- महर्षि दयानंद सरस्वती द्विजन्म शताब्दी समारोह में वैदिक संस्कृति को अपनाने का संदेश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महर्षि दयानंद सरस्वती द्विजन्म शताब्दी समारोह के चार दिवसीय आयोजन के दौरान वैदिक संस्कृति को अपनाने का संदेश दिया गया साथी गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की पुरजोर मांग की गई इसी के साथ का रविवार श्याम इस ऐतिहासिक समारोह का समापन हो गया। समारोह के चौथे और अंतिम दिन रविवार प्रात: कालीन सत्र में राष्ट्र व्रत यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें प्रभा अरोड़ा विनय अरोड़ा स्वर्णिम अग्रवाल गौरव अग्रवाल स्वामी शेखर डा. नितिन बत्रा आरती शेखर राहुल जैन यजमान बने।
दूसरे सत्र में गोकृष्यादि रक्षा सम्मेलन के दौरान डा. वेदपाल, डॉ. ज्वलंत शास्त्री ने अपने उद्बोधन में स्वामी दयानंद सरस्वती के संदेश और गो रक्षा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर स्वामी आर्यवेश ने इस आयोजन के दौरान समिति की ओर से पारित प्रस्तावों को पढ़कर सुनाया। जिसमें प्रमुख रूप से मन की की गई कि महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जन्म जयंती के उपलक्ष में उनके जन्म दिवस 12 फरवरी को अवकाश घोषित किया जाए। उनके जन्मदिन को प्रतिवर्ष सरकारी स्तर पर समारोह पूर्वक मनाया जाए।
महर्षि दयानंद सरस्वती की समाज सुधार और स्वतंत्रता आंदोलन में आदित्य भूमिका को दृष्टिगत रखते हुए उनकी स्मृतियों को स्थायी बनाए रखने के लिए स्मारक बनाया जाए। अनैतिक संबंधों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाया जाए। शराब एवं ड्रग्स पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाए। नारी के गौरव और सम्मान की सुरक्षा के लिए अश्लीलता फैलाने वाली कामुकता जैसी सामग्रियों पर प्रतिबंध लगाया जाए।
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करके इसकी हत्या करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया जाए। गाय की नस्ल सुधार के लिए अधिक से अधिक केंद्र बनाए जाएं। राष्ट्रीय पार्क अभ्यारण बनाए जाएं। गाय के गोबर गोमूत्र का प्रयोग करते हुए जैविक खाद्य कीटनाशक रसायन तैयार किया जाए। अंतिम सत्र में धर्म संस्कृति रक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें वैदिक संस्कृति को अपनाने का संदेश दिया गया।
साथ ही गुरुकुल के बच्चों ने सामाजिक संदेश देते हुए विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए। समारोह स्थल जीमखाना मैदान में विभिन्न व्यवस्थाओं को लेकर प्रधान डा. आरपी सिंह चौधरी, मंत्री राजेश सेठी, मुख्य संयोजक चन्द्रकांत, सुनरल शर्मा, स्वाति शेखर, मनीष शर्मा, अतुल बंसल, शील चंद, सुशील बंसल, योगेश मुवार, अशोक सुधाकर, सुनील आर्य, हरवीर सुमन, गजराज सिंह आदि ने निरंतर सहयोग किया।