Saturday, April 26, 2025
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लाखों खर्च फिर भी मालीपुर गौशाला में गोवंश की लाशों का बिछोना

  • उपचार और भुख के अभाव में दम तोड रहा गोवंश

  • जिम्मेदार झाड रहे पल्ल, कहा हादसे में चोटिल है मरा गोवंश

जनवाणी संवाददाता |

हस्तिनापुर: बेसहारा गोवंशों के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा हर महीने करोडों रूपये खर्च कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें उनके संरक्षण से लेकर खाने व चिकित्सा तक की व्यवस्था है। लेकिन सरकारी की ये योजनाएं ब्लाक स्तर तक आते-आते सिर्फ कागजों तक ही सीमित होकर रह जाती है।

हकीकत मालीपुर स्थित गोशाला में देखी जा सकती है। गोशाला में हर महीने लाखों रुपये भूसे, चूनी-चोकर व कर्मचारियों पर खर्च किया जाता है, मगर गोवंश भूख और उपचार के अभाव में दम तोड रहे है और देखने वाला कोई नहीं। जिम्मेदार अधिकारी मरे गोवंश को दुर्घटनाग्रस्त बता अपना पल्ला झाड लेते है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट बेसहारा गोवंशों के संरक्षण के लिए ब्लाक व गांव स्तर पर सैकड़ों गोशालाएं संचालित हो रही हैं। लेकिन खंड विकास क्षेत्र हस्तिनापुर के अधिकारी इसे भी हवा-हवाई करने का प्रयास कर रहे हैं।

गोशालाओं की देखरेख के नाम पर सिर्फ कागजी पत्र दौड़ाए जाते हैं। जबकि धरातल पर गोवंश भूख से दम तोड़ रहे हैं। हस्तिनापुर ब्लाक स्थित मालीपुर गोशाला की बात करें तो वर्तमान अभिलेखों में यहां 639 गोवंश संरक्षित किये गए हैं।

इनके संरक्षण के लिए कर्मचारी तैनात हैं। प्रतिवर्ष लाखों रुपये भूसे पर व चूनी- चोकर पर खर्च किया जा रहा है। इलाज के लिए पशु चिकित्सक की भी तैनाती है। मानकों के अनुसार उन्हें प्रतिदिन गोशाला में जाकर जांच करनी होती हैं। मगर इस गोशाला में कभी भी चिकित्सक दिखाई नहीं देते हैं। जिसके चलते प्रतिदिन गोवंश भुख और उपचार के अभाव में दम तोड देता है।

गुरूवार को दैनिक जनवाणी की टीम ने गौशाला पहुंची तो नजारा झन झौरने वाला था गौशाला के आईसीयू वार्ड मे 1-2 नहीं 8 गए मृत पड़ी थी। जिनमें 1 मृत गोवंश की हालत गोशाला कर्मचारियों की लापरवाही बयां कर रही थी। कहने से गुरेज नहीं होगा कि मृत गोवंश को शायद कुत्तों ने नोचा होगा जिसके चलते उसकी हालत इतनी बुरी थी।

आखिर क्यो कहां गायब हो गई सौ से भी अधिक गायें

प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गौसेवा योजना शुरू की है। योजना के तहत ब्लाक में मालीपुर में गौशालाओं का निर्माण किया जा चुका है। प्रदेश सरकार प्रति गाय 30 रुपए खर्च कर रही है। गौशाल में रिकोड की बात करते तो पूर्व माह में 705 गोवंश था। हाल में हस्तिनापुर की सडंकों पर आवार घुम रहे लगभग 28 गोवंश को नगर पंचायत द्वारा पकड कर मालीपुर गौशाला में छोड गया।

इसके बाद भी गौशाला में गोवंश की संख्या बढने की जगह घट रही है और वर्तमान में महज 639 ही गोवंश मालीपुर गौशाला में है। अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता पर्याप्त बजट के बाद भी गौंवश बेमौत मारी जा रही हैं। शायद उस बजट का सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। उससे भी बड़ी बात यह है कि निगरानी के लिए बोर्ड बना दिया गया है लेकिन गौ शालाओं की निगरानी ईमानदारी से नहीं हो रही है और गोवश काल के गाल में समा रही हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

खंड विकास अधिकारी अश्वनी कुमार का कहना है कि जो गाय आईसीयू में है उन्हें विश्व हिंदू परिषद वह अन्य समाजसेवी संस्थाओं द्वारा दुर्घटना ग्रस्त होने के बाद गौशाला में छोड़ा गया है इसलिए उनकी हालत गंभीर है।

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