ईरान की साख दांव पर थी। लेबनान पर इस्राइली हमलों में हसन नसरुल्लाह समेत हिज्बुल्लाह के लगभग पूरे टॉप लीडरशिप के मारे जाने का दोष ईरान (खासकर ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजिश्कियान) पर मढ़ा जा रहा था। प्रतिरोध की धुरी के कुछ हलकों में ईरान पर भरोसा तोड़ने के इल्जाम भी लगाए गए थे। जाहिर है, इस धुरी का नेता होने का ईरान का दावा और उसकी साख दांव पर लगे थे। ईरान अपनी साख को सिर्फ इस्राइल पर बड़ा हमला करके ही बहाल कर सकता था। खबरों के मुताबिक नई बनी इस स्थिति से ईरानी नेतृत्व पूरी तरह परिचित था। इसीलिए वहां के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खामेनई ने कमान अपने हाथ में ली। उन्होंने इजराइल पर विशाल पैमाने पर मिसाइल हमला करने का आदेश ईरान की सेना को दिया।
मंगलवार शाम तक इसकी भनक अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को लग गई थी। उन्होंने इस्राइल को आगाह किया कि कुछ घंटों के अंदर उस पर बड़ा हमला होने वाला है। तब इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने राष्ट्र के नाम अपना वीडियो संदेश जारी किया। इसमें उन्होंने सभी इस्राइलियों से हमले की स्थिति में लागू होने वाले प्रोटोकॉल का पालन करने और मिसाइल एवं बम से बचने के लिए बने बंकर जैसे स्थलों में छिप जाने का आग्रह किया। कहा- यह बहुत कठिन वक्त है। संपूर्ण एकता का प्रदर्शन कर ही इससे उबरा जा सकता है। कुछ घंटों के अंदर साबित हुआ कि इस बार अमेरिकी एजेंसियों ने फॉल्स अलार्म नहीं बजाया था (यानी झूठी चेतावनी नहीं दी थी)। ईरानी समय के अनुसार रात आठ बजे के करीब ईरान ने मिसाइलें दागनी शुरू कर दीं। कुछ अनुमानों में कहा गया है कि उसने करीब 180 मिसाइलें दागीं, जबकि कुछ अनुमानों में इनकी संख्या 400 तक बताई गई है।
हमलों के तुरंत बाद ईरान ने संयुक्त राष्ट्र को इस हमले की सूचना दी। इसमें दावा किया गया: यह हमला संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुच्छेद 51 के तहत मिले आत्म-रक्षा के अधिकार का उपयोग करते हुए किया गया है। इस दौरान सिर्फ उन सैनिक एवं सुरक्षा ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है, जिनका इस्तेमाल गजा और लेबनान में नरसंहार के लिए इस्राइल ने किया है। हमने दो महीनों तक संयम दिखाने के बाद यह कदम उठाया है। युद्धविराम का मौका देने के मकसद से हमने यह संयम दिखाया।
हमारी तरफ से हमला पूरा हो गया है, बशर्ते इस्राइल सरकार बदले की और कार्रवाई को आमंत्रित ना करे। अगर उसने ऐसा किया, तो इस बार हमला ज्यादा शक्तिशाली एवं मजबूत होगा। इस्राइल सरकार की जिम्मेदारी अब यह है कि तेल अवीव स्थित युद्ध उन्मादियों पर काबू पाए, ना कि यह कि उनकी मूर्खताओं में खुद को शामिल करे। बाद में आई खबरों में बताया गया कि हमला करने के पहले ईरान ने इसकी सूचना रूस और चीन को दी थी।
ईरान ने हमलों के दौरान बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ सुपरसोनिक मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया। इनसे कितना नुकसान हुआ, इस बारे में इस्राइल ने कोई जानकारी नहीं दी है। उसने सिर्फ यह कहा है कि किसी की जान नहीं गई। युद्ध के आम चलन के मुताबिक यह स्वाभाविक ही है कि इस्राइल की कोशिश नुकसान को कम से कम दिखाने की होगी। लेकिन हमलों के दौरान यह जाहिर हुआ कि मिसाइल इंटरसेप्ट करने का इस्राइल का बहुचर्चित सिस्टम आयरन डोम ईरानी मिसाइलों के आगे फेल हो गया।
