- मांगों के साथ 100 सफाई कर्मचारी रखने पर भी सहमति
- एडीएम प्रशासन ने कहा-उपस्थिति चेक करने को होंगे निरीक्षण
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: मांगों को लेकर चल रहा सफाई कर्मचारी संघ का आंदोलन चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल, पालिका के नोडल अधिकारी एडीएम प्रशासन अमित सिंह द्वारा दिये गये आश्वासन पर रविवार को समाप्त हो गया। समझौता वार्ता में संघ की सभी मांगों और 100 सफाई कर्मचारियों को रखे जाने पर सहमति बनी। वहीं एडीएम प्रशासन ने सख्त हिदायत दी की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए वार्डों में निरीक्षण होंगे और उपस्थिति चेक
की जाएगी।
गौरतलब है कि सफाई कर्मचारी संघ द्वारा सफाई कर्मियों के हितों को लेकर 10 सूत्री मांग पत्र पालिका प्रशासन को सौंपा था। इन मांगों पर कोई विचार नहीं होने पर 20 अगस्त से संघ के आह्नान पर सफाई कर्मी आंदोलन कर रहे थे। शनिवार को बेमियादी धरना समाप्त कर सफाई कर्मियों ने कूड़ा वाहन रोक दिये और शहर में डलावघरों से कूड़ा नहीं उठाया। इसको देखते हुए प्रशासन में हड़कम्प मच गया रविवार को चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की पहल पर पालिका कार्यालय में सफाई कर्मचारी संघ के साथ समझौता वार्ता हुई।
यह वार्ता घंटों तक चली, लेकिन इसका परिणाम सुखद रहा। चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने बताया कि सफाई कर्मचारी अहम हैं और शहर के सौन्दर्यीकरण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है। समझौता वार्त के दौरान एडीएम प्रशासन अमित सिंह ने संघ नेताओं द्वारा निरीक्षण के लिए 16 अफसर लगाने पर उठाये गये ऐतराज को लेकर कहा कि सफाई कर्मचारी काम कर रहे हैं, प्रशासन इससे इंकार नहीं करता है, लेकिन व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
बैठक में ईओ हेमराज सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार, चीफ राजीव कुमार, स्टेनो गोपाल त्यागी, संघ अध्यक्ष चमनलाल ढिंगान, महामंत्री अरविन्द मचल, लिपिक मोहन कुमार, संदीप यादव, सफाई कर्मी राजेन्द्र कुमार, पाल्लेराम, सुरज प्रकाश, हरफूल, देवी प्रसाद, प्रेम कुमार, पाल सिंह, जितेन्द्र मचल, सुधीर संह, दीपक पारचा, संजय भारती आदि मौजूद रहे।
कर्मचारियों के हित में उठाया बड़ा कदम
सफाई कर्मचारी 10 दिनों से अपनी 10 मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे, दो दिन कूड़ा वाहन रोकर शहरी कूड़ा निस्तारण व्यवस्था को ठप किया गया, 10-12 दिनों से सफाई कर्मियों का पालिका प्रशासन से बना गतिरोध दो घंटे की वार्ता में ही दूर हो गया।
इसका कारण चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की कर्मचारी हितैषी नीति और स्पष्ट कार्यप्रणाली ही मुख्य कारण बनी है, क्योंकि 10 दिनों के आंदोलन में सफाई कर्मचारी संघ के नेताओं की पालिका प्रशासन के साथ वार्ता तो दो बार हो चुकी थी, लेकिन इस वार्ता में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल शामिल नहीं थी और शायद यही वजह रही कि संघ नेताओं को अंजू अग्रवाल की उपस्थिति के बिना पालिका प्रशासन के किसी भी वादे पर विश्वास नहीं जम सका और वार्ता विफल हो गयी।
अंजू अग्रवाल ने कर्मचारी हित में बड़ा काम किया है। उनके द्वारा 10-15 साल से अपने देय भुगतान को पाने के लिए भटकने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों और परिजनों की सुध लेते हुए 9.57 करोड़ रुपये का भुगतान अब तक किया जा चुका है। उनकी यही नीति कर्मचारियों का दिल जीत रही है, यही कारण रहा कि आज संघ नेता भी उनके जिंदाबाद के नारे लगाते नजर आये।