हम सभी ने अपने जीवन में डॉक्टर के द्वारा लिखे गए प्रिस्क्रीप्शन को अवश्य देखा होगा। उनकी हैंडराइटिंग कभी भी खूबसूरत नहीं होती है और इसका मुख्य कारण यह होता है कि उनके पास समय का अभाव होता है। लेकिन इसका यह कदापि भी अर्थ नहीं है कि हम परीक्षाओं में भी डॉक्टर की तरह ही तेजी से लिखें जो इग्जैमिनर को मुश्किल से समझ में आए। इससे तो समस्या और भी बदतर हो जाएगी। स्टूडेंट्स को तेजी से लिखने की प्रैक्टिस तो अवश्य करनी चाहिए किन्तु उसके साथ ही इस बात की भी भरपूर कोशिश करनी चाहिए कि पढ़नेवाले को उनके द्वारा लिखी हुई चीजें समझ में भी आती हो।
प्रीति बारहवीं क्लास में एक इंग्लिश मीडियम कॉन्वेन्ट स्कूल में पढ़ती थी। वह पढ़ने में काफी इंटेलीजेंट थी। सभी टीचर्स उससे काफी प्रभावित थे। वह पढ़ाई में कठिन परिश्रम भी करती थी। किन्तु दुर्भाग्यवश परीक्षा में उसके अच्छे मार्क्स नहीं आते थे। उसके टीचर्स के लिए यह एक बड़ी समस्या थी। ऐसा नहीं था कि उसके टीचर्स को प्रीति के प्रॉब्लम्स के बारे में जानकारी नहीं थी। प्रीति की समस्या उसकी राइटिंग की थी। वह तेजी से लिख नहीं पाती थी। परीक्षा में निर्धारित समय में वह अपने सभी प्रश्नों को सॉल्व नहीं कर पाती थी। लिखने की स्पीड कम होने के कारण वह सभी विषयों में सौ प्रतिशत प्रश्नों को सॉल्व नहीं कर पाती थी।
सच पूछिए तो राइटिंग की समस्या विद्यार्थियों के लिए एक कॉमन प्रॉब्लम है और इसके कारण परीक्षाओं में उनके परिणाम काफी प्रभावित होते हैं। क्योंकि इसके कारण स्टूडेंट्स परीक्षा में पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं लिख पाते हैं और फिर उनका परीक्षा परिणाम अच्छा नहीं हो पाता है। यहाँ पर एक प्रश्न यह उठता है कि आखिर तेजी से लिखने की कला पर मास्टरी कैसे प्राप्त किया जाए।
लिखकर पाठ को करें याद
पढ़ने के समय प्राय: स्टूडेंट्स केवल बुक्स या नोट बुक लेकर पढ़ने बैठते हैं। पढ़ने की इस प्रक्रिया से हम बहुत अधिक सीख नहीं पाते हैं। सच पूछिए तो बेहतर स्टडी के लिए लिख-लिख कर पढ़ना बहुत प्रभावी उपाय माना जाता है। इस विधि के अंतर्गत स्टूडेंट्स जब भी पढ़ने बैठें तो उन्हें अपने साथ एक रफ कॉपी अवश्य रखनी चाहिए। इस कॉपी में जब भी कोई टॉपिक पढ़ें तो उसके मुख्य प्वाइंट्स को लिखते जाना चाहिए। कुछ चीजें रटने की बजाय लिख लिख कर याद करने से मैमोरी में अधिक स्थायी होती हैं। इतना ही नहीं इस विधि का सबसे अधिक फायदा यह होता है कि लिखने का अभ्यास पक्का होता है और लिखने की स्पीड बढ़ती जाती है।
नोट बुक बनाने का करें अभ्यास
नोट बुक स्टूडेंट्स के लिए पर्सनल रोडमैप के रूप में कार्य करता है और यही कारण है कि एक अच्छा नोट बुक स्टूडेंट के लिए एक अच्छा गाइड होता है। नोट बुक बनाने के क्रम में लिखने की आदत का विकास होता है और इससे स्पीड भी बढ़ती है। इसीलिए स्टूडेंट्स को सभी विषयों के नोट बुक्स अवश्य बनाने चाहिए। नोट बुक बनाने की आदत दोहरे फायदे की तरह का रास्ता होता है। पहला तो सभी सबजेक्ट्स के अच्छे नोट बुक्स तैयार हो जाते हैं दूसरा इन नोट बुक्स के तैयारी में लिखने की आदत की भी प्रैक्टिस हो जाती है।
डायरी लिखना भी एक अच्छी प्रैक्टिस है
डायरी लिखने के बारे में कहा जाता है कि यह जीवन में आशा को जन्म देता है, इससे उम्मीदें जगती हैं और जीवन से हताशा गायब होती हैं। यह तो डायरी की खूबियाँ हैं लेकिन यहाँ पर इसका उद्देश्य यह नहीं है। डायरी लिखने की आदत से सबसे अधिक जो फायदा होता है वो यह है कि इससे लिखने की प्रैक्टिस बढ़ती है और लिखने की प्रक्रिया आसान हो जाती है। डायरी जीवन का आईना होता है जिसमें किसी व्यक्ति के दु:ख और सुख की कहानियां बड़ी खूबसूरती से पिरोये जाते हैं। इस तरह के कंटेन्ट लिखने में मन भी लगता है और लिखने की आदत विकसित होती है। इसलिए नियमित रूप से डायरी अवश्य लिखना चाहिए।
हमेशा बहुत सुंदर लिखना जरूरी नहीं है
इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सुंदर हैंडराइटिंग का खास महत्व है और यह आर्ट सभी को लुभाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश सभी की हैंडराइटिंग अच्छी नहीं होती है। लिखने की स्पीड कम होने का मुख्य कारण यह भी है कि हम जब भी कुछ लिखते हैं तो प्राय: सुंदर ही लिखने की कोशिश करते हैं। हमेशा सुंदर लिखने का यह मनोविज्ञान लिखने की स्पीड को काफी प्रभावित करती है। लेकिन इसका यह अर्थ कभी भी नहीं है कि हम सुंदर लिखने की कोशिश ही नहीं करें।
हम सभी ने अपने जीवन में डॉक्टर के द्वारा लिखे गए प्रिस्क्रीप्शन को अवश्य देखा होगा। उनकी हैंडराइटिंग कभी भी खूबसूरत नहीं होती है और इसका मुख्य कारण यह होता है कि उनके पास समय का अभाव होता है। लेकिन इसका यह कदापि भी अर्थ नहीं है कि हम परीक्षाओं में भी डॉक्टर की तरह ही तेजी से लिखें जो इग्जैमिनर को मुश्किल से समझ में आए। इससे तो समस्या और भी बदतर हो जाएगी। स्टूडेंट्स को तेजी से लिखने की प्रैक्टिस तो अवश्य करनी चाहिए किन्तु उसके साथ ही इस बात की भी भरपूर कोशिश करनी चाहिए कि पढ़नेवाले को उनके द्वारा लिखी हुई चीजें समझ में भी आती हो।
कर्सिव राइटिंग लिखना है बहुत जरूरी
कर्सिव राइटिंग का सामान्य अर्थ वैसी हैन्डराइटिंग से है जिसमें किसी वर्ड के लेटर्स को किसी लूप के द्वारा जॉइन करके लिखते हैं और वर्डस को लिखने के क्रम में हम पेन, पेंसिल या किसी राइटिंग इन्स्ट्रूमेंट को बार बार उठाते नहीं हैं। इससे न केवल तेजी से लिख पाते हैं बल्कि राइटिंग भी शालीन दिखता है। प्राय: ऐसा देखा जाता है कि स्टूडेंट्स किसी वर्ड को लिखने के लिए उसके लेटर को अलग अलग लिखते हैं। इससे राइटिंग न केवल भद्दा दिखता है बल्कि इस तरह से लिखने में भी काफी अधिक समय लगता है। वैसे शुरू में कर्सिव राइटिंग में प्रॉब्लम आती है लेकिन जब हम इसमें एक्सपर्ट हो जाते हैं तो लिखने की स्पीड काफी बढ़ जाती है।
गलतियों करने से डरें नहीं
लिखने में हमारी स्पीड कंटेन्ट के ज्ञान और गलतियां करने के भय से भी काफी प्रभावित होती है। जिस विषय पर हम लिख रहे होते हैं यदि हमें उसके बारे में पर्याप्त और गहरी जानकारी है तो हम तेजी से लिख पाते हैं। किन्तु किसी विषय के बारे में बहुत अधिक ज्ञान के अभाव में हम चाहे कितनी ही तेज स्पीड से लिखें हम तेजी से लिखने में सफल नहीं हो पाते हैं। दूसरी अहम बात फियर साइकॉलजी की भी है। जब हमें यह लगता है कि हम कुछ गलत लिख रहे हैं तो भी लिखने की हमारी स्पीड तेज नहीं हो पाती है। लिहाजा तेजी से लिखने के लिए विषय का अगाध ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है और गलतियाँ करने के मनोविज्ञान को भी कंट्रोल करने की जरूरत है।
वैसे प्रोफेशनल राइटर्स के लिए भी तेजी से नहीं लिख पाने की समस्या आती है जबकि उनके दिमाग में लिखने के लिए कुछ भी विचार या भाव उत्पन्न नही हो पाते हैं। इसे राइटर्स ब्लॉक कहा जाता है। ऐसी समस्याओं से निबटने के लिए लिखने के कार्य से थोड़े समय के लिए ब्रेक लेने की सलाह दी जाती है।
तेजी से लिखने के लिये कुछ महत्वपूर्ण टिप्स
* विचारों और भावों को तेजी से संघनित करें। लिखने के लिए विचारों के अस्पष्ट होने से समस्या खड़ी होती है।
* व्याकरण या भावों की गलतियों के बारे में चिंता नहीं करें।
* हमेशा बहुत सुंदर हैन्डराइटिंग में लिखने की चाह नहीं रखें।
* तेजी से और सुंदर लिखने के लिए पेन की क्वालिटी भी काफी अहम होती है। जेल पेन से तेजी से लिखना अधिक संभव होता है। वैसे यह कोई वैधानिक नियम नहीं है किन्तु मूल सिद्धांत यही है कि पेन फ्लूअन्ट होना चाहिए। रुक रुक कर चलनेवाली पेन से आप कभी भी तेजी से नहीं लिख सकते हैं।
* लिखने पर ध्यान फोकस करना भी तेजी से लिखने के लिए जरूरी होता है। अर्थात डिस्ट्रैक्शन को दूर करना जरूरी होता है। इसलिए ध्यान भंग करनेवाली चीजों से दूर रहकर लिखने पर फोकस करने से राइटिंग स्पीड बढ़ती है।
* लेटर्स को स्टैन्डर्ड तरीके से कैसे लिखा जाता है इसे भी जानना जरूरी है। इसके अभाव में भी हम तेजी से नहीं लिख पाते हैं। -श्रीप्रकाश शर्मा