Wednesday, June 4, 2025
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हैरत: 16 करोड़ की लाइब्रेरी में लाइब्रेरियन नहीं

  • 2011 में लाइब्रेरियन के रिटायर्ड होने के बाद नहीं की गई नियुक्ति

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एमबीबीएस के 150 सीटों वाले एलएलआरएम मेडिकल में यूं कहने को दो-दो लाइब्रेरी हैं। इनमें से एक सेंट्रल लाइब्रेरी तो कुछ दिन पहले ही 16 करोड़ रुपये की लागत से बनवाई गई है, लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि दो-दो लाइब्रेरी होने के बावजूद पिछले 10 साल से बगैर लाइब्रेरियन के ही लाइब्रेरी चल रही हैं।

इसे मेडिकल प्रशासन या फिर प्रदेश सरकार की लापरवाही कहें या कुछ और। दरअसल 30 जून 2011 को मेडिकल के लाइब्रेरियन चंद्र मोहन बहुगुणा रिटायर्ड हुए थे। उस वक्त तत्कालीन प्राचार्य डा. केके गुप्ता ने रिटायर्ड हो रहे चंद्रमोहन से मेडिकल में आर्टिस्ट के पद पर तैनात पुष्कर को अस्थायी चार्ज दिला दिया था।

हालांकि बाद में आर्टिस्ट की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री व लाइब्रेरी सांसद में भी डिग्री हासिल कर ली थी, लेकिन उसके बाद भी मेडिकल की लाइब्रेरी को लाइब्रेरियन नहीं मिल सका।

एमबीबीएस की 150 सीटों वाले मेडिकल की लाइब्रेरी में कितना काम होगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। छह साल की एमबीबीएस की पढ़ाई के अलावा उसके बाद किया जाने वाला तमाम विधाओं में पीजी की डिग्री के लिए पढ़ाई। मेडिकल में अन्य विषयों व विभागों की पुस्तकें। उनका जारी किया जाना।

रखरखाव व अन्य सेमिनार सरीखे कार्यक्रमों का आयोजन कराना, इन तमाम के लिए फुल टाइम व स्थायी लाइब्रेरियन का होना कितना जरूरी है इसका अंदाजा लाइब्रेरी में आने वाले एमबीबीएस जेआर, तमाम विभागों के एचओडी व अन्य से की गई बातों से लगाया जा सकता है।

हालांकि आॅन द रिकार्ड कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि 10 साल से लाइब्रेरियन का न होना यह मेडिकल के लिए ही नहीं बल्कि लखनऊ में बैठकर सिस्टम चलाने वालों पर भी सवाल खडेÞ करने को काफी है। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक एचओडी ने बताया कि 16 करोड़ की लागत से नई लाइब्रेरी तो बना दी गई है, लेकिन बगैर लाइब्रेरियन के यहां कैसे व्यवस्था को संभाला जाएगा।

यह सवाल मुंह बांये खड़ा है। इन दिनों सेंट्रल लाइब्रेरी में शिफ्टिंग का काम चल रहा है। अस्थायी कर्मचारी के बूते पर सेंट्रल लाइब्रेरी को मैनेज किया जाना संभव नहीं है। लाइब्रेरियन के अलावा सहायकों की भी जरूरत पड़ती है। जब भी मेडिकल से एमबीबीएस या पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल करने के बाद कोई छात्र विदा होता है तो उसको एनओसी देने का काम भी लाइब्रेरियन का है।

इसी तर्ज पर अन्य को भी एनओसी जारी की जाती है। इस संबंध में प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार का कहना है कि लाइब्रेरियन की नियुक्ति शीघ्र करा दी जाएगी। शासन में फाइल चल रही है। पूर्व में शासन के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव ने आख्या भी मांगी थी। लाइब्रेरियन की नियुक्ति के लिए रिमांइडर भी भेजे गए हैं।

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