यह मानने का पर्याप्त आधार है कि ईरानी हमलों से इस्राइल को काफी क्षति पहुंची। चूंकि लोगों ने बचाव के बने सिस्टम में पहले से पनाह ले ली थी, इसलिए जान का नुकसान नहीं हुआ। लेकिन, तेल अवीव में इस्राइली खुफिया एजेंसी मोसाद के दफ्तर के बहुत करीब तक मिसाइलें गिरीं, जिनसे वहां हुए गड्ढे के वेरिफाइड वीडियो उपलब्ध हैं। तेल अवीव के उत्तरी इलाके में एक मॉल मिसाइल लगने से क्षतिग्रस्त हुआ। नेवाटिम एयरबेस के बारे में ईरान की सेना ने दावा किया है कि वह स्थल पूरी तरह नष्ट हो गया है। कई वेरिफाइड वीडियो से वहां मिसाइल लगने और एयरबेस को भारी क्षति पहुंचने की पुष्टि हुई है। गेडेरा नाम के एक स्थल पर एक स्कूल के पास मिसाइल गिरने से एक बड़ा गड्ढा हो गया। तेल अवीव के पास ओर्ट तेल नॉफ एयरबेस के कुछ हिस्से भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।
इस्राइली तट से लगे नेचुरल गैस ग्रिड में आग लगी। इसके वीडियो जारी हुए हैं। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया है कि इस ग्रिड से इजराइल को 80 फीसदी गैस की सप्लाई होती थी। कई अन्य स्थलों को नुकसान पहुंचाने के वीडियो भी कुछ ऐसी साइटों ने जारी किए हैं, जो वीडियो या सूचना वेरीफाइ करने का काम करते हैं।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व विश्लेषक लैरी जॉनसन ने इन हमलों के बारे में रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक से बातचीत में कहा कि ईरान को रूस ने जो सैनिक तकनीक दी है, अमेरिका उसके आगे अपनी कमजोरी को छिपाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा- ‘मैंने ऐसे वीडियो देखे हैं, जिनमें आप देख सकते हैं कि मिसाइलें लगातार लक्ष्यों पर गिर रही हैं और इस्राइल ने ब्लैकआट लागू कर दिया है। वह नहीं चाहता कि जो हुआ, उसके बारे में दुनिया जाने। लेकिन ईरान ने यह सुनिश्चित किया कि वह सैकड़ों इस्राइली नागरिकों की जान लेने के लिए हिट एंड रन जैसा हमला नहीं कर रहा है। उसने इस्राइल जैसा व्यवहार नहीं किया, जबकि आयरन डोम ध्वस्त हो गया।’
कहने का तात्पर्य यह कि आयरन डोम के जरिए इस्राइल खुद को बचा नहीं पाया। दूसरी तरफ ईरान दुनिया को दिखाने में कामयाब रहा कि उसके पास सचमुच प्रभावशाली हाइपरसोनिक और अन्य बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। इस तरह ईरान ने अपना रुतबा बढ़ाया है। अब उसके दावों को ‘गीदड़ भभकी’ के रूप में लेना इस्राइल और अमेरिका के लिए संभव नहीं होगा। एक दिन पहले तक इस युद्ध इस्राइल भारी पड़ता दिख रहा था इन हमलों से ईरान ने एक हद तक संतुलन बहाल कर दिया है। अमेरिका के खुल कर इस्राइल के पक्ष में आने के बावजूद अब यह नहीं कहा जा सकता कि इस्राइल पर प्रतिरोध की धुरी का दबाव घट गया है। बल्कि इन हमलों के साथ ही जिस तरह यमन स्थित अंसारुल्लाह (हूती) और इराक रेजिस्टैंस फोर्स ने इस्राइली जमीन को निशाना बनाने का एलान किया है, उससे यह दबाव आने वाले समय में और बढ़ सकता है।
यह भी गौरतलब है कि लेबनान पर शुरुआती जमीनी हमलों में इस्राइल को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली है। हिज्बुल्लाह के लड़ाके इस्राइल फौज को सीमा पर रोके रखने में अब तक कामयाब दिख रहे हैं। इस क्षेत्र में चले रहे युद्ध के बीच यह जमीनी लड़ाई बेहद अहम है। इसके परिणाम से पूरे युद्ध का स्वरूप तय होगा, यह बात लगभग हर विश्लेषक स्वीकार कर रहा है।