- रेंजर ने ग्रामीणों को दिया जल्द भय से निजात का आश्वासन
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: जड़ौदा ढाकों के पास निजि नलकूप पर तेंदुआ दिखने से गांव में हड़कंप मच गया। टार्च और लाठी-डंडे लेकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे। जिन्हें देख तेंदुआ गुरार्ता हुआ बाग के रास्ते से ढाकों में चला गया। खौफजदा ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी। वनाधिकारियों ने ग्रामीणों को शीघ्र ही तेंदुए के भय से निजात का आश्वासन दिया है।
सोमवार रात लगभग 10 बजे जड़ौदा निवासी उस्मान का बेटा ढाकों के पास अपना नलकूप चलाने गया था। तभी उसे छत पर किसी जानवर के चढ़े होने का आभास हुआ। युवक ने मोबाइल की टार्च जलाकर देखा तो छत पर तेंदुआ गुर्रा रहा था। यह देख युवक के होश उड़ गए। उसने परिजनों को फोन पर सूचना दी। लाठी-डंडे और टार्च लिए परिजन सैकड़ों ग्रामीणों के साथ मौके पर पहुंचे।
ग्रामीणों की भीड़ देख तेंदुआ नलकूप की छत से कूदकर गुर्राता हुआ बाग के रास्ते ढाकों में घुस गया। ग्रामीणों ने तीन दिन पूर्व जंगल में चार तेंदुए देखे जाने का दावा किया है। रेंजर जगन्नाथ कश्यप का कहना है कि वनटीम कई दिनों से तेंदुआ परिवार की धरपकड़ को आॅप्रेशन चला रही है। सर्वप्रथम यह तेंदुआ परिवार सादुल्लापुर बांगर में देखा गया था। फिर भगवानपुर बांगर जा पहुंचा।
दो दिन पूर्व किठौर वन चैकी पर वनकर्मियों से मात्र तीन मीटर की दूरी होकर गुजरा। कल से जड़ौदा में होने की जानकारी मिली है। बताया कि तेंदुआ परिवार में एक नर मादा का जोड़ा दो शावक हैं। इन्हें जल्द ही सेंचुरी एरिया गंगा खादर के वनक्षेत्र में पहुंचा दिया जाएगा। हालांकि जड़ौदा के ढाकों में आठ वर्ष पूर्व भी तेंदुओं का वास था। यहां से 2014 में वनविभाग और वाइल्ड लाइफ टीम ने एक तेंदुआ बेहोश कर पकड़ा था।
तत्कालीन डीएफओ सुशांत सिंह ने ढाकों की लोकेशन को तेंदुए के वास के अनुरूप बताया था। क्योंकि ढाकों के पास तालाब और मुर्दा मवेशी स्थल है। जहां कुत्ते मंडराते रहते हैं। यहां तेंदुए के छिपने को ढाके, खाने को कुत्ते, पीने को तालाब का पानी सहज प्राप्त हो जाता है।