विवेक शर्मा
वैसे तो प्रकृति के प्रत्येक मौसम के कुछ लाभ हैं तो कुछ हानि भी। लेकिन समय चक्र चलता रहता है और मौसम भी बदलता रहता है। गर्मी के मौसम में जहां हम फलों के राजा आम का स्वाद लेकर आनंदित होते हैं, वहीं कहर बरपाती धूप में कहीं जाना पड़ जाए तो लू के गर्म थपेड़ों के बारे में सोच कर ही रूह कांप उठती है। आज जब गर्मी अपने पूरे शवाब में नजर आ रही है और सूर्य देवता से भी किसी प्रकार की राहत की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है तो बेहतर होगा कि जब भी घर से बाहर जाएं तो स्वयं को गर्मी से बचाने के विभिन्न उपायों को अपनाएं जिससे आप स्वस्थ रहें।
कैसे करें बचाव
’ प्रतिदिन दो-तीन बार नहाने से त्वचा संबंधी रोगों से कुछ हद तक सुरक्षित रह सकते हैं।
’ धूप में निकलते समय शरीर को पूरी तरह ढक कर निकलें।
’ जिन अंगों पर धूप ज्यादा पड़ती है, उन पर सनस्क्रीन लगाएं एवं छतरी का प्रयोग करें।
’ त्वचा में नमी की कमी न हो, इसके लिए खूब पानी एवं रसीले फलों का प्रयोग करें।
’ मुल्तानी मिट्टी या लेक्टोकैलामाइन को त्वचा पर लगाकर खराब होने से बचाएं।
’ किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए प्रतिदिन विटामिन – सी युक्त पदार्थों का सेवन करें।
’ हल्दी, नींबू, दही और गुलाब जल को बेसन में मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
’ केला, पपीता, खीरा को मिलाकर व घोल बनाकर स्किन पर लगाएं।
’ ज्यादा गर्मी में आखों में जलन होने लगे तो खीरे को काट कर आंखों के ऊपर रख लें। ठंडक मिलेगी।
’ भोजन में जहां तक संभव हो लो कैलोरी डाइट लें। कम तली हल्की चीजें खाएं। जितनी भूख हो, उसका आधा खाएं।
आंखों का रखें विशेष ध्यान
गर्मियों में आंखों की सफाई की लापरवाही के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हाथ मिलाने से भी बचें, क्योंकि कितनी भी सावधानी बरतें हाथों के जरिए संक्रमण सबसे ज्यादा फैलता है। फिर भी अगर संक्रमण से प्रभावित हो जाएं तो आंखों को स्वच्छ पानी से धोएं। आंखों को हथेली से रगड़ें व मलें नहीं। इससे आंख में जख्म हो सकते हैं। स्वयं डाक्टर बन कर इलाज न करें। बेहतर होगा डॉक्टर के पास जाकर जांच करवाएं।
गर्मियों में आंखों से संबंधित फैलने वाले रोग
वायरल कंजक्टिवाइटिस: आंख लाल होना व पानी आना इस तरह का इंफेक्शन ज्यादातर एक आंख में होता है परंतु जल्दी ही दूसरी आंख को भी अपनी चपेट में ले लेता है।
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस: आंखों में सूजन, खुजली और आंखों से लगातार आंसू निकलना इस रोक के लक्षण हैं। इस रोग में दोनों ही आंखें प्रभावित होती हैं।
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस: इसमें आंख में जलन होना, आंसू आना व गाढ़ा-गाढ़ा डिस्चार्ज होता है। यह एक आंख में ही होता है परंतु असावधानी से दूसरी में भी हो सकता है। इसमें सोकर उठने पर ऊपर नीचे की पलकें आपस में चिपक जाती हैं।
बचने का तरीका
’ दरवाजे के हैंडल व फोन इंफेक्टेड न हों, इसका ध्यान रखें।