Sunday, July 20, 2025
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द सैनिक सहकारी आवास समिति रजिस्टर्ड है क्या?

  • कई साल से भ्रष्टाचार की आग में तप रही समिति पर रजिस्टर्ड न होने का शक
  • 16 साल से नहीं हुआ है समिति का आॅडिट
  • आॅडिट अधिकारी को नहीं दिए जा रहे समिति के दस्तावेज

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: द सैनिक सहकारी आवास समिति पिछले कई माह से सुर्खियों में है। समिति पर कभी एनओसी के नाम पर वसूली के आरोप लगते हैं तो कभी समिति के स्टाफ पर प्रॉपर्टी खरीदने वालों से होटल मे सेटिंग करने के आरोप। यहां तक कि आरोप सही पाए जाने के बाद समिति के अध्यक्ष समेत तीन सदस्यों को पद से हाथ भी धोना पड़ा है, लेकिन अब जो आरोप लग रहा है, वह बेहद गंभीर है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि पिछले 16 सालों से समिति का आॅडिट नहीं हुआ है। इससे लगता है समिति का रजिस्ट्रेशन ही संदिग्ध है।

मवाना रोड स्थित डिफेंस कॉलोनी की द सैनिक सहकरी आवास समिति के पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने के बाद समिति को भंग कर दिया गया, लेकिन बात यहां पर ही खत्म नहीं हुई, अब समिति के रजिस्टर्ड होने पर ही सवाल उठ रहे हैं। डिफेंस कॉलोनी के रहने वाले राजेश त्यागी का आरोप है कि समिति का पिछले कई सालों से आॅडिट ही नहीं हुआ है। जबकि नियम ये है कि किसी भी समिति का हर साल आॅडिट होना अनिवार्य है।

इसको लेकर कोर्ट भी टिप्पणी कर चुका है, लेकिन द सैनिक सहकारी आवास समिति का न तो रिकॉर्ड ही मिल रहा है और न ही उसके आॅडिट के लिए मांगे जा रहे दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। समिति की ओर से आॅडिट करनें वाले अधिकारी को भी गुमराह किया जा रहा है। आरोप है कि समिति को आॅडिट करनें के लिए दस्तावेज मांगने वाले अधिकारी को समिति सन् 1937 में रजिस्टर्ड बताया जा रहा है।

जबकि उस समय तो देश भी आजाद नहीं हुआ था, तो आवास समितियां कहां से पैदा हो गई। यानी इस पूरे प्रकरण मेंं समिति के अस्तित्व पर ही सवाल उठ रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि प्रबंध समिति की तरफ से एक पत्र शासन को भेजा गया है। जिसमें समिति को 1963 में रजिस्टर्ड होने की बात की गई है। साथ ही लेखा परिक्षक लखनऊ को भी पत्र भेजकर समिति की जानकारी दी गई है। अब यह समिति आवास आयुक्त के कार्यालय की लापरवाही के कारण आॅडिट के परिसीमन से बाहर हो गई है।

इस पूरे प्रकरण को लेकर डिस्ट्रिक आॅडिट आॅफिसर अशोक मिश्रा से बात की गई तो उनका कहना है कि आवास अधिकारी के पास से उनके यहां कोई सूचना ही उपलब्ध नहीं कराई गई कि कभी इस समिति का रजिस्ट्रेशन हुआ है। जांच करनें के लिए समिति के कार्यालय पर पहुंंचे तो वहां पर मिले प्राइवेट व्यक्ति ने कहा कि हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता। गाजियाबाद से आवास अधिकारी स्वामीदीन चौधरी आए थे और अपनी रिपोर्ट देने की बात कही है। अभी हमारे पास समिति का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में हम कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।

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