- नोमान और गुलिस्ता को फिलहाल तबाही का सदमा, गुजारे की फिक्र
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: खंद्रावली के उस्मान कालोनी की सूनी फिजा में फिलहाल दर्द है…गम है…और हैं सन्नाटा तोड़ती गुलिस्ता की चीखें जो निदा, नेहा और सैफ के बेवक्त बिछड़ जाने पर उसके मर्म में उठी ममता की घटाओं से अनचाहे निकल रही हैं। आश्रूधारा बनकर आंखों से बरस रहा गम नोमान के परिवार की तबाही बयां कर रहा है। मां-बाप को अब पछतावा भी है लेकिन नियति के निर्णय को कौन टाल सकता है।
बुधवार दोपहर खंद्रावली के उस्मान कालोनी निवासी नोमान की बेटी निदा (23), नेहा (21), इकलौते भाई मुहम्मद सैफ (19) के साथ बाइक पर सवार होकर मौसा मारूफ के घर परीक्षितगढ़ के अमीनाबाद उर्फ बड़ा गांव गईं थीं। मौसेरे भाई सलमान के सऊदी अरब जाने की खुशी में दावत थी। हंसी-खुशी दावत खाकर सलमान को सऊदी के लिए रवाना करने के बाद तीनों बहन-भाई हंसते, मुस्कुराते आपस में बतियाते घर लौट रहे थे तभी परीक्षितगढ़ के पसवाड़ा-गोविंदपुरी मार्ग पर श्रीओम व विरेंद्र के खेत के पास सामने से आया भैंसा-बुग्गी सैफ को नही दिखा।
बस सैफ की यही चूक तीनों भाई-बहनों अनंत यात्रा पर ले गई। बाइक बुग्गी से टकराई तो भैंसा विचलित होकर बाइक सवारों को रौंदते हुए भाग निकला। जिससे तीनों बहन-भाई गंभीर घायल हुए और तीनों ने ही अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। खंद्रावली इतिहास में पहली बार हुए इस दर्दनाक हादसे ने पूरे गांव को झकझोर दिया।
पिछले दो दिन से गांव और खासतौर से उस्मान कालोनी में पसरा मातम अभी छटा नही है। शुक्रवार तड़के गम में डूबी गुलिस्ता की चीखों ने मोहल्ले को गमगीन कर दिया। बेबस मां की चीखों से विह्वल लोगों ने गुलिस्ता और नोमान को सांत्वना दी। पौ फटने के साथ जैसे-जैसे उजियारा फैला ग्रामींण और रिश्तेदार सांत्वना देने पहुंचते रहे। जनप्रतिनिधियों में सिर्फ विधायक शाहिद मंजूर सांत्वना देने पहुंचे।
तबाही का सदमा गुजारे की फिक्र
गम के अंतहीन सागर में डूबे नोमान और उसके परिवार की आंखों में आंसू थम नही रहे हैं। गुलिस्ता और नोमान के अलावा शादीशुदा बेटियों सबा और निशा का भी रो-रोकर बुरा हाल है। लोगों की जेहनों-जबान पर भी फिलहाल अगर कोई जिक्र है तो नोमान की तबाही का। सदमे के बीच ब्लड कैंसर के बीमार नोमान और गठिया दर्द से पीड़ित गुलिस्ता को अपने गुजारे की फिक्र सता रही है। क्योंकि चालक की नौकरी कर परिवार को सहारा देने वाला उनका लाल चला गया। हालांकि गुलिस्ता रोकर हर बार यही कहती है कि अब बाकी जिंदगी निदा, नेहा और सैफ की ददीर्ली यादों के सहारे कटेगी।