- एक निजी नर्सिंग होम में कराया भर्ती
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ऊर्जा निगम के कर्मचारी तनाव में हैं। वजह है आला अफसरों के उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करने की। जूनियर इंजीनियरों से 8 की बजाय 14 से 15 घंटे ड्यूटी ली जा रही हैं। इसी वजह से इंजीनियर तनावग्रस्त हैं। फिर आला अफसर उन्हें धमकाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। क्योंकि शतप्रतिशत बकाया वसूली नहीं हो पा रही हैं।
क्योंकि शहर और ग्रामीण क्षेत्र में ऊर्जा निगम कर्मियों के साथ मारपीट भी हो रही हैं। ऊर्जा निगम के व्यहवार के चलते भाजपा के प्रति लोगों में आक्रोश भी बढ़ रहा हैं। कनेक्शन काटने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं तो जनता ऊर्जा निगम के कर्मचारियों के साथ मारपीट कर रही है।
अब तक दस से ज्यादा स्थानों पर मारपीट की घटना घट चुकी हैं। कनेक्शन नहीं काटते हैं तो ऊर्जा निगम के आला अफसर सार्वजनिक रूप से धमका रहे हैं। अभद्र शब्दों का प्रयोग करते हैं। ऐसा ही एक मामला आज यहां हुआ, जिसमें जूनियर इंजीनियर कैलाश गोस्वामी अर्ध मूर्छित हो गए, जिनको बेहोशी हालत में ग्रीन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां उनका बीपी बढ़ा हुआ था और डॉक्टरों ने उन्हें तनावग्रस्त होना बताया है।
कैलाश गोस्वामी मूर्छित हुए तब वह साइट पर काम कर रहे थे। आरोप है कि ऊर्जा निगम में कर्मचारियों की छुट्टी बंद कर दी गई है। उनको अवकाश ‘डे’ में भी बुलाया जा रहा है। यह पिछले दो महीने से इस तरह से उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर्मचारियों के साथ की जा रही है, जिसके चलते कर्मचारी परेशान है और तनाव में है। इसको लेकर इंजीनियर बीमार भी पढ़ने लगे हैं।
इंजीनियरों का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है तो बिगड़े इसकी अफसरों को कोई परवाह नहीं है। सिर्फ बकाया राशि वसूली का लक्ष्य पूरा होना चाहिए, इसको लेकर आला अफसर परेशान हैं। बता दे कि हाल ही में संविदा कर्मी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई से चुप होकर हड़ताल पर चले गए थे, जिसके बाद ऊर्जा निगम का कार्य प्रभावित हुआ। रेवेन्यू भी घटा। क्योंकि संविदा कर्मियों ने कनेक्शन डिस्कनेक्ट करने से इंकार कर दिया था, जिसके चलते राजस्व की भी प्राप्ति ऊर्जा निगम को नहीं हो रही थी।
चीफ इंजीनियर के तबादला निरस्त करने के आश्वासन के बाद ही संविदा कर्मी काम पर लौटे हैं, लेकिन ऊर्जा निगम के कर्मचारियों से 14 से 15 घंटे काम लिया जा रहा है। छुट्टी भी बंद कर दी गई है। जिस तरह से उत्पीड़न हो रहा है, उसके बाद अब कर्मचारी बेहोश होने लगे हैं। यही हालत रही तो कोई अनहोनी भी हो सकती है। क्या उसके लिए आला अफसर जिम्मेदार होंगे? यह बड़ा सवाल है।