Saturday, September 14, 2024
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Krishna Janmashtmi 2024: देशभर में कृष्ण जन्मोत्सव आज,धूमधास से मनाया जा रहा जन्माष्टमी का पर्व

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिन्दू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अराधना की जाती हैं और व्रत रखा जाता हैं। वहीं, आज सोमवार यानि 26 अगस्त 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा हैं। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार जयंती योग और कृत्तिका नक्षत्र के साथ मनाया जाएगा। इस योग में लड्डू गोपाल की पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा, वृन्दावन और बरसाने में इसकी अलग धूम देखने को मिलती हैं। वहीं जन्माष्टमी के अवसर पर इस्कॉन मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है।

सनातन धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु जी का आठवां अवतार माना जाता है। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन कृष्ण जी के बाल रूप को पूजा जाता है। 12 बजे के बाद पूरे देश में उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।

श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए माखन-मिश्री और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। वहीं उनकी विशेष कृपा प्राप्ति के लिए आरती की जाती हैं। आरती करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए इस आरती के बारे में जान लेते हैं।

श्रीकृष्ण की आरती

आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग।

अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस।

जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद।
टेर सुन दीन दुखारी की

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

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