- पीटीपी के जरिये सरकारी अस्पतालों में मिलेगी दवा
- सन 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प
- संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है टीबी : डा. रणधीर
जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: क्षय रोग (टीबी) से भारत को पूरी तरह मुक्त करने का सरकार का संकल्प है। सन् 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए समय-समय पर ठोस कदम उठाये जाते रहे हैं। मसलन, टीबी रोगियों की पहचान कर उनका इलाज किया जाता है। फिलहाल, अब संक्रमित बच्चों को टीबी रोग से बचाने के लिए टॉफी जैसी दवा दी जाएगी।
जल्द ही यह दवा सरकारी अस्पतालों से प्रिवेंशन आॅफ टीबी पेशेंट (पीटीपी) कार्यक्रम के जरिए मिलेगी। आइसोनियाजिड नाम की इस दवा की 100 एमजी की खुराक बच्चों को दी जाएगी। अब तक यह दवा टेबलेट के तौर पर उपलब्ध थी, जो कड़वी होती थी।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. रणधीर सिंह ने बताया- बच्चों के लिए यह चूसने वाली टेबलेट होगी। बच्चों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए दवा तैयार की गई है, जो अलग-अलग स्वाद में उपलब्ध रहेगी। जल्द ही दवा का वितरण शुरू किया जाएगा।
यह टीबी संक्रमितों के संपर्क में आने वाले बच्चों को दी जाएगी। उन्होंने बताया -एक टीबी मरीज 15 अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐसे में लक्षण दिखते ही टीबी मरीज की जांच होगी और तत्काल दवा दी जाएगी। टीबी की दवा बीच में छोड़ने वाले लोगों में जब ड्रग रेसिस्टेंट पैदा हो जाता है, तो इलाज काफी लंबा और महंगा हो जाता है।
तीन माह तक दी जाएगी दवा
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया टीबी प्रिवेंटिव थेरेपी (टीपीटी) के तहत, जिन घरों में टीबी के मरीज हैं, उनके परिवार के प्रत्येक सदस्य को तीन महीने तक निशुल्क दवा खिलाई जाती है। इससे पूर्व जिन घरों में टीबी के मरीज निकलते थे, उन घरों में पांच साल से छोटे उम्र के बच्चों को ही दवा खिलाई जाती थी।
लेकिन, तब यह दवा टॉफी के तौर पर नहीं आई थी। हालांकि, बच्चों में टीबी के लक्षण जान पाना और उसका इलाज कर पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। क्योंकि बच्चों में वयस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। बच्चों का अपनी उम्र के हिसाब से कम बढ़ना या वजन में कमी होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं।
अगर बच्चों की भूख, वजन में कमी, दो सप्ताह से अधिक खांसी, बुखार और रात के समय पसीना आने जैसी समस्या हो रही है, तो इन्हें अनदेखा न करें। यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा- टीबी से बचाव के लिए जागरूकता और सतर्कता बहुत जरूरी है। टीबी एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। कुपोषित बच्चे भी टीबी का शिकार हो जाते हैं।
स्वस्थ बच्चे जब टीबी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो वह भी बीमार हो जाते हैं। उन्होंने कहा 12 साल से कम उम्र के बच्चों में बलगम नहीं बनता है। इस कारण बच्चों में टीबी का पता लगाना मुश्किल होता है। बच्चे की हिस्ट्री और कांटैक्ट ट्रेसिग के आधार पर उसके पेट से सैंपल लेकर जांच कर टीबी का पता लगाया जाता है।