जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की गई। भाजपा सांसद विजय सोनकर ने रिपोट की सभा के पटल पर रखा। करीब आधे घंटे की चर्चा के बाद लोकसभा ने आचार समिति की उस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। सदन ने महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने संबंधी संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। इसका मतलब नकदी के बदले सवाल पूछने के मामले में महुआ की संसद सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो गई है।
गौरतलब है कि आचार समिति की रिपोर्ट को शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन कार्यसूची में शामिल किया गया था, लेकिन इसे पेश नहीं किया गया। लोकसभा सचिवालय द्वारा शुक्रवार के लिए जारी कामकाज की संशोधित सूची में आचार समिति की रिपोर्ट को एजेंडा आइटम नंबर 7 के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। उधर, रिपोर्ट पेश होने और विपक्ष के मतविभाजन की मांग के मद्देनजर भाजपा ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों को उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
लोकसभा में रिपोर्ट पर चर्चा के बाद अगर सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में वोट करता है तो मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी। हालांकि, विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया है कि मोइत्रा पर निर्णय लेने से पहले सिफारिशों पर चर्चा होनी चाहिए। बसपा सांसद दानिश अली ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि अगर लोकसभा में रिपोर्ट पेश की जाती है, तो हम विस्तृत चर्चा पर जोर देंगे क्योंकि समिति की बैठक में मसौदा ढाई मिनट में अपनाया गया था।
समिति ने 500 पेज की रिपोर्ट बनाई है। इसमें संसद की गरिमा को बचाने व राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्व देने के लिए कई अहम सिफारिश की गई हैं। महुआ पर रिश्वत ले कर अदाणी समूह के खिलाफ कारोबारी हीरानंदानी को लाभ पहुंचाने के लिए सवाल पूछने के आरोप हैं। खुद महुआ ने स्वीकार किया था कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के पोर्टल से जुड़ी अपनी आईडी-पासवर्ड साझा किए थे। हीरानंदानी ने महुआ को रिश्वत देने की बात स्वीकारी थी।
गौरतलब है कि नौ नवंबर को एक बैठक में भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने रिश्वत लेकर सवाल पूछने के मामले में मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट अपनाई थी। कांग्रेस सांसद परनीत कौर सहित समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। जबकि विपक्षी दलों से जुड़े समिति के चार सदस्यों ने असहमति नोट प्रस्तुत किए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ करार दिया है और कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा दायर शिकायत (जिसकी समिति ने समीक्षा की) के समर्थन में कुछ भी सबूत पेश नहीं किया गया।