- अघोषित रूप से चलन से बाहर हुए 1, 2, 5 व 10 रुपये के सिक्के
- सिक्कों के लेन-देन को लेकर अक्सर होता है झगड़ा
जनवाणी संवाददाता |
रोहटा: किराना व्यापारी की दुकान, दूध डेयरी, रेहडी-खोमचे वाले हो या फिर सरकारी कार्यालय, इन सभी जगहों पर पिछले कई महीनों से सिक्कों का चलन अघोषित रूप से बंद हो गया है। एक ही शहर के अलग-अलग हिस्सों में लोग अपनी मर्जी के मुताबिक सिक्के चलाते हैं। ये सिक्के 1, 2, 5 और 10 रुपये के हैं।
इससे पहले 50 पैसे का सिक्का भी चलन से बाहर हो गया है। हालात ये हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इन्हें बंद नहीं किया है, लेकिन लोगों ने अपने हिसाब से ही और खुल्ले के चक्कर में इन सिक्कों को लेना बंद कर दिया है। ये स्थिति किसी एक शहर या गांव की नहीं बल्कि पूरे देश की है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है।
आज के समय में 1, 2, 5 और 10 रुपये के सिक्के के लिए के लिए दुकानदार से लेकर सरकारी कार्यालय तक में सब आनाकानी करते हैं। इसका मुख्य कारण है कि उत्पादन की बिक्री पर मुनाफा कम होना, साथ ही इनके गिनने में परेशानी होना। वहीं, इस संबंध में एसडीएम सदर संदीप भागिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई ऐसी हरकत करता है, उसकी सीधे शिकायत कीजाए कार्रवाई होगी।
ऐसे होती है परेशानी
दुकानदारों द्वारा सिक्के नहीं लेने से आमजन परेशान होता है। कई बार सिक्के नहीं लेने के कारण लोगों में आपसी झगड़ा तक हो जाता है। जिले के एक हिस्से में सिक्के चलन में होते हैं तो दूसरे हिस्से में नहीं। लोगों का कहना है कि उनके पास हजारों रुपये के सिक्के जमा हैं, लेकिन अघोषित रूप से लोगों ने उन्हें चलन से बाहर कर दिया है।
नोमिनेशन करने वाले करते हैं इस्तेमाल
नामांकन करने जाते समय चर्चा में बने रहने के लिए हजारों रुपये के सिक्के ले जाते हैं, जिन्हें गिनने में जिला प्रशासन के लोगों का काफी समय लगता है। इसके साथ ही लोग अब सिक्कों को मंदिर या अन्य धार्मिक स्थानों पर ही चढ़ाने के काम लेते हैं या फिर मांगने वालों के काम ये सिक्के आ रहे हैं।
इस वजह से नहीं लेते सिक्के
- सिक्कों को गिनने में परेशानी होती है।
- सिक्कों को गिनने की मशीन नहीं है।
- सिक्कों में वजन अधिक होता है।
- लोग सिक्कों को जेब में रखना पसंद नहीं करते।
- महंगाई अधिक होने से 1, 2 और 5 रुपये की कीमत का सामान कम मिलता है।
इनकार करने पर यह हो सकती है कार्रवाई
भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत नोट या सिक्के का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्के चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना अपराध है। इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक जुर्माना, कारावास या दोनों का प्रावधान है।
लेने चाहिए सिक्के
अध्यक्ष पालिका बाजार व्यापार संघ मेरठ नूर मोहम्मद चौहान का कहना है कि जब तक रिजर्व बैंक सिक्कों को बंद नहीं करती, तब तक सभी व्यापारियों को इन्हें लेना चाहिए। यदि कोई नहीं लेता है तो वह गलत है। बैंकों को भी व्यापारियों से सिक्के लेने चाहिए।
नहीं चलते सिक्के
मेडिकल स्टोर संचालक दिलशाद अली का कहना है कि 1, 2 और 5 रुपये के छोटे सिक्के बाजार में नहीं चल रहे हैं। ग्राहक से ले लेते हैं तो उन्हें आगे चलाने में परेशानी होती है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
आमजन परेशान
यात्री राजीव का कहना है कि बस चालक ने टिकट के साथ 1-1 रुपये के पांच सिक्के दिए, लेकिन अब उन्हें कोई दुकानदार नहीं ले रहा है। ऐसे में आमजन को परेशानी होती है। सरकार को इस ओर कदम उठाना चाहिए।