Sunday, September 8, 2024
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वकील हुए मुखर, हाईकोर्ट बेंच नहीं तो वोट नहीं

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  • वकीलों की मांग फिर से हुए तेज, साल 1955 से मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग लगतार है जारी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच स्थापना को लेकर अधिवक्ताओं ने अपनी मांग एक बार फिर तेज कर दी है। वकीलों ने पोस्टर जारी करते हुए एक नया नारा दिया है, बेंच नहीं तो वोट नहीं। साल 1955 से मेरठ में हाईकोर्ट बेंच की मांग लगातार जारी है। साल 2024 के चुनाव से ठीक पहले मेरठ से अलग राज्य की मांग के साथ पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग जोर पकड़ने लगी है।

मेरठ में हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन कुंवर पाल शर्मा और संयोजक विनोद चौधरी ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर मीडिया को बताया कि हर बार राजनीतिक दलों द्वारा इसे पूरा करने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन सत्ता में आने के बाद इस मांग को दरकिनार कर देते हैं इसलिए आगामी चुनाव में बेंच नहीं तो वोट नहीं के स्लोगन का स्टीकर द्वारा प्रचार किया जाएगा।

28 को गाजियाबाद में होगी अगली बैठक

संघर्ष समिति के चेयरमैन कुंवरपाल शर्मा और संयोजक विनोद चौधरी ने बताया कि केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में प्रत्येक माह के पहले शनिवार को सभी जिलों के अधिवक्ता अपने-अपने जिले और तहसील के सांसद तथा विधायक का घेराव कर हाईकोर्ट बेंच की मांग का प्रस्ताव पहले ही सर्वसम्मति से पारित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि समिति की अगली बैठक 28 को जिला बार एसोसिएशन गाजियाबाद के सभागार में होगी।

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इस मीटिंग में खंडपीठ की स्थापना के लिए पैदल मार्च की तारीख पर विचार-विमर्श किया जाएगा। साल 1955 से हाईकोर्ट बेंच की मांग उठती रही है। वकीलों का कहना है कि पश्चिमी यूपी में 22 जिले आते हैं। इनसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूरी पाकिस्तान के लाहौर से भी ज्यादा है। मेरठ से प्रयागराज करीब 657 किमी दूर है। जबकि पाकिस्तान का लाहौर 458 किमी दूर है।

वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग

सरधना: बुधवार को सरधना बार के द्वारा पे्रसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें अधिवक्ताओं ने वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को उठाया। कहा कि लंबे आंदोलन के बाद भी सरकार सुनने को तैयार नहीं है। जबकि अधिवक्ताओं की मांग पूरी हीं होती है, आंदोलन जारी रहेगा। प्रेस वार्ता में बार अध्यक्ष मलखान सैनी ने कहा कि सरकार की जनता को सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने की मंशा है।

मगर कई दशक से वेस्ट यूपी में उठ रही हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग पूरी नहीं कर रही है। वेस्ट यूपी के लोगों को न्याय पाने के लिए 700 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। उसमें भी यहां के लोगों को लूटने का काम किया जाता है। यदि वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना होती है तो लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय मिल सकेगा। सचिव अरविंद प्रताप सिंह ने कहा कि केंद्री संघर्ष समिति के नेतृत्व में अधिवक्ता लंबे समय से अपनी आवाज उठा रहे हैं।

आगे भी इस तरह आंदोलन को जारी रखने का काम किया जाएगा। समिति द्वारा जो दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे, उसके आधार पर आगे आंदोलन को धार देने का काम किया जाएगा। इस मौके पर अधिवक्ता राजेश कुमार, दीपक कुमार, जितेंद्र पांचाल आदि मौजूद रहे।

बार एसोसिएशन ने प्रेसवार्ता कर हाईकोर्ट बेंच की मांग की

मवाना: हाईकोर्ट बेंच स्थापना केंद्रीय संघर्ष समिति के आह्वान पर बार एसोसिएशन के बार हाल में बुधवार दोपहर 1:30 बजे प्रेसवार्ता आयोजित की गई। जिसमें बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीवल्लभ एडवोकेट व सचिव महमपाल सिंह एडवोकेट, संयुक्त सचिव रघुकुल तिलक एडवोकेट, कोषाध्यक्ष रूपचंद शर्मा एडवोकेट तथा सम्मानित अधिवक्तागण शमशुद्दीन अंसारी एड., जगपाल सिंह एड., सुनील भारती एड., राजन शर्मा एड. सम्मिलित रहे।

प्रेसवार्ता में केंद्रीय संघर्ष समिति हाईकोर्ट बेंच स्थापना के आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की ब्रांच स्थापित करने के लिए तत्काल आदेश पारित किया जाए। आगामी बैठक 28 अक्टूबर को जिला बार एसोसिएशन, गाजियाबाद के सभागार में आहुत की जाएगी। जिसमें पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट खंडपीठ स्थापनार्थ अधिवक्ताओं द्वारा पैदल मार्च की तिथि नियत की जाने के लिए विचार विमर्श किया जाएगा।

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