- लगातार लंबी होती जा रही सीएमओ कार्यालय की कोरोना संक्रमण की चेन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेडिकल की माइक्रोबॉयलोजी लैब से सैंपल परिणाम पॉजिटिव आने के बाद भी सीएमओ कार्यालय का एक संविदा कर्मचारी शनिवार को ड्यूटी करता नजर आया। जैसे ही यह बात अन्य कर्मचारियों की पता चली वहां अफरा-तफरी फैल गयी। कमरा नंबर छह में बैठने वाले अरुण नाम के संविदा की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है, लेकिन शनिवार की सुबह वह ड्यूटी पर था।
जब इसकी जानकारी अन्य कर्मचारियों को हुई तो वहां का आलम भगदड़ सरीखा हो गया। जैसे जैसे कर्मचारियों को अरुण नाम के कर्मचारी के संक्रमित होने की जानकारी होती रही घबराहट में वो सीट छोड़कर कार्यालय से बाहर होते चले गए। नौबत यह आ गयी कि देखते ही देखते फर्स्ट फ्लोर पर बैठने वाला ज्यादातर स्टाफ बाहर आ गया। हालांकि बाद में संक्रमित संविदा कर्मचारी को स्वास्थ्य विभाग की टीम एम्बुलेंस से अस्पताल ले गयी, जहां उसको भर्ती करा दिया गया।
संकट मोचन, खुद संकट में
कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के जिन अफसरों पर है उनका पूरा अमला सीएमओ कार्यालय में बैठता है, लेकिन यदि सीएमओ कार्यालय की बात की जाए तो यहां बैठने वाले कई सीनियर डाक्टर जिनमें डा. पूजा, डा. प्रशांत गौतम, डा. एसएस चौधरी समेत कई डाक्टर व आॅपरेटर जो संविदा कर्मचारी हैं अब तक कोरोना की चपेट मे आ चुके हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि जब कोरोना संकट से बचाने वाले ही खुद संकट में घिरते जा रहे हैं तो फिर शहरवासियों को कोरोना संकट से कौन बचाएगा।
संविदा कर्मचारियों की मुसीबत
संक्रमण की चेन बनने के बाद सीएमओ कार्यालय में सबसे ज्यादा मुसीबत यहां काम करने वाले संविदा कर्मचारियों की है। बताया जाता है कि जब से संक्रमण के केस मिलने शुरू हुए हैं तब से स्वास्थ्य विभाग के जो कर्मचारी सीएमओ कार्यालय में बैठते हैं उनमें से कई तो अवकाश पर चल रहे हैं, लेकिन बड़ी मुसीबत संविदा कर्मचारियों की है। संविदा कर्मचारियों को कोरोना संक्रमण के बाद भी छुट्टी नहीं दी जा रही है। संविदा कर्मचारी होने के चलते वो यदि खुद छुट्टी लेते हैं तो फिर बात उनकी नौकरी पर आ जाती है। उन्हें नौकरी पर खतरा मंडराने का डर सताता रहता है।
पूछ रहे कब होगा सैनिटाइजेशन
नाम न छापे जाने की शर्त पर सीएमओ कार्यालय के संविदा कर्मचारियों ने इस संवाददाता से पूछा कि जब कोर्ट और कहचरी तक को केस मिलने के बाद बंद कर दिया गया। मेरठ विकास प्राधिकरण की पूरी बिल्डिंग बंद कर दी गयी। कलक्ट्रेट तक बंद हो गयी तो फिर सैनिटाइजेनशन के नाम पर सीएमओ कार्यालय को क्यों नहीं बंद किया जा रहा है।