- शासन ने दिये कुछ सुझाव
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) के मास्टर प्लान 2031 शासन में पेंडिंग हैं। उससे संबंधित कुछ सुझाव मांगे गए हैं। हालांकि अभी उस पर शासन ने स्वीकृति की मुहर नहीं लगाई हैं। कभी भी मास्टर प्लान 2031 स्वीकृत हो सकता हैं। जो सुझाव दिये जाएंगे, उनको भी मास्टर प्लान में शामिल कर दिया जाएगा। इसके बाद ही मेरठ के साथ सरधना और मवाना भी प्राधिकरण का हिस्सा होंगे। वहां भी प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराना होगा, तभी मकानों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का निर्माण किया जा सकता हैं।
महायोजना 2031 में निवेश को प्राथमिकता दी गई है। अफसरों का दावा है कि महायोजना से 2000 करोड़ रुपये का निवेश जमीन पर उतरेगा। वो कैसे उतरेगा? इसकी प्लानिंग मेरठ विकास प्राधिकरण ने की हैं। ये मास्टर प्लान शहर के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा। इसको लेकर प्रजनटेंशन भी हो चुके हैं। शासन स्तर पर भी इस पर अध्ययन हो चुका हैं। अब शासन ने कुछ सुझाव दिये गए हैं। इन सुझावों को भी मास्टर प्लान में शामिल कर दिया जाएगा, जिसके बाद ही शासन स्तर से इसको स्वीकृति की मुहर लगा दी जाएगी।
मेरठ महायोजना 2031 वर्ष 2021 की महायोजना की तुलना में दोगनी है। पिछली महायोजना में जहां क्षेत्रफल 500 वर्ग किलोमीटर के करीब था तो वहीं इस बार ही है 1043 वर्ग किलोमीटर की हो गई है। इसमें औद्योगिक क्षेत्र में 75 फीसदी का इजाफा किया गया है। दरअसल, करीब तीन साल बाद सैद्धांतिक मंजूरी प्राधिकरण बोर्ड ने दे थी। निवेश के लिहाज से करीब 2000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर उतरेंगे।
ऐसा अफसरों का कहना हैं। लखनऊ में हुई इन्वेस्टर समिति के तहत करीब 500 एमओयू साइन किए गए थे, जिनमे जमीन विस्तारीकरण संभव है। इन्हें महायोजना में चिह्नित किया गया है। इसके अलावा निर्मित क्षेत्र में प्रभाव शुल्क नहीं लिया जाएगा। बोर्ड बैठक में भी इसे मंजूरी दे दी गई थी। औद्योगिक क्षेत्र जमीन पर उतरेंगे तो विकास दिखाई देगा।
विस्तार का ये बनेंगे हिस्सा
सरधना, लावड़, बहसूमा, हस्तिनापुर नगर पंचायतों को जोड़ने वाली 36 मीटर सड़क को 45 मीटर करने का भी प्रस्ताव प्राधिकरण कर चुका हैं। वहां भी सड़कों का चौड़ीकरण होगा। विकास का पूरा फोकस सरधना और मवाना पर रहेगा। इसमें दो राय नहीं हैं। हालांकि इन कस्बों में कभी विकास पर फोकस नहीं हुआ। इसमें प्राधिकरण की भूमिका अहम रहने वाली हैं। इस बात को प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय भी कह चुके हैं।
चौड़ीकरण लटका शासन की ना
दौराला-बरनावा सड़क चौड़ीकरण का मामला शासन स्तर पर लटक गया हैं। शासन को इसकी पूरी फाइल बनाकर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने भेजी थी, जिसमें दो-दो मीटर सड़क चौड़ीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया था। नये सिरे से इसके निर्माण का भी प्रस्ताव था, लेकिन सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव को झटका लग गया हैं। शासन ने सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं दी हैं, जिसके चलते ये प्रस्ताव लटक गया हैं। हालांकि इस रोड के दोनों तरफ पेड़ थे, जिनको पहले ही काट दिया गया हैं। इसके बाद ही चौड़ीकरण किया जाना था। इसको शासन ने बीच में ही लटका दिया हैं।