- एनएच-58 पर किसानों के जाम ने बिगाड़ा शहर के ट्रैफिक का हुलिया
- जाम से निपटने के लिए धरी रह गई यातायात पुलिस की तमाम तैयारियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: किसानों के वन साइड हाइवे जाम से पूरा शहर त्राहिमाम-त्राहिमाम कर उठा। शहर के तमाम इलाकों में ट्रफिक कराहता हुआ नजर आया। दिल्ली देहरादून वाया मेरठ पर किसानों से केवल एक वन वे पर अपने ट्रैक्टर-ट्रॉली खड़े किए थ, तब यह हाल था, यदि दोनों साइडों पर कब्जा किया होता चक्का जाम सरीखे हालात बन जाते, लेकिन जो हालात सुबह 11 बजे से दोहपर दो बजे तक बने रहे,
उसके चलते जाम के इंतजाम में लगे तमाम पुलिस वालों के भी पसीने छूट गए। अब यदि शहर के जाम के हिस्सों या कहें चपेट में आए इलाकों की बात करें तो जो इलाके आमतौर पर जाम से झाम से फंसने में प्रयुक्त किए जाते हैं आज उन तमाम इलाकों में भी जाम में सैकडों वाहन फंस गए।
माल रोड पर लंबा जाम
माल का प्रयोग वाहन चालक आमतौर पर शहर के जाम से बचने के लिए करते है। रुड़की रोड से आने वाले और गढ़ रोड व हापुड़ रोड की ओर जाने वाले तमाम वाहन चालक माल रोड होते हुए साकेत चौराहा और फिर जेल चुंगी से आगे तेजगढ़ी होते हुए फर्राटा भरते हुए निकल जाते हैं,
लेकिन सबसे ज्यादा बुरा हाल ही माल रोड का नजर आया। यूं कहने को माल रोड के तमाम चौराहों व तिराहों पर ट्रैफिक पुलिस मुस्तैद थी, ओवर ट्रैफिक के चलते वहां वाहनों की लंबी कतार लग गयी। एक साइड का ट्रैफिक शुरू करने के बाद दूसरी साइड में तीन से पांच मिनट के भीतर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी।
जो फंसा, वो फंसा ही रह गया
माल रोड पर जाम की वजह ट्रैक्टर आंदोलन का दोहरा साइड इफेक्ट थे। पहला तो दौराला से मोदीपुरम होते दिल्ली की ओर जाने वाला रास्ता वहां वन साइड होने की वजह से ट्रैफिक का दबाव बढ़ गया। रही सही कसर इसी तर्ज पर मवाना रोड पर एनएच-119 पर मसूरी में संजय दौरालिया के नेतृत्व में भाकियू कार्यकर्ताओं ने हाइवे जाम ने पूरी कर दी।
कंकरखेड़ा में जटौली गांव के कट पर बबलू के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया। जाम में फंसने से बचने के लिए लोग वैकल्पिक रास्तों का प्रयोग कर किसी प्रकार माल रोड पहुंचने शुरू हो गए, कुछ ही देर में माल रोड पर वाहनों की कतारें लग गयीं।
दिल्ली रोड पर आए तो आए क्यों?
वन साइड रोड जाम का बुरा साइड इफेक्ट दिल्ली रोड पर सबसे ज्यादा नजर आया। रैपिड प्रोजेक्ट के काम के चलते आमतौर पर वाहन चालक खासतौर से कार चालकों की यदि बात करें तो दिल्ली की ओर जाने के लिए आमतौर पर एनएच-58 से गुजरना बेहतर समझते हैं,
लेकिन किसानों के एलान के मद्देनजर जिन्हें रास्तों की जानकारी थी ऐसे गाड़ी चालकों ने हाइवे से दूरी बनाकर रखने के लिए दिल्ली रोड का विकल्प चुना, लेकिन दिल्ली रोड जाने के लिए तमाम वाहन चालकों ने वाया बागपत रोड होकर जाने में समझदारी समझी, लेकिन यह समझदारी उनके लिए नासमझी साबित हुई।
शहर के भीतर भी हाल बेहाल
शहर के भीतर भी हाल बेहाल ही रहे। एक तो साप्ताहिक पैंठ दूसरी ओर किसानों का वन वे जाम या कहें कब्जा तो इसके असर से शहर के कई इलाके खासतौर से शहर की घनी आबादी वाले इलाकों में जाम में फंसे लोग त्राहिमाम-त्राहिमाम करते नजर आए।सोमवार होने के बावजूद आज भी शहर घंटाघर से लेकर छतरी वाला पीर खैरनगर वाला चौराहा जाम की चपेट में था। कमोवेश यही स्थित रेलवे रोड चौराहे से घंटाघर की ओर आने वाले रास्ते की थी।
- काफी पुख्ता थे इंतजाम
जाम की आशंका के चलते शहर में काफी पुख्ता इंतजाम किए गए थे। तमाम चौराहों पर पर्याप्त स्टाफ था। कहीं से भी लंबे जाम की सूचना नहीं मिली। यातायात को रुकने नहीं दिया गया। -राघवेन्द्र मिश्रा, एसपी ट्रैफिक