जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वर्षा ऋतु बीतने के बाद शरद ऋतु का आरंभ होता है। भारतीय पंचांग के अनुसार दो महीने की एक ऋतु होती है। अर्थात भाद्रपद और अश्विन मास में शरद ऋ तु होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी कम रहती है और इस दिन चंद्रमा अन्य दिनों के सापेक्ष बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसे ब्लू मून के नाम से भी जाना जाता है।
20 अक्टूबर को इस वर्ष शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस वर्ष सबसे खास बात यह कि कई सालों बाद भारतीय आकाश चार उदित ग्रहों से सुशोभित होगा। ज्योतिषाचार्य आलोक शर्मा के अनुसार इस दिन सुदंर चंद्रमा आकाश के मध्य में बृहस्पति और शनि का एक ही राशि में मिलन और पश्चिम दिशा की ओर से अपनी विशेष चकम से चमकता हुआ दिखाई देगा। वहीं शुक्रतारा आकाश में इस दिन कई साल बाद अनोखी छठा को बिखेरता हुआ नजर आएगा। ऐसा कई वर्षों बाद होने जा रहा है।
लक्ष्मी पूजा का बन रहा विशेष संयोग
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा को विशेष माना गया है। इस दिन लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। वहीं इस दिन लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा जीवन में धन की कमी को दूर करने वाली मानी गई है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आसमान से अमृत बरसता है। वहीं इस दिन व्रत करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
शरद पूर्णिमा पर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है खीर
शरद पूर्णिमा वाले दिन चांद सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। कहते हैं कि इसी दिन श्री कृष्ण ने महारास रचाया था। वहीं इस दिन चांद की किरणों से अमृत बरसता है। इसी वजह से पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर रातभर उसे चांदनी में रखने का रिवाज है। इसका वैज्ञानिक कारण जाने तो दूध में लेक्टिक एसिड होता है जो चंद्रमा के तेज प्रकाश से दूध में पहले से मौजूद वैक्टीरिया को बड़ा देता है। शरद पूर्णिमा का आरंभ 19 अक्टूबर की शाम 7 बजे से होगा और समापन 20 अक्टूबर रात 8 बजे होगा।