Friday, March 29, 2024
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आखिर नेताओं का बसपा से हो रहा मोह भंग

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  • बसपा में टूट, क्या कहती है राजनीति? हाथी से उतरकर साइकिल पर सवार हो रहे बसपाई ’

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: बसपा में कभी विधानसभा चुनाव के एक वर्ष पहले विधानसभा प्रभारी के रूप में प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया जाता था। टिकट को लेकर बसपा में मारामारी रहती थी। करोड़ों रुपये खर्च करने की भी नेताओं की चर्चा भी आम थी, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव को लेकर बसपा में टिकट लेने को लेकर कोई भी नेता रुचि नहीं दिखा रहा है।

चुनाव में केवल सात माह शेष है, लेकिन बसपा के जो कभी एक वर्ष पहले टिकट फाइनल होते थे, उस पर अभी कोई विचार बसपा में नहीं हो रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव 2021 में अब सिर्फ सात माह शेष बचे। नवंबर-दिसंबर में चुनाव आचार संहिता लागू की जा सकती है। इससे पहले राजनीति के अखाड़े में उठापटक तेज हो गई हैं। बसपा के हाथी से उतर कर नेता दूसरे दलों में जा रहे हैं।

इस चुनाव से ठीक पहले बसपा को बड़ा नुकसान हो रहा है। ऐसा कभी बसपा के साथ नहीं हुआ। वेस्ट यूपी के बड़े नेताओं में शामिल पूर्व एमपी शाहिद अखलाक पहले से ही बसपा से निष्कासित चल रहे हैं। उनके बाद पूर्व विधायक योगेश वर्मा और उनकी पत्नी मेयर सुनीता वर्मा भी बसपा को छोड़ चुके हैं। इस तरह से अब पूर्व एमपी कादिर राणा भी बसपा को अलविदा कह चुके हैं।

कादिर राणा मुजफ्फरनगर दंगे के बाद सुर्खियों में रहे थे, जो वर्तमान में सपा की साइकिल पर सवार हुए हैं। कादिर राणा के छोटे भाई मुरसलीम राणा चरथावल से विधायक रह चुके हैं, वह बसपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़े थे। वर्तमान में बसपा करे अलविदा कहते हुए रालोद का दामन थाम चुके हैं। पुरकाजी से विधायक रहे अजल भी बसपा का साथ छोड़कर सपा का दामन थाम चुके है।

यही नहीं, मुजफ्फरनगर से ही बसपा जिलाध्यक्ष रहे कमल गौतम भी अब सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं। रामनिवास पाल बसपा संगठन में थे, लेकिन वर्तमान में सपा में शामिल हो गए। बसपा में सबसे बड़ी टूट चल रही है। ऐसे में बसपा को सबसे कमजोर आका जा रहा है। उधर, चंद्रशेखर भी बसपा के वोट बैंक पर निशाना साध रहे हैं। अब मेरठ से शाहिद अखलाक ने फेसबुक पर अपने समर्थकों से मुस्लिमों की आवाज उठाने के लिए राय मांगी है कि वह कहां जाए? साथ ही आईएमआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवैसी का फोटो भी फेसबुक पर अपने साथ शेयर कर सबको चौका दिया हैं।

इससे यह भी चर्चाएं चल रही है कि शाहिद अखलाक ओबीसी के साथ जा सकते हैं, लेकिन एक नई खबर यह भी आ रही है कि दो दिन बाद शाहिद अखलाक कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं और वह अपने पुत्र को मेरठ दक्षिण विधानसभा से कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ाना चाहते हैं। शाहिद अखलाक का परिवार औवेसी के साथ जाएगा या फिर कांग्रेस का हाथ थामता हैं? यह तो अभी भविष्य के गर्भ में हैं, लेकिन इतना अवश्य है कि वेस्ट यूपी की राजनीति में बड़ी उथल-पथल चल रही हैं।

दरअसल, बसपा के कहीं बड़े लीडर वेस्टर्न यूपी से एक के बाद एक बसपा के हाथी से नीचे उतर रहे हैं। इससे लग रहा है कि बसपा में कभी टिकट मांगने को लेकर जो लाइन लगी रहती थी ,उसमें कमी आई है। कभी लोग बसपा से टिकट पाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते थे, लेकिन वर्तमान में विपरीत हवा बह रही है। जिससे बसपा को चुनाव से पहले कितना नुकसान हो सकता है? यह अभी कहना मुश्किल होगा।

क्योंकि आने वाले समय में राजनीति में बहुत कुछ तय होने वाला हैं। सपा-रालोद का गठबंधन को लेकर भी चर्चाएं चल रही है। अभी सपा-रालोद के गठबंधन पर बहुत कुछ निर्भर करने वाला है। सपा-रालोद एक साथ आते है तो वेस्ट में ये दोनों दल इस स्थिति में होंगे कि भाजपा का मुकाबला कर पाएंगे।

भाजपा को फिलहाल कमजोर आंकना सपा-रालोद को भारी पड़ सकता है। कांग्रेस की वेस्ट यूपी में स्थिति अच्छी नहीं है। कांग्रेस के पास कार्यकर्ता तक मौजूद नहीं हैं। कांग्रेस में सिर्फ ख्याली पुलाव पकाये जा रहे हैं।

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