जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान और इस्राइल के बीच चला सैन्य संघर्ष भले ही थम गया हो, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने अब एक नई दिशा ले ली है—अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई के बीच जारी तीखी बयानबाज़ी से दोनों देशों के संबंधों में तनाव चरम पर पहुँच गया है।
ईरान के विदेश मंत्री का करारा जवाब
शनिवार को ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों पर कड़ा और तीखा जवाब दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा “अगर अमेरिका वास्तव में ईरान से समझौता चाहता है, तो उसे हमारे सर्वोच्च नेता के प्रति अपमानजनक भाषा का प्रयोग बंद करना होगा। ईरानी जनता धमकियों और अपमान को स्वीकार नहीं करती।” वहीं, अराघची ने आगे कहा कि अगर अमेरिका ने फिर कोई बड़ी भूल की, तो ईरान अपनी “असली ताकत” दिखाने में ज़रा भी देर नहीं करेगा।
ईरानी संस्कृति से तुलना, शक्ति का संदेश
अराघची ने अपनी बात को शालीन लेकिन प्रभावशाली ढंग से रखते हुए कहा “ईरानी जनता की जटिलता और दृढ़ता हमारे पारंपरिक कालीनों जैसी है — महीनों की मेहनत, बारीकी और धैर्य का परिणाम। लेकिन हमारा संदेश साफ है — हम अपनी आज़ादी की कीमत जानते हैं और किसी को भी अपने भविष्य का निर्धारण करने की अनुमति नहीं देंगे।”
ट्रंप को चेतावनी में कहा “सम्मान मिलेगा, तभी सम्मान मिलेगा”
ईरान के विदेश मंत्री ने अमेरिका को चेताया कि यदि ट्रंप किसी डील को लेकर वास्तविक रूप से गंभीर हैं, तो उन्हें ईरानी नेतृत्व और जनता की भावनाओं का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा “ईरान ने दुनिया को दिखा दिया कि इस्राइल को हमारी मिसाइलों से बचने के लिए अमेरिका के संरक्षण की जरूरत पड़ी। हमारी असली ताकत किसी भी भ्रम को जल्द खत्म कर सकती है।” आगे उन्होंने कहा कि “अच्छी नीयत से अच्छी नीयत मिलती है, और सम्मान देने से ही सम्मान मिलता है।”
ट्रंप क्या बोले?
अराघची की टिप्पणी से एक दिन पहले शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई पर तीखा हमला किया था। उन्होंने कहा “ईरान के तथाकथित सुप्रीम लीडर यह कैसे कह सकते हैं कि उन्होंने इस्राइल के साथ युद्ध जीत लिया, जब उन्हें स्वयं पता है कि यह झूठ है। एक धर्मगुरु से झूठ की उम्मीद नहीं की जाती।”
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों को नष्ट कर दिया है और यह भी कि उन्हें खामेनेई के ठिकाने की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने जानबूझकर उन्हें मारने की अनुमति नहीं दी क्योंकि “मैंने उन्हें एक बहुत ही भयानक और अपमानजनक मौत से बचाया।”
ईरान-इस्राइल टकराव और परमाणु विवाद
बता दें कि, हाल ही में ईरान और इस्राइल के बीच हुआ टकराव तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव के परिणामस्वरूप हुआ था। इस संघर्ष में दोनों पक्षों ने मिसाइल और ड्रोन हमलों का प्रयोग किया, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में तीसरे विश्व युद्ध जैसी आशंका फैल गई थी।
हालांकि अब युद्ध जैसी स्थिति अस्थायी रूप से शांत हो गई है, लेकिन अमेरिका और ईरान के बीच बयानबाजी और आपसी अविश्वास ने स्थिति को फिर से ज्वलनशील बना दिया है।
बढ़ेगी डिप्लोमेसी या फिर से गहराएगा तनाव?
अब देखना यह है कि, क्या दोनों पक्ष राजनयिक बातचीत की राह चुनेंगे या यह शब्दों का युद्ध फिर किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की ओर ले जाएगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें वाशिंगटन और तेहरान पर टिकी हैं।