- कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष महमूद आरिफ ने जयंत चौधरी को भेजे इस्तीफे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को अपनी ही पार्टी के नेताओं से चुनौती मिल रही है। उनके लिए पार्टी के कई दशक पुराने पदाधिकारी को जोड़कर रखना दूभर हो चला है। मंगलवार को राष्ट्रीय लोकदल अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष महमूद आरिफ और राष्ट्रीय लोक दल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह ने उन्हें अपने इस्तीफे भेज दिए हैं। मनजीत सिंह की ओर से भेजे गए पत्र में जयंत चौधरी को खिताब करते हुए कहा गया कि वह पार्टी के पद और राष्ट्रीय लोकदल की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं।
मनजीत सिंह का कहना है कि अगस्त महीने से लेकर अक्टूबर महीने तक हुए घटनाक्रम से कई बार अवगत कराने के बावजूद जयंत चौधरी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। राष्ट्रीय लोकदल ने अपने बेस वोटर किसान की आवाज उठाना भी बंद कर दिया है। जो भी नेता किसानों की आवाज उठाना चाहता है, उसे दबा दिया जाता है। दिल्ली मुख्यालय में स्व: घोषित दूसरे नंबर के नेता राष्ट्रीय लोक दल के बेस वोट जाट-मुस्लिम तथा किसानों से नफरत करते हैं। वह चाहते हैं कि प्रत्येक नेता तथा कार्यकर्ता उनके सामने दंडवत रहे। जबकि उनके लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं है।
मनजीत सिंह का कहना है कि उन्होंने पहले स्व. चौधरी चरण सिंह और उसके बाद स्व. चौधरी अजीत सिंह को तथा अब तक जयंत चौधरी को अपना नेता माना। उन्होंने 36 वर्ष तक इस पार्टी में समर्पित भाव से काम किया है। लेकिन अब दुखी होकर भारी मन से राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष तथा पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं। वहीं महमूद आरिफ ने प्रदेश अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा प्रेषित किया है। जिसमें कहा गया कि उन्होंने 27-28 साल तक पार्टी में जो जिम्मेदारी दी गई, उसको पूरा किया है।
पार्टी में विभिन्न पदों पर रहते हुए एक अनुशासित सिपाही के रूप में कार्य किया है। लेकिन चार-पांच महीने से देखा जा रहा है कि पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव एवं संगठन मंत्री और उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री और कार्यालय प्रभारी बराबर अल्पसंख्यक वर्ग के प्रति अपमानित करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। यहां तक कि प्रदेश कार्यालय से भी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के लोगों को दूर कर दिया गया। इस ओर ध्यान दिलाए जाने के बावजूद जयंत चौधरी ने विचार तक नहीं किया। महमूद आरिफ ने कहा कि अब ऐसा लगने लगा है कि संगठन से जुड़े हुए अल्पसंख्यक समाज की पार्टी को कोई जरूरत नहीं रह गई है
इसलिए वह भारी मन से अपने पद और पार्टी के सदस्य इस्तीफा दे रहे हैं। मंगलवार को इन दोनों के भेजे गए इस्तीफे पार्टी में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक कार्यकर्ताओं में चर्चा का विषय बने हुए हैं। गौरतलब है कि हाल ही के दिनों में बागपत क्षेत्र में पार्टी के मजबूत स्तंभ माने जाने वाले नवाब अहमद हमीद लोक दल छोड़कर कांग्रेस में जा चुके हैं। इससे पहले चौधरी यशवीर सिंह, राममेहर सिंह और राहुल देव जैसे बड़े नेता और पहले ही राष्ट्रीय लोकदल से किनारा कर चुके हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर जयंत चौधरी ने पार्टी को सहेज कर रखने की दिशा में कदम नहीं उठाया, तो आने वाले दिनों में रालोद को और कई झटके लग सकते हैं।