- कई-कई सालों से अपनी सीटों पर जमे हैं जेई और एई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: समाज में एक कहावत बहुत लोकप्रिय है ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’। लोक निर्माण विभाग पर यह कहावत इस समय बिल्कुल सटीक बैठती है। दरअसल, इस विभाग में इस समय कई जेई (अवर अभियन्ता) व एई (सहायक अभियन्ता) ऐेसे हैं जो अपनी अपनी सीटों पर कई कई सालों से जमे हैं, जबकि शासन की नीतियों के अनुसार यह लोग एक नियत समय से अधिक तक एक सीट पर नहीं रह सकते।
विभागीय सूत्रों के अनुसार इस समय लोक निर्माण विभाग के मेरठ कार्यालय में भी कई जेई व एई ऐसे हैं, जो कई कई सालों से यहां जमे हुए हैं। बावूजद इसके इन्हे हिलाने वाला कोई नहीं। विभागीय अधिकारी भी इस मसले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं। वो यह पूरा मामला मुख्यालय पर डाल देते हैं।
विश्वस्त विभागीय सूत्र बताते हैं कि यहां पर बड़ी संख्या में ऐसे जेई व एई हैं। जिन्हें सात-सात साल यहां तैनात हुए हो गए हैं। अब किस आधार पर यह लोग अपनी कुर्सियों पर जमे हैं ये तो यही जानें। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि इनमें से कई अभियंता तो ऐसे भी हैं, जिनके क्षेत्र तक नहीं बदले गए।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसा किस आधार पर हो रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में प्रदेश के 28 सहायक अभियंताओं के तबादले की एक सूची जारी हुई थी। जिस पर अच्छा खासा हंगामा खड़ा हो गया था। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस तबादला सूची प्रकरण में विभाग के राज्य स्तरीय मंत्री तक ने हस्तक्षेप किया था जिसके बाद विभाग ने इसे निरस्त कर दिया था। यहां एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि चाहे मेरठ का मामला हो या फिर प्रदेश के अन्य स्थानों का, आखिर कुछ अभियन्ता अपनी तैनाती स्थल का मोह क्यों नहीं त्याग पा रहे हैं।
लखनऊ स्तर पर ही होगा निर्णय: मुख्य अभियंता
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियन्ता इं. राजीव कुमार इस मामले में वैसे तो खुलकर कुछ नहीं बोले। उन्होंने इतना जरुर कहा कि नियमों के अनुसार मार्च के महीने में इस प्रकार का पूरा डाटा मुख्यालय को भेज दिया जाता है और फिर वहीं से निर्णय होता है। बकौल मुख्य अभियन्ता इस बार भी पूरा डाटा लखनऊ को भेजा जा चुका है।
मुख्यालय पर सब डाटा मौजूद: अधीक्षण अभियंता
लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियन्ता इ. रविन्द्र सिंह के अनुसार अब इस प्रकार का पूरा डाटा आॅनलाइन होता है। पहले जब यह डाटा आॅन लाइन नहीं था तब मुख्यालय से इस संबध में जानकारी जरुर मांगी जाती थी, जो उन्हें उपलब्ध करा दी जाती थी लेकिन अब इस प्रकार की सभी जानकारी आॅनलाइन है।
नहीं उठा मंत्री का फोन
इस संबध में पूरी जानकारी के लिए जब विभागीय राज्यमंत्री को फोन किया तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। उनके पीआरओ सौरभ सिंह से भी कई बार बात करने की कोशिश की गई लेकिन या तो फोन नहीं उठा या फिर कई बार फोन डिस्कनेक्ट कर दिया गया।
कैबिनेट में पास हो चुकी सरकार की स्थानांतरण नीति
सरकारी सूत्रों के अनुसार योगी सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर सभी विभागों की ट्रांसफर पॉलिसी को बेहद पारदर्शी बना दिया है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक विभागीय ट्रांसफर पर मुख्यमंत्री खुद नजर रख रहे हैं। इसके अलावा विभिन्न ट्रांसफर की जानकारी मुख्यमंत्री तक को दी जा रही है। बताते चलें कि खुद मुख्यमंत्री ने सभी कैबिनेट मंत्रियों को अधिकारियों के ट्रांसफर से पूर्व एक पांच प्रकार का कॉलम भरकर खुद उनके पास भेजने के लिए कहा है।
शासन ने फिर जारी किए स्थानांतरण के आदेश
लोक निर्माण विभाग में सालों से एक ही जगह जमे अवर व सहायक अभियन्ताओं के स्थानांतरण के मामले की गूंज शासन स्तर पर गूंजी है। इस संबंध में शासन स्तर से लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियन्ता (विकास) व विभागाध्यक्ष को आदेश जारी किए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि पीडब्ल्यूडी में ऐसे अवर व सहायक अभियन्ता जिनकी मंडल में तैनाती को सात साल व जनपद में तीन साल पूरे हो चुके हैं उनके तुरन्त स्थानांतरण कर इसकी आख्या शासन को 30 जून तक उपलब्ध कराएं।