Tuesday, July 9, 2024
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मनुष्य और बाधा

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Amritvani 20


यह इंडोनेशिया की कथा है। एक दिन जब एक लड़के को उसके पिता स्कूल ले जाने लगे तो लड़का बोला, ‘स्कूल में सब लड़के मेरा मजाक उड़ाते हैं। मैं पढ़ने नहीं जाऊंगा।’ पिता ने बड़े प्यार से लड़के को समझाया, ‘यह कोई नई बात नहीं है। सभी साथी नए आने वाले लड़कों का मजाक उड़ाते ही हैं। यह भी आपस में जान-पहचान करने का एक तरीका है। लेकिन सिर्फ इसी कारण से कोई स्कूल जाना बंद नहीं कर देता है। थोड़े दिनों में वे सभी तुम से हिल-मिल जाएंगे। तुम्हारे दोस्त भी बन जाएंगे।’ पिता के लाख समझाने पर भी लड़का अपनी जिद पर अड़ा रहा।

इसके बाद कई दिन तक पिता परेशान रहे। लड़के को हर तरह से समझाया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। फिर उन्होेंने अपनी समस्या अपने एक दोस्त को बताई। पिता के दोस्त लड़के को एक झरने पर ले गए। वहां उन्होंने एक बड़ा-सा पत्थर उठाकर झरने के बीच फेंक दिया और लड़के से कहा, ‘यह पत्थर झरने के बहाव में रुकावट डाल देगा।’ कुछ क्षणों के लिए हुआ भी यही।

पानी का बहाव रुक गया, लेकिन फिर थोड़ी देर में पानी अपनी गति से बहने लगा। फेंका हुआ पत्थर पानी में डूब गया। इसके बाद पिता के दोस्त ने लड़के से कहा, ‘झरने में फेंके गए पत्थर से पानी थोड़ी देर के लिए तो रुका, पर उस रुकावट पर विजय पाकर पानी पहले की तरह आगे बढ़ने लगा।

फिर तुम मनुष्य होकर छोटी-मोटी बाधाओं से क्यों घबराते हो। रुकावट और बाधाओं का धैर्य के साथ दृढ़़ता से सामना कर अपना प्रयास जारी रखना चाहिए।’ यह देख लड़के का खोया हुआ आत्मविश्वास जाग गया। उसने अगले दिन से बिना किसी भय और संकोच के स्कूल जाना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में उसके सभी सहपाठी दोस्त बन गए। उस लड़के का नाम सुकर्णो था, जो आगे चल कर अपने देश का राष्ट्रपति बना।


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