधि
गोबर के बिना हल्दी का इलाज/उबलते: इस प्रसंस्करण पद्धति में हल्दी को साफ करने के लिए उच्च दबाव वाली पानी की मदद से कि जाती है तथा विशेष रूप से तैयार की गई 0.8 मीटर ऊचाई और 0.5 मीटर गोलाई वाली एक तारकोल ड्रम में उबाला जाता है। इस तारकोलड्रम में एक आंतरिक ड्रमकी मद्द से प्रकन्द को रखकर पानी में डुबोया जाता है।
हल्दी प्रसंस्करण की वैज्ञानिक विधि
इस पद्धति में साफ धुली हुई उंगलियों के आकार की भांति हल्दी प्रकन्दको उबालने के लिएजस्ता लोहा या हल्के स्टील शीट से बने 0.3, 0.3 मिलीमीटर आकार के छिद्रित युक्त बर्तन में रखा जाता है। छिद्रित युक्त बर्तन में जिसमें पानी भरी होती है, क्षारीय सोडियम काबोर्नेट या सोडियम बाइकाबोर्नेटिस की कुछ मात्रा डालकरहल्दी प्रकन्दको डुबोया जाता है। ये क्षारीयहल्दी में नारंगी पीले रंगप्रदान करने में मदद करता है। प्रकन्दको तबतक उबाला जाता है जबतक कि ऊपरी परत नरम न हो जाए।
हल्दी प्रसंस्करण की यांत्रिक शुष्कन यंत्र
प्रयोगशाला नमूना कि 1370, 530, 940 मिलीमीटर बाहरी आयाम और 840, 430, 840 मिलीमीटर आन्तरिक आयाम वाली थालीनुमा शुष्कन यंत्र (चित्र: 1) का उपयोग उबले हुए हल्दी प्रकन्द को सुखाने के लिए किया जाता है। इस यंत्र में मुख्य रूप से एक पंखा, तापीय कक्ष, तापमान नियंत्रण इकाई, शुष्कन कक्ष, पूर्ण संग्रहण कक्ष, गर्म हवा प्रवेश द्वार और निकासी द्वार शामिल है।
ये शुष्कन यंत्र 1 एचपी, 3 चरण और 415 वोल्ट कि बिजली आपूर्ति प्रणाली से संचालित होती है। पंखे की सहायता से हवा को तापीय कक्ष में आवश्यक तापमान तक गर्म किया जाता है। नियंत्रण इकाई प्रणाली को समायोजित करके हवा के तापमान में विविधता की जाती है। इस यंत्र में नमूना रखने वाले थालीनुमा को हटाने और निकालने के लिए संग्रहण कक्ष के सामने की ओर एक द्वार प्रदान किया गया है ।
वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में कृषि वस्तुओं को सुखाने का काम विभिन्न प्रकार के यांत्रिक शुष्कन यंत्र कि मदद से किया जा रहा है,जैसे संवहनी शुष्कन यंत्र, शीत शुष्कन यंत्र, अवरक्त विकिरण शुष्कन यंत्र, द्रवयुक्त तला शुष्कन यंत्र, सूक्ष्म तरंग शुष्कन यंत्र और सौर शुष्कन यंत्र। संवहनी शुष्कन यंत्र खाद्य पदार्थों की निर्जलीकरण के लिए सबसे आसान और सबसे आर्थिक पद्धति है।
प्रवीण कुमार निषाद, फागुराम साहू एवं निलिमा जांगडे