Sunday, December 22, 2024
- Advertisement -

इन नारों से गुंजायमान हुआ धरती का स्वर्ग कश्मीर, ‘मोदी तेरे जान निसार, बेशुमार-बेशुमार’, विकास योजनाओं के हो रहा कायाकल्प

जनवाणी ब्यूरो |

कश्मीर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मास्टर स्ट्रोक यानी ‘अनुच्छेद 370’ के खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में अनेक बदलाव देखे गए हैं। गुरुवार को श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में आयोजित पीएम मोदी की रैली में लोगों ने ‘मोदी तेरे जान निसार, बेशुमार बेशुमार’, के नारे लगाए। कश्मीर में अब पत्थरबाजी नहीं होती। घाटी, नित्य नए बदलावों की गवाह बन रही है।

भले ही विपक्षी दलों ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर सवाल उठाए थे। हालांकि गत वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 की वैधता को बरकरार रखने का फैसला दिया था। घाटी में 30 वर्ष बाद 2021 में जम्मू और कश्मीर में पहली बार सिनेमा हॉल खुला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बना।

पुलवामा, शोपियां, बारामूला और हंदवाड़ा में 4 नए थियेटर खुले हैं। 100 से अधिक फिल्मों की शूटिंग शुरू हो गई है। लगभग 100 सिनेमा हॉल्स के लिए बैंक लोन के प्रस्ताव बैंकों में विचाराधीन हैं।

सरकार ने जम्मू कश्मीर में ऐसी व्यवस्था की है कि अब वहां पर कोई कंकड़ फेंकने की हिम्मत नहीं करता। 2010 में सीजफायर उल्लंघन की 70 घटनाएं हुईं थी, 2023 में सिर्फ दो घटनाएं हुईं।

2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मत्यु हुई थी

जम्मू कश्मीर में साल 2010 के दौरान घुसपैठ की 489 घटनाएं हुईं थीं, जबकि 2023 में सिर्फ 48 घटनाएं हुईं हैं। गृह मंत्री शाह ने कहा था, आतंकवाद के मूल में अनुच्छेद 370 के कारण खड़ी हुई अलगाववाद की भावना थी। उक्त अनुच्छेद खत्म होने से अलगाववाद में बहुत बड़ी कमी आ रही है। आतंकवादी घटनाओं में भी कमी आ गई है। जम्मू कश्मीर में 1994 से 2004 के बीच कुल 40,164 आतंकवाद की घटनाएं हुईं थीं।

2004 से 2014 के बीच ये घटनाएं 7,217 हुईं, जबकि मोदी सरकार के 9 वर्षों में 70 फीसदी की कमी के साथ ये घटनाएं सिर्फ 2,197 रह गईं। इनमें 65 फीसदी पुलिस कार्रवाई के कारण घटित हुईं। पिछले 9 वर्ष के कार्यकाल में नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 72 फीसदी और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में 59 फीसदी की कमी आई है।

साल 2010 में जम्मू और कश्मीर में 2,654 पथराव की घटनाएं हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी पथराव की घटना नहीं हुई है। 2010 में 132 ऑर्गेनाइज़्ड हड़तालें हुई थीं, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 112 नागरिकों की मत्यु हुई थी, जबकि 2023 में एक भी नहीं हुई। 2010 में पथराव में 6,235 सुरक्षाबलकर्मी घायल हुए थे, 2023 में एक भी नहीं हुआ।

देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा

पिछले दिनों लोकसभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित हो गया है। इस विधेयक के पारित होने के बाद शाह ने कहा था, यह एक और मोती जोड़ने का काम करेगा। 70 वर्षों से जिन लोगों के साथ अन्याय हुआ है, जो अपमानित हुए और जिनकी अनदेखी हुई, ये विधेयक उन्हें अधिकार और न्याय दिलाने वाले हैं। विस्थापितों को अपने ही देश के अन्य हिस्सों में शरणार्थी बनकर रहना पड़ा। वर्तमान आंकड़ों के अनुसार, लगभग 46,631 परिवारों के 1,57,967 लोग अपने ही देश में विस्थापित हो गए। उक्त विधेयक के पारित होने से उन्हें अधिकार व प्रतिनिधित्व मिलेगा।

1947 में 31,779 परिवार पाक-अधिकृत कश्मीर से जम्मू और कश्मीर में विस्थापित हुए थे। इनमें से 26,319 परिवार जम्मू और कश्मीर में और 5,460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे। 1965 और 1971 में हुए युद्धों के बाद 10,065 परिवार विस्थापित हुए थे। कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद, इन विस्थापितों की दशकों से न सुनाई देने वाली आवाज सुनी गई। इन्हें अधिकार दिए गए।

तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता

न्यायिक परिसीमन 5 और 6 अगस्त, 2019 को पारित बिल का ही हिस्सा था। परिसीमन आयोग, डिलिमिटेशन और डिमार्केटेड असेंबली लोकतंत्र का मूल और जनप्रतिनिधि को चुनने की इकाई तय करने की प्रक्रिया है। शाह ने कहा था, अगर परिसीमन की प्रक्रिया ही पवित्र नहीं है, तो लोकतंत्र कभी पवित्र नहीं रह सकता, इसीलिए इस बिल में प्रावधान किया गया है कि न्यायिक परिसीमन फिर से किया जाएगा।

कमीशन ने प्रावधान किया है कि दो सीटें कश्मीरी विस्थापितों और एक सीट पाक-अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए नामांकित की जाएं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं। अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है।

पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जो अब 43 हो गई हैं। कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं, वो अब 47 हो गई हैं। पाक-अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिजर्व रखी गई हैं। पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में दो नामित सदस्य होते थे, अब पांच होंगे। कश्मीरी विस्थापितों को आरक्षण देने से कश्मीर की विधानसभा में उनकी आवाज गूंजेगी। अगर फिर विस्थापन की स्थिति आएगी तो वो उसे रोकेंगे।

पीओके से आए लोगों को साढ़े पांच लाख रुपये

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद लगभग 1.6 लाख लोगों को अधिवास प्रमाण-पत्र देने का काम किया गया है। पाक अधिकृत कश्मीर से आए लोगों को एकमुश्त साढ़े पांच लाख रुपये देने का काम हुआ है। गृह मंत्रालय हर माह कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करता है। गृह मंत्री शाह के अनुसार, हर तीन माह में वे स्वयं वहां जाकर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हैं।

एक जीरो टेरर प्लान बनाया गया है, जिस पर पिछले तीन वर्षों से अमल हो रहा है। 2026 तक जीरो टेरर प्लान पूरी तरह से अमल में आ जाएगा। इसके साथ ही कंप्लीट एरिया डॉमिनेशन प्लान बनाया गया है, जो 2026 तक समाप्त हो जाएगा। पहले सिर्फ आतंकवादियों को मारा जाता था, लेकिन अब हमने इसके पूरे इकोसिस्टम को खत्म कर दिया है। टेरर फाइनेंस के तहत एनआईए ने 32 मामले दर्ज किए हैं।

ये मामले इसलिए दर्ज हुए, क्योंकि पाकिस्तान से पैसा आ रहा था। एसआईए द्वारा भी टेरर फंडिंग के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। लगभग 229 लोग अरेस्ट हुए हैं। 150 करोड़ रुपये मूल्य की 57 संपत्तियों को ज़ब्त कर उन्हें नीलाम करने के लिए अदालत में प्रक्रिया जारी है। 134 बैंक खाते सील हुए, जिनमें 122 करोड़ रुपये जब्त हुए हैं। जम्मू और कश्मीर में 45 हजार लोगों की मृत्यु की जिम्मेदार अनुच्छेद 370 था।

पहले 94 डिग्री कॉलेज थे, आज 147 हैं

अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले जीएसडीपी एक लाख करोड़ रुपये था, जो सिर्फ पांच साल में दोगुना होकर आज 2,27,927 करोड़ रुपये हो गया है। पहले 94 डिग्री कॉलेज थे, आज 147 हैं। आईआईटी, आईआईएम और दो एम्स वाला जम्मू और कश्मीर पहला राज्य बना। पिछले 70 सालों में यहां सिर्फ चार मेडिकल कॉलेज थे, अब सात नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। 15 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए गए हैं, पहले मेडिकल सीटें 500 थीं।

अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद 800 और सीटें जोड़ी गई हैं। पीजी सीटें 367 थीं, अब 397 नई सीटें जोड़ने का काम किया गया है। मिड-डे मील लगभग छह लाख लोगों को मिलता था, अब 9,13,000 लोगों को मिड-डे मील मिलता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की औसत 158 किलोमीटर थी, अब 8,068 किलोमीटर प्रति साल हो गई है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 70 सालों में 24,000 घर दिए गए थे, पिछले पांच सालों में 1,45,000 लोगों को घर दिए गए हैं। 70 सालों 7,82,000 लोगों तक पीने का पानी पहुंचा, जबकि अब 13 लाख परिवारों तक पीने का पानी पहुंचाया गया है। पहले 47 जनऔषधि केंद्र थे, अब 227 जनऔषधि केन्द्रों पर सस्ती दवाएं लोगों को मिल रही हैं। खेलों में युवाओं की भागीदारी दो लाख से बढ़कर 60 लाख तक पहुंची है। पेंशन के लाभार्थी छह लाख से 10 लाख तक पहुंचे हैं।

