- खरमास में किया गया पूजा पाठ जप तप विशेष फलदायी
- सूर्य का मीन राशि में प्रवेश के बाद अब एक माह के बाद बजेगा बैंड, बाजा,बारात
- 17 मार्च से लगने वाले होलाष्टक के आठ दिनों के काल को भी माना जाता है अशुभ
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि सूर्य ग्रह ने गुरु ग्रह की मीन राशि में प्रवेश किया है। अब ये ग्रह 13 अप्रैल तक इसी राशि में रहेगा। ज्योतिष की मान्यतानुसार जब सूर्य धनु या मीन राशि में रहता है, तो इस समय को खरमास कहा जाता है। सूर्य एक राशि में करीब एक माह रहता है।
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि सूर्य के मीन राशि में आने से विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, जनेऊ जैसे मांगलिक संस्कार के मुहूर्त नहीं रहते हैं। अब 13 अप्रैल तक इन मांगलिक कार्यों के मुहूर्त नहीं रहेंगे।
सूर्य, जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तब सूर्य की ऊर्जा क्षीण हो जाती है। इसे मीन मलमास कहा जाता है। मलमास के दौरान किए जाने वाले शुभ संस्कार को उचित नहीं माना जाता। इसलिए 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक विवाह संस्कार नहीं किए जा सकेंगे। 14 अप्रैल के पश्चात जब सूर्य मीन राशि से बाहर आएगा, तब पुन: शुभ संस्कार शुरू होंगे। 14 मार्च से शुरू होने वाले मीन मलमास के मात्र दो दिन पश्चात 17 मार्च से होलाष्टक भी लग जाएगा। होलाष्टक के आठ दिनों के काल को भी अशुभ माना जाता है।
इस तरह, मीन मलमास के दौरान ही होलाष्टक पड़ रहा है। मीन मलमास और होलाष्टक दोनों अशुभ होने से किसी भी तरह का शुभ संस्कार नहीं किया जाएगा। आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि खरमास में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। इन दिनों में रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं। ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जप करें आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष हैं, उन्हें ये शुभ काम अवश्य करना चाहिए। घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल और पूजन सामग्री से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। मिठाई और फलों का भोग लगाएं। आरती करें। गणेश पूजा के बाद शिवलिंग का अभिषेक करें। जल और पंचामृत से भगवान को अभिषेक करें। वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ माखन-मिश्री का भोग लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करते हुए पूजा करें। जरूरतमंद लोगों को अनाज, खाना, जूते-चप्पल, कपड़े, छाता, धन का दान करें। किसी गौ शाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को हरी घास खिलाएं।इस माह में अपने इष्टदेव की कथाएं पढ़ें, सुनें। किसी संत के सत्संग में शामिल हो सकते हैं।
23 अप्रैल से लेकर 30 जून तक विवाह के लिए श्रेष्ठ शुभ मुहूर्त नहीं
ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह के लिए गुरु और शुक्र तारा का आकाश में उदित होना जरूरी है। यदि ये दोनों तारा, ग्रह अस्त हों तो विवाह नहीं किया जाता। मलमास समाप्त होने के 10 दिन पश्चात 23 अप्रैल को शुक्र तारा अस्त हो जाएगा, जो कि पुन: 29 जून को उदय होगा। इसी बीच छह मई को गुरु तारा भी अस्त हो जाएगा, जो दो जून को उदित होगा। इन दोनों ग्रह के अस्त होने से 23 अप्रैल से लेकर 30 जून तक विवाह के लिए एक भी श्रेष्ठ मुहूर्त नहीं है।
देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं
आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि जुलाई में भी मात्र पांच मुहूर्त में फेरे लिए जा सकेंगे। इसके पश्चात 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 16 नवंबर तक चातुर्मास लगने से शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर में पांच और दिसंबर में खरमास शुरू होने से पहले छह मुहूर्त हैं।
इस साल होंगे विवाह के 20 शुभ मुहूर्त
- मार्च-14 मार्च से 13 अप्रैल तक कोई मुहूर्त नहीं।
- अप्रैल-18, 19, 20, 21, 22 शुभ मुहूर्त
- मई-मुहूर्त नहीं
- जून-मुहूर्त नहीं
- जुलाई-9, 11, 12, 13,15 शुभ मुहूर्त
- अगस्त से अक्टूबर तक कोई शुभ मुहूर्त नहीं
- नवंबर-17, 22, 23, 24, 25 शुभ मुहूर्त
- दिसंबर-2, 3, 4, 10, 13, 15 शुभ मुहूर्त