58 हजार 477 करोड़ रुपये की 32 परियोजनाएं

जम्मू कश्मीर के लिए 58 हजार 477 करोड़ रुपये की 32 परियोजनाएं लगभग पूरी हो गई हैं। 58 हजार करोड़ रुपये में से 45 हजार 800 करोड़ रुपये का व्यय समाप्त हो गया है। 5000 मेगावाट के लक्ष्य रखकर चार हजार 987 करोड़ की 642 मेगावाट की किरू हाइड्रो परियोजना, 5000 करोड़ रुपये की लागत वाली 540 मेगावाट की क्वार हाइड्रो परियोजना, 5200 करोड़ रुपये की लागत वाली 850 मेगावाट की रतले हाईवे परियोजना, 8112 करोड़ रुपये की लागत वाली 1000 मेगावाट की सोपाक दल हाइड्रो परियोजना, 2300 करोड़ रुपये की लागत वाली 1856 मेगावाट की सावलकोट हाइड्रो परियोजना और 2793 करोड़ रुपये की लागत वाली शाहपुर खंडी बांध सिंचाई और बिजली परियोजना जैसी जल विद्युत परियोजनाओं में बीते 10 साल के अंदर निवेश हुआ है।

पहली बार 1600 मेगावाट सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए वहां पर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है, 38 ग्रुप स्टेशनों का निर्माण हुआ, 467 किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइनें बिछाई गईं, 266 अप स्टेशन बनाए गए हैं। 11000 सर्किट किलोमीटर की एसटी और आईटी लाइनों को बचाने का काम मौजूदा सरकार ने किया है।

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगने के 59 दिन बाद ही सिंचाई के लिए गाद निकालने का काम पूरा किया गया। रेल नेटवर्क का विस्तार हुआ है। 3127 करोड रुपये की अनुमानित लागत से 8.45 करोड़ की लंबी काजीकुंड बनिहाल सुरंग का निर्माण हो गया है। लगभग 8000 किलोमीटर नई सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में बनाई गई हैं।

जम्मू कश्मीर के 10 शिल्प को जीआई टैग मिला, डोडा के गुच्छी मशरूम को जीआई टैग मिला, आरएस पुरा के बासमती चावल को जैविक प्रमाण पत्र जारी किया गया है। समग्र कृषि विकास के लिए 5013 करोड़ रुपये की योजना पूरी की गई है। जम्मू कश्मीर में सभी व्यक्तियों का पांच लाख का तक के इलाज का पूरा खर्च अब सरकार उठा रही है।

मौजूदा सरकार के कार्यकाल के पहले पर्यटकों का अंतिम उपलब्ध आंकड़ा करीब 14 लाख था, जबकि वर्ष 2022-23 में दो करोड़ पर्यटक जम्मू कश्मीर पहुंचे हैं। दो करोड़ से ज्यादा पर्यटकों के पहुंचने का रिकॉर्ड टूटा है। राज्य में होम स्टे नीति की बनी है, फिल्म की नीति बनी है, हाउस बोट के लिए भी एक पॉलिसी बनाने का काम किया गया है। जम्मू रोपवे परियोजना 75 करोड़ रुपये खर्च कर पूरा कर ली गई है। इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी पूरी कर ली गई है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

मां गंगा हमें बहुत कुछ देती है, इसका ध्यान रखे: गोविल

मेरठ महोत्सव में जिला गंगा समिति की ओर...

पीसीएस परीक्षा आज, 47 केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

परीक्षा के लिए 20693 अभ्यर्थी पंजीकृत, सीसीटीवी कैमरों...

रडार पर जमीन के सौदे और विदेशी किताबों की छपाई

साकेत स्थित आवास और हाइवे स्थित आफिस पर...

सुभारती में फिर छात्र ने फांसी लगाकर दी जान

गर्ल फ्रेंड से झगड़ा होने पर फांसी पर...

गॉडविन पब्लिक स्कूल में धूमधाम से मना विंटर कार्निवल

गणेश वंदना से हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ, निदेशक...
spot_imgspot